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आम की बागवानी छोड़ शुरू की प्रोसेसिंग, अब सालाना कमा रहे लाखों रुपए, जानें पूरी कहानी

Vineet Choudhary

डेस्क न्यूज़- आम सभी को प्रिय होता है। हम मौसम के दौरान विभिन्न प्रकार के आमों का स्वाद लेते हैं, लेकिन मौसम खत्म होने के बाद आम के उत्पादों को प्राप्त करना मुश्किल होता है। यह पहल गुजरात के कच्छ जिले के रहने वाले हरिसिंह जडेजा ने की है। वह गुजरात के प्रसिद्ध केसर आम की खेती करते हैं। इसका गूदा निकाला जाता है, संसाधित किया जाता है और दो दर्जन से अधिक उत्पाद तैयार किए जाते हैं। भारत के साथ-साथ जर्मनी में भी इनके उत्पादों की मांग है। इससे वह सालाना 12 लाख रुपये का कारोबार कर रहे हैं।

Photo | Dainik Bhaskar
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चार साल पहले शुरु किया आम की खेती का काम

46 वर्षीय हरिसिंह बीकॉम ग्रेजुएट हैं। इस काम में शामिल होने से पहले वे सुरक्षा सेवाओं का कारोबार करते थे। चार साल पहले उन्होंने आम की खेती का काम संभाला। पहले उनके भाई यह काम संभालते थे। गुजरात के कच्छ के रहने वाले हरिसिंह को पारंपरिक आम बागवानी में कम आय हो रही थी, आम की फसल बेचने के बजाय, इसे प्रोसेसिंग करना शुरू कर दिया और उत्पाद बनाना शुरू कर दिया। जिससे उनकी आमदनी कई गुना बढ़ गई।

ऐसे आया आइडिया

हरिसिंह का कहना है कि पुश्तैनी जमीन पर पहले से ही आम का बाग था, लेकिन उससे कोई खास आमदनी नहीं होती थी। सीजन खत्म होने के बाद ज्यादातर समय अकेले ही बिताना पड़ता था। इसलिए जब मैंने खेती की जिम्मेदारी संभाली तो मैंने कुछ नया करने की योजना बनाई ताकि मुझे अच्छी आमदनी हो सके।

हरिसिंह का कहना है कि 2017 सीजन में आमों की अच्छी बिक्री हुई थी। उससे अच्छी कमाई की। उसी समय एक व्यापारी ने मुझसे आम ले लिया और उसका पल्प निकाल कर जर्मनी और अन्य देशों में अपने ब्रांड नाम के तहत भेज दिया। अगले सीजन में उसने फिर से मुझसे आम की मांग की। तब मैंने सोचा कि जब व्यापारी मेरे आम का पल्प निकालकर अच्छा पैसा कमा सकता है, तो मैं यह काम क्यों नहीं कर सकता?

हरिसिंह को नही पता थी पल्प निकालने की तकनीक

चूंकि, हरिसिंह को आम से पल्प निकालने की तकनीक नहीं पता थी। इसलिए शुरुआत में उन्होंने एक विशेषज्ञ की देखरेख में गूदा तैयार करवाकर जर्मनी भेज दिया। वहां से उन्हें काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला। उनका गूदा पसंद आया। इसके बाद उन्होंने खुद गूदा निकालना शुरू किया और मार्केटिंग करने लगे।

शुरुआत में हरिसिंह जडेजा ने अपने बगीचे से पल्प निकालकर आम की आपूर्ति शुरू की। काम बढ़ाने पर उन्होंने मां आशापुरा केसर ऑर्गेनिक फार्म नाम की कंपनी बनाई है, जो विदेशों में उत्पादों की आपूर्ति करती है। इसके लिए हरिसिंह को सरकार की ओर से सम्मानित भी किया गया है।

इस तरह तैयार करते हैं उत्पाद

हरिसिंह कहते हैं कि जब आम के पल्प को अच्छा रिस्पांस मिला तो हमने इसे प्रोसेस करने की योजना बनाई। 2018 के अंत में हमने घर से आम का जूस बेचना शुरू किया। फिर उससे पापड़ और कैंडी बनाना शुरू किया। इस तरह धीरे-धीरे हमारा अनुभव बढ़ता गया और काम की समझ आने लगा। उसके बाद हमने दायरा बढ़ाया। आमों को प्रोसेसिंग करने के बाद, उन्होंने आइसक्रीम, मिठाई, पेड़ा जैसे उत्पाद तैयार करना शुरू कर दिया। इससे हमें अच्छी आमदनी होने लगी। वर्तमान में हरिसिंह दो दर्जन से अधिक उत्पादों का उत्पादन कर रहे हैं। इसके लिए वे किसी तरह का केमिकल नहीं मिलाते हैं। उनका दावा है कि वे आम की खेती भी पूरी तरह जैविक तरीके से करते हैं और इसके प्रसंस्करण के दौरान किसी हानिकारक रसायन का इस्तेमाल नहीं करते हैं।

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