
Rajasthan Election 2023: सरदारपुरा सीट पर सीएम अशोक गहलोत लगातार पांच चुनाव जीत चुके हैं और छठवीं बार मैदान में हैं।
पिछले 25 साल से इस किले को भेदने का प्रयास कर रही भाजपा ने यहां शिक्षाविद्-अर्थशास्त्री प्रो. महेंद्र राठौड़ को उतारा है।
मतदान में अब 5 दिन ही बचे है, लेकिन यहां का माहौल हॉट सीट जैसा लग नहीं रहा। गली-मोहल्लों में इससे ज्यादा चर्चा तो क्रिकेट वर्ल्ड कप की हो रही है।
गहलोत नामांकन के अंतिम दिन यहां पर्चा भरकर गए थे और दिवाली के दिन कार्यकर्ता सम्मेलन कर रणनीति बताई थी।
जमीनी हकीकत यह है कि कांग्रेस के पार्षद ही घर-घर जा रहे हैं, बड़े नेताओं व कार्यकर्ताओं की फौज गायब है।
भाजपा का भी कमोबेश यही हाल है। मैदान में बड़े नेता व रणनीतिकार दिखाई नहीं दे रहे। प्रत्याशी महेंद्र राठौड़ ही रोजाना गली-मोहल्ले नापते हुए जन संपर्क कर रहे हैं।
बिना चुनाव लड़े वर्ष 1998 में पहली बार सीएम बने गहलोत को पटखनी देने के लिए भाजपा ने अब तक कई जातियों का कार्ड खेला लेकिन गहलोत हमेशा अजेय बनकर निकले।
सीएम बनने के बाद गहलोत के लिए सबसे पहले तत्कालीन विधायक मानसिंह देवड़ा ने यह सीट खाली की थी।
इसके बाद हुए उपचुनाव में गहलोत के सामने भाजपा ने मेघराज लोहिया को उतारा लेकिन जीत नहीं पाए।
इसके बाद 2003 में भाजपा ने महेंद्र झाबक को उतारा लेकिन वह भी हार गए। 2008 में स्वजातीय कार्ड खेलते हुए पूर्व मंत्री राजेंद्र गहलोत को टिकट दिया लेकिन हार ही मिली।
2013 में राजपूत चेहरे शंभूसिंह खेतासर को गहलोत को सामने खड़ा किया लेकिन मोदी लहर के बावजूद वह 18478 वोटों से हारे। इससे पहले गहलोत जोधपुर से पांच बार सांसद रह चुके हैं।
गहलोत ने 1999 में पहला चुनाव लड़ा तब भाजपा प्रत्याशी को 49 हजार के अंतर से हराया। 2003 से 2013 के बीच जीत का अंतर घटता गया। गत चुनाव में बढ़त लेते हुए 45 हजार वोट से जीत हासिल की।