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बिहार के राजेश ने किसानों की सहायता के लिए लॉन्च किया ऑनलाइन ऐप, करीब 200 करोड़ का कारोबार कर चुके हैं 35 लाख से ज्यादा किसान

Vineet Choudhary

डेस्क न्यूज़- देश के अधिकांश किसानों को कृषि के बारे में सही जानकारी के संबंध में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कौन सी फसल लगानी है, उनकी लागत क्या होगी, कितनी होगी कमाई? फसल तैयार होने के बाद वे अपना उत्पाद कैसे बेच सकते हैं? कृषि को लेकर सरकार की क्या योजनाएं हैं, उनका लाभ कैसे उठाया जा सकता है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो आमतौर पर हर किसान के मन में होते हैं। बहुत कम किसानों को ऐसी जानकारी आसानी से मिल जाती है।

ऐप से जुड़े है 35 लाख से ज्यादा किसान 

बिहार के पटना जिले के रहने वाले राजेश रंजन ने किसानों की इन समस्याओं को दूर करने के लिए एक ऐप लॉन्च किया है। इसके माध्यम से किसान कृषि से जुड़ी हर चीज की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। विशेषज्ञों के साथ बातचीत कर सकते हैं और अपने उत्पाद की मार्केटिंग भी कर सकते हैं। देश भर के 35 लाख से ज्यादा किसान उनसे जुड़े हैं। इनमें से अधिकांश सक्रिय उपयोगकर्ता हैं। इस स्टार्टअप के जरिए पिछले दो साल में किसानों ने 200 करोड़ से ज्यादा का कारोबार किया है।

किसान परिवार से ताल्लुक रखते राजेश

29 वर्षीय राजेश एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। 2015 में IIT खड़गपुर से इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने अपना स्टार्टअप लॉन्च किया। इसके जरिए वह रिटेल और सप्लाई चेन में काम करता था। कुछ साल बाद एक बड़ी कंपनी ने उनका स्टार्टअप अपने हाथ में ले लिया। इसके बाद उन्होंने दो अलग-अलग कंपनियों में काम किया।

क्यो छोड़ी नौकरी?

राजेश कहते हैं कि नौकरी के दौरान मुझे एहसास हुआ कि सिर्फ पैसा कमाना ही हमारा मकसद नहीं हो सकता। मेरे मन में अक्सर यह सवाल उठता है कि मैं जिस क्षेत्र और पृष्ठभूमि से आया हूं, क्या मैं उन लोगों के लिए कुछ कर पा रहा हूं? क्या उन्हें मेरे काम से कोई मदद मिल रही है? अगर नहीं तो फिर किसी बड़े संस्थान से पढ़ाई करने और पैसे कमाने का क्या मतलब है। यह सोचकर मैंने 2019 में नौकरी छोड़ दी।

कैसे की शुरुआत?

राजेश नौकरी छोड़ने के बाद अलग-अलग गांवों में जाने लगा। वे बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में गए। वहां किसानों से मिले। उनकी समस्याओं को समझें। तब उन्हें पता चला कि ज्यादातर किसान खेती से कमाई नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन उसी क्षेत्र में कुछ ही किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं। राजेश कहते हैं- ऐसे में मेरे मन में एक सवाल उठा कि जब दोनों के लिए जमीन और जलवायु की स्थिति समान है, तो आय में इतना बड़ा अंतर क्यों है?

राजेश कहते हैं कि उन चंद प्रगतिशील किसानों से मिलने के बाद मुझे पता चला कि ये लोग बहुत जागरूक हैं। उनके पास कृषि से जुड़ी हर जरूरी जानकारी है। वे आसानी से सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में सक्षम हैं और अपने उत्पादों की मार्केटिंग करने में भी सक्षम हैं। इससे उनकी कमाई अच्छी हो रही है।

कृशिफाई नाम से लॉन्च किया स्टार्टअप

राजेश का कहना है कि पिछले कुछ सालों से गांवों में भी स्मार्टफोन और इंटरनेट पहुंच गया है। बड़ी संख्या में किसान इसका उपयोग भी करते हैं। इसे देखते हुए मैंने फैसला किया कि क्यों न एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लॉन्च किया जाए, जिससे कोई भी किसान कृषि संबंधी जानकारी प्राप्त कर सके, अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढ सके और अपने उत्पादों की मार्केटिंग कर सके। इसके बाद 2019 में उन्होंने करीब चार से पांच लाख रुपये के बजट के साथ कृशिफाई नाम से अपना स्टार्टअप लॉन्च किया।

ऐसे तैयार किया किसानों का नेटवर्क

राजेश का कहना है कि हम सोशल मीडिया पर लगातार अपडेट करते रहते हैं। किसान इससे जुड़े हुए हैं, लेकिन असली नेटवर्क इन्हीं किसानों ने तैयार किया है। आज इतना बड़ा नेटवर्क उन्हीं किसानों के माध्यम से बन गया है जिनके पास हम शुरुआत में गए थे। हमारे ऐप को इस्तेमाल करने के बाद किसान इसे आपस में शेयर करते रहते हैं। हम ऐप का इस्तेमाल कर किसानों की राय भी सोशल मीडिया पर डालते रहते हैं।

कैसे काम करता है ऐप?

यह ऐप किसानों का एक तरह का फेसबुक है। यहां वे कृषि से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। वे इस ऐप के जरिए किसानों से बातचीत कर उनसे दोस्ती कर सकते हैं। आप अपनी समस्याएं और जानकारी एक दूसरे से साझा कर सकते हैं। यहां किसान अपने उत्पाद के विपणन के साथ-साथ खेती और फसल से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकता है। वह अपनी उपज के साथ गाय-भैंस, ट्रैक्टर और खेती के उपकरण भी खरीद और बेच सकता है।

इतना ही नहीं इस एप के जरिए किसान सरकारी योजनाओं की जानकारी ले सकता है। योजना के बारे में पूरी जानकारी के साथ-साथ इसे प्राप्त करने की प्रक्रिया भी ऐप पर उपलब्ध है। अगर कोई किसान कम पढ़ा-लिखा है तो राजेश की टीम उसकी मदद करती है। उसे फॉर्म भरने और आवश्यक दस्तावेज इकट्ठा करने में मदद करता है। राजेश की टीम ने कुछ प्रगतिशील किसानों का एक अलग समूह भी बनाया है। ये लोग दूसरे किसानों के लिए गाइड का काम करते हैं।

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