
28 अक्टूबर को बांग्लादेश में लक्ष्मी पूजा और बौद्ध हिंदुओं और बौद्ध के द्वारा रैली की तारीख बदलने के आग्रह को ठुकरा दिया है। बीएनपी के जमावड़े को लेकर सिविल सोसाइटी में आक्रोश है।
ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र का कहना है कि दुर्गापूजा भी चुनाव के पहले डर के माहौल में मनाई थी, अब लक्ष्मी पूजा के साथ भी ऐसा किया जा रहा है।
बांग्लादेश बौद्ध फेडरेशन के अध्यक्ष दिव्येंदु विकास चौधरी ने कहा कि 22 अक्टूबर को सहमति के बावजूद बीएनपी और जमात मानने को तैयार नहीं है।
यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रो. मेस्बाह कमाल का कहना है कि हिंदू बौद्धों के त्योहार के दिन राजनीतिक आयोजन से धार्मिक कार प्रभावित होंगे।
पत्रकार शहरीर कबीर का कहना है कि बीएनपी और जमात त्योहारों के मौके पर विशाल आयोजन करके अल्पसंख्यक भय पैदा करना चाहते हैं।