डेस्क न्यूज़- वोटिंग को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वोट देने की आजादी अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा है। लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए मतदान में गोपनीयता जरूरी है। प्रत्यक्ष चुनावों में चाहे लोकसभा हो या राज्य विधानमंडल में, गोपनीयता बनाए रखना आवश्यक है। दुनिया भर के लोकतंत्रों में जहां प्रत्यक्ष चुनाव होते हैं, यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया जाता है कि मतदाता बिना किसी डर के अपना वोट डाले। उनके वोट का खुलासा होने पर परेशान ना किया जा सके। फर्जी वोटिंग और बूथ कैप्चरिंग ।
कोर्ट ने कहा, 'चुनाव एक सिस्टम है। जो अंततः लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है। मतदाताओं को अपने मत का प्रयोग करने की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए एक प्रणाली होनी चाहिए। इसलिए बूथ कैप्चरिंग या फर्जी वोटिंग के किसी भी प्रयास से सख्ती से निपटा जाना चाहिए क्योंकि यह अंततः कानून और लोकतंत्र के शासन को प्रभावित करता है। किसी को भी इस अधिकार को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने 1989 में बिहार के पाटन (अब झारखंड) में एक मतदान केंद्र पर दंगा करने के दोषी 8 लोगों की अपील को खारिज करते हुए यह बात कही। अपने पहले के फैसलों का जिक्र करते हुए जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की बेंच ने कहा कि वोट की आजादी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है। पीठ ने कहा कि चुनावी प्रणाली का सार यह होना चाहिए कि मतदाताओं को अपनी पसंद से वोट का प्रयोग करने की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो। पीठ ने निचली अदालत द्वारा दी गई छह महीने की सजा को बरकरार रखते हुए उसे तत्काल आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।