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नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन: राजस्थान के 14 राजमार्ग, जोधपुर-उदयपुर हवाई अड्डे का हिस्सा निजी हाथों में जाएगा, वित्त मंत्री ने बताया पूरा प्लान

Vineet Choudhary

डेस्क न्यूज़- केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) का शुभारंभ किया। इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों की सरकारी संपत्तियों में हिस्सेदारी बेचकर या संपत्ति को पट्टे पर देकर कुल छह लाख करोड़ रुपये जुटाने का करना लक्ष्य है। वित्त मंत्रालय ने सोमवार को अपना पूरा खाका पेश करते हुए कहा कि लीजिंग की प्रक्रिया चार साल यानी 2025 तक चरणबद्ध तरीके से चलेगी।

सरकार के पास रहेगा मालिकाना हक

वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि पट्टे पर दी जाने वाली सड़कों, रेलवे स्टेशनों या हवाई अड्डों का स्वामित्व सरकार के पास रहेगा। लीज निर्धारित समय सीमा के लिए होगी। उसके बाद सारा इंफ्रास्ट्रक्चर सरकार के पास आ जाएगा। जिन संपत्तियों का हिस्सा निजी हाथों को सौंपा जाएगा उनमें राजस्थान में 14 राजमार्ग और जोधपुर-उदयपुर हवाई अड्डा शामिल हैं। बता दें कि जयपुर एयरपोर्ट पहले से ही निजी हाथों में है। इसके अलावा जयपुर समेत रेलवे में प्राइवेट पार्टनर्स के साथ पार्टनरशिप में ट्रेन चलाने के लिए देश में 12 कलस्टर का चयन किया गया है। 2.86 लाख किमी भारतनेट लाइन और बीएसएनएल/एमटीएनएल के टावर भी उपलब्ध कराए जाएंगे। इसमें जयपुर बीएसएनएल कार्यालय को भी शामिल किया गया है। 8 होटल भी लीज पर दिए जाएंगे या हिस्सेदारी बेच दी जाएगी। इनमें दिल्ली में होटल अशोक और होटल सम्राट शामिल हैं।

कितनी संपत्तियां जाएगी लीज पर?

1. राजमार्ग: 1.6 लाख करोड़ 2. रेलवे: 1.5 लाख करोड़ 3. विद्युत ट्रांसमिशन: 45,200 करोड़ जुटाए जाएंगे, 4. बिजली उत्पादन: 39,832 करोड़ का लक्ष्य। 5. दूरसंचार: 35,100 करोड़ रुपये 6. भंडारण: 28,900 करोड़ रुपये 7. प्राकृतिक गैस पाइपलाइन: 24,462 करोड़ रुपये 8. उत्पाद पाइपलाइन/अन्य: 22,504 करोड़ रुपये 9. खनन: 28,747 करोड़ रुपये 10. विमानन: 20,782 करोड़ रुपये 11. बंदरगाह : 12,828 करोड़ 12. स्टेडियम: 11,450 करोड़ 13. शहरी अचल संपत्ति: 15,000 करोड़, इनमें से अधिकांश संपत्तियां दिल्ली में हैं।

27600 किमी सड़कें दी जाएंगी

हाईवे से ही सरकार को सबसे ज्यादा पैसा मिलने की उम्मीद है। उत्तर भारत में 29, दक्षिण में 28, पूर्व में 22 और पश्चिम भारत में 25 सड़कें लीज पर दी जाएंगी। निजी क्षेत्र उन्हें एक निर्धारित अवधि के लिए संचालित करेगा। यह अवधि कब तक तय की जाएगी, यह बाद में तय किया जाएगा। इस सवाल के जवाब में कि क्या सड़कें निजी हाथों में जाएंगी, अधिक टोल देना होगा, अधिकारियों ने कहा कि अभी यह कहना सही नहीं है। क्योंकि अभी तक टोल पर नियंत्रण का फॉर्मूला नहीं बन पाया है।

राजस्थान के ये हाईवे किए गए चिह्नित

आगरा-भरतपुर-45 किमी, चित्तौड़गढ़-कोटा-161, पालनपुर-आबू रोड-45, आबू रोड-स्वरूपगंज-31, बारां-शिवपुरी-121, रिंगस-सीकर-44, जयपुर-किशनगढ़- 90, भरतपुर-महवा-57, महवा-जयपुर-108, जयपुर- रिंगस-52, सूरतगढ़-श्रीगंगानगर-78, कोटा-चित्तौड़गढ़- 128, पालनपुर-स्वरूपगंज-76, कोटा-बारां-शिवपुरी-झांसी-300

जोधपुर व उदयपुर हवाई अड्डा

जोधपुर हवाई अड्डा 2023 से और उदयपुर 2025 तक निजी हाथों में दिया जाएगा। जोधपुर से अनुमानित वार्षिक आय 130 करोड़ रुपये है, जबकि उदयपुर से 491 करोड़ रुपये है। जयपुर पहले से ही निजी हाथों में है।

रेलवे स्टेशन

वही रेलवे के 400 स्टेशनों और 90 यात्री ट्रेनों को लीज पर दिया जाएगा। बता दे कि 1.52 लाख करोड़ रु. रेलवे में हिस्सेदारी बेचकर जुटाई जाएगी। 400 स्टेशनों, 90 पैसेंजर ट्रेनों, 1400 किमी ट्रैक को लीज पर दिया जाएगा। पहाड़ी ट्रैक (कालका-शिमला, दार्जिलिंग, नीलगिरी, माथेरान) भी इसमें शामिल हैं। साथ ही 265 गुड्स शेड, 673 किलोमीटर डीएफसी को भी निजी क्षेत्र को पट्टे पर दिया जाएगा। चुनिंदा रेलवे कॉलोनियां और 15 रेलवे स्टेडियम भी लीज पर दिए जाएंगे।

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