PM नरेंद्र मोदी संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की राजधानी अबू धाबी में स्वामीनारायण मंदिर का उद्घाटन करेंगे।
इस सिलिसिले में प्रधानमंत्री मोदी 13 और 14 फरवरी 2024 को UAE में रहेंगे। अपने दो दिवसीय दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी UAE के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे।
पिछले 8 महीने में PM मोदी की UAE की यह तीसरी यात्रा है। स्वामीनारायण मंदिर के उद्घाटन के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 फरवरी 2024 को ‘अहलान मोदी’ कार्यक्रम में भारतीय प्रवासियों को भी संबोधित करेंगे।
UAE मे भारतीय राजदूत संजय सुधीर के अनुसार, इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 65000 से अधिक लोगों ने अपना पंजीकरण कराया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मंदिर का उद्घाटन 14 फरवरी 2024 को करेंगे। इसके बाद 1 मार्च 2024 से यह मंदिर आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा।
मंदिर परिसर में एक विजिटर केंद्र, प्रार्थना कक्ष, प्रदर्शनियां, लर्निंग सेंटर, बच्चों और युवाओं के लिए खेल क्षेत्र, उद्यान, पानी की सुविधाएं, Food Cort , पुस्तक एवं उपहार की दुकानों के साथ अन्य सुविधाएं भी होंगी।
दरअसल, स्वामीनारायण संप्रदाय के बोचासनवासी अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) के तत्कालीन अध्यक्ष स्वामी महाराज को 5 अप्रैल 1997 को UAE के शारजाह के एक रेगिस्तानी इलाके में गए।
वहां पर स्वामी जी विश्व शांति और सभी धर्मों में एक-दूसरे के प्रति प्रेम के लिए प्रार्थना की। इसके साथ ही उन्होंने सभी देशों की प्रगति की भी कामना की।
इसके साथ ही उन्होंने अपनी इच्छा से अबू धाबी में एक मंदिर बनाने के लिए भी प्रार्थना भी की। अगले दो दशकों में स्वामीनारायण संप्रदाय के संतों एवं भक्तों ने स्वामी जी की कल्पना के अनुसार मंदिर बनाने के लिए UAE के लोगों एवं वहां के नेताओं से मुलाकात की और उनसे इसके लिए इजाजत मांगी। इसके साथ ही उन्होंने मंदिर बनाने के लिए जमीन की भी मांग की।
साल 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार आई और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। इसके बाद भारत और UAE के बीच आपसी विश्वास का माहौल बना और दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत हुए।
इसके बाद साल 2015 में UAE की सरकार ने हिंदू मंदिर के लिए जमीन आवंटित की थी। इसके बाद पीएम मोदी ने UAE सरकार की दिल खोलकर सराहना की थी।
मंदिर के प्रवक्ता के अनुसार, प्राचीन प्रथाओं का पालन करते हुए इस मंदिर के निर्माण में लोहे या स्टील का उपयोग नहीं किया गया है।
यह विशाल मंदिर पूरी तरह से पत्थर से बनाया गया है। इसे बनाने के लिए 700 से अधिक कंटेनरों में 20,000 टन से अधिक पत्थर और संगमरमर अबू धाबी भेजा गया।
नींव को भरने के लिए फ्लाई ऐश का उपयोग किया गया है, जिससे कंक्रीट मिश्रण में 55 प्रतिशत सीमेंट की जगह ली गई है।
इस मंदिर को पर्यावरण के अनुकूल बन गया है। इसके कार्बन फुटप्रिंट में भी कमी आई है। मंदिर की संरचना की निगरानी के लिए, दबाव, तापमान और भूकंपीय घटनाओं का लाइव डेटा हासिल करने के लिए विभिन्न स्तरों पर 300 से अधिक सेंसर लगाए गए हैं।
गुजरात और राजस्थान के कारीगरों को बुलाकर मंदिर के खंभों एवं दीवारों पर मोर, घाथी, घोड़े, ऊंट, चंद्रमा आदि को उकेरा गया है।