भीलवाड़ा में कुछ युवकों में कहासुनी हुई, आपसी लड़ाई में एक युवक को चाकुओं से गोद दिया गया। पुलिस ने जांच की तो कुछ नाम सामने आए जिनमें से दो नाबालिग थे। हम बात कर रहे हैं भीलवाड़ा के बहुचर्चित आदर्श हत्याकांड की और आज इसकी बात करने की हमारे पास एक खास वजह है, दरअसल मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस और प्रशासन पर बहुत ही गंभीर आरोप लगाए गए है। पुलिस पर आरोप हैं आरोपियों से मिलीभगत का, फर्जी और मनमर्जी के बयान दर्ज करने का, और बयानों के बदले जाने का । कहानी थोड़ी सी फिल्मी लगती है लेकिन ये सच है।
दरअसल भीलवाड़ा में आदर्श हत्याकांड का खुलासा होने के बाद शहर विधायक विट्ठल शंकर अवस्थी और भाजपा जिलाध्यक्ष लादू लाल तेली ने प्रेसवार्ता आयोजित की और प्रेसवार्ता में पुलिस प्रशासन पर काफी गंभीर आरोप लगाए। साथ ही जिला कलेक्टर कार्यालय के पास धरना देने की घोषणा की है और मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।
शहर विधायक ने पुलिस पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि मृतक के भाई ने बयान दिया ही नही है लेकिन पुलिस ने अपनी मनमर्जी से आरोपियों को बचाने के लिए बयान दर्ज कर लिए गए। पुलिस के अनुसार मृतक के भाई ने भावावेश में आकर हत्या का आरोप लगाया था।
मामले का खुलासा हुआ जब हत्या की जांच का जिम्मा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंचल मिश्रा को सौंपी गई। एसपी ने बयान की पुष्टि के लिए मृतक के भाई मयंक को बुलाया तो बयान सुनकर मृतक का भाई आश्चर्यचकित रह गया। जैसे ही इस बात की जानकारी हिंदू संगठन के लोगों और विधायक अवस्थी को हुई तो वे यह मामला लेकर कलेक्टर के पास पहुंचे । अवस्थी ने कहा कि कलेक्टर ने भी इसे गंभीरता से लिया और आश्चर्य जताया । उन्होंने तत्काल प्रतिनिधिमंडल को एसपी से मिलने की बात कही । जब प्रतिनिधिमंडल पुलिस अधीक्षक के पास पहुंचा तो जांच अधिकारी मिश्रा भी वहीं मौजूद थीं और उन्होंने अपनी आपत्ति रखी तो पुलिस अधीक्षक ने कार्रवाई के लिए एक दिन का समय मांगा लेकिन मंगलवार तक न तो आरोपी पकड़े गए और न ही वीडियोग्राफी के साथ लिए गए बयान फाइल पर लाए गए।