डेस्क न्यूज़ : इस महीने की शुरुआत में, जब कोरोना वायरस की दूसरी लहर शुरू हुई, तो दिल्ली के अरविंद केजरीवाल और यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार दोनों ने अपनी दैनिक Oxygen की खपत का अनुमान लगाया था।
यह तब हुआ जब केंद्र सरकार सभी राज्यों की जरूरतों का खाका तैयार कर रही थी।
लेकिन, जब कोरोना ने कहर बरपाना शुरू किया और दोनों सरकारों ने अपनी ऑक्सीजन की मांग को संशोधित किया, तो केंद्र से यूपी को नई मांग का लगभग 93 प्रतिशत प्राप्त हुआ, लेकिन दिल्ली सरकार ने बाद में आवश्यकता को संशोधित किया।
लेकिन दिल्ली सरकार को मांग का केवल 54 फीसदी Oxygen मिला।
हालांकि, इस अवधि के दौरान कुछ राज्य अपनी मांग से भी अधिक ऑक्सीजन को पूरा करने में सक्षम थे, जिनमें कई गैर-भाजपा शासित राज्य भी शामिल थे।
ऑनलाइन पोर्टल द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को केंद्र सरकार द्वारा OXYGEN पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली सरकार ने कुछ दिनों में अपने Oxygen की मांग के अनुमान में 133% की वृद्धि की, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ने बाद में पहले की तुलना में 100 फीसदी ज्यााद ऑक्सीजन की मांग की।
केंद्र सरकार ने अपने 200 पन्नों की एफिडेविट में बताया है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि आने वाले दिनों में राज्यों को ऑक्सीजन की सप्लाई में दिक्कत ना आए, इसके लिए सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ जिसमें केंद्र सरकार के सबंधित मंत्रालय और ऑक्सीजन बनाने वालों के साथ एक मैपिंग एक्सरसाइज किया गया था।
उसी के हिसाब से राज्यों को मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की जानी थी।
इस दौरान 11 से 14 अप्रैल के बीच राज्यों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक की गई और उन्हें अपनी अनुमानित मेडिकल Oxygen की जरूरत बताने को कहा गया था।
तब दिल्ली सरकार ने कहा था कि उसे 20 अप्रैल तक रोजाना 300 मीट्रिक टन, 25 अप्रैल तक 349 मीट्रिक टन और 30 अप्रैल तक सिर्फ 445 मीट्रिक टन मेडिकल Oxygen की ही आवश्यकता होगी।
जबकि इसी अवधि के दौरान यूपी सरकार ने क्रमश: 400 एमटी, 650 एमटी और 800 एमटी की जरूरत बताई थी। बाकी राज्यों ने भी इसी तरह से अपनी अनुमानित मांग केंद्र के सामने पेश की थी।