अपराध

मुआवजे के लिए MP में हो रहें झूठे रेप केस दर्ज, बेगुनाहों के साथ हो रहा अन्याय

Jyoti Singh

मध्यप्रदेश में सरकारी मुआवजा प्राप्त करने के लिए रेप केस के कई मामले दर्ज कराए गए है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि अधिकतर केस झूठे और सरकारी मुआवजा लेने के लिए किए गए हैं। दरअसल, MP में राज्य सरकार SC-ST एट्रोसिटी एक्ट के तहत पीड़ित महिला को 4 लाख रुपए का मुआवजा देती है। इस विषय में काफी चौका देने वाली रिपोर्ट सामने आई है जो आपको हैरान कर देगी। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं....

सरकारी मुआवजे के गणित को समझिए

अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की महिला से रेप होने पर राज्य सरकार 4 लाख रुपए का मुआवजा देती है। मामले में FIR दर्ज होने पर एक लाख और कोर्ट में चार्ज शीट पेश होने पर 2 लाख रुपए दिए जाते हैं। यानी 3 लाख रुपए तो सजा होने से पहले ही दे दिए जाते हैं।

अगर आरोपी को सजा होती है, तो पीड़ित को एक लाख रुपए और दिए जाते हैं। सजा न भी हो, तब भी पहले दिया गया मुआवजा वापस नहीं मांगा जाता। यह प्रावधान केवल SC-ST वर्ग के लिए ही है, अन्य को नहीं।

आखिर क्यों उठ रही झूठे रेप केस की बात ?

सागर की रहने वाली एक महिला ने एक व्यक्ति पर अपनी बेटी के बलात्कार का मामला दर्ज कराया। जब आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया और जब कोर्ट में मामले की सुनवाई के लिए ले जाया गया और सुनवाई शुरू हुई तब दलित महिला ने ट्रायल कोर्ट में कबूला, ‘साधारण झगड़े में उसने आरोपी पर अपनी नाबालिग बेटी से रेप का झूठा केस दर्ज करा दिया था।’ जब मामला जबलपुर हाईकोर्ट में पहुंचा, तो 17 मई 2022 को हाईकोर्ट ने आरोपी को न सिर्फ जमानत दे दी, बल्कि कहा कि ट्रायल कोर्ट रेप विक्टिम को राज्य सरकार से मिला मुआवजा वापस करने के लिए कहे।

सरकारी मुआवजा लेकर बयाना से मुकर जाती है महिलाएं

रिपोर्ट बताती है कि SC-ST एट्रोसिटी एक्ट के तहत दर्ज रेप के मामलों में हर 10 में से 9 आरोपी बरी हो रहे हैं। 100 प्रतिशत मामलो में मुआवजा दिया जाता है लेकिन 20 प्रतिशत मामलो में ही सजा सुनाई जाती है। केवल सरकारी मुआवजा प्राप्त करने के लिए रेप पीड़ित अपने बयान से यह कह कर मुकर जाती है की उन पर दबाब बनया गया था या कोई रेप हुआ ही नहीं।

मुआवजे का लालच इस हद तक बढ़ चुका है कि झूठे आरोप लगा कर सरकारी मुआवजा हासिल किया जा रहा है।

लिव-इन में भी रेप केस के मामले सामने आ रहे है

ADG राजेश गुप्ता ने बताया कि जबलपुर क्षेत्र में एक महिला और पुरुष साथ लिव इन में रह रहे थे। जिनके दो बच्चे भी थे। महिला को पुरुष ने शादी से इंकार कर दिया तो महिला ने दुष्कर्म का केस दर्ज करवाया। महिला की शिकायत पर पुलिस को FIR दर्ज करनी पड़ी। 2016 में पारित कानून के कारण युवा जागरुक होने लगे।

(डेस्क से यशस्वनी शर्मा की रिपोर्ट)

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