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अपराध

टेरर फंडिंग केस: यासिन मलिक को 2 मामलों में आजीवन कारावास‚ 5 में 10-10 लाख का जुर्माना भी

ChandraVeer Singh
प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चीफ यासीन मलिक को टेरर फंडिंग के केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। कुछ देर पहले ही यासीन मलिक को हवालात से कोर्टरूम लाया गया था। उसे बैठने के लिए कुर्सी दी गई। मलिक की सजा पर पहले 3.30 बजे फैसला आना था, फिर इसे 4 बजे तक के लिए टाल दिया गया अब फैसला आ चुका है।
यासीन ने कोर्ट ले जाने से पहले कहा था कि कुछ भीख नहीं मांगूंगा, आतंकी गतिविधियों में मेरी भूमिका साबित हुई तो राजनीति से संन्यास ले लूंगा: सजा की बात पर यासीन मलिक
कोर्ट ले जाते वक्त यासीन मलिक

दो मामलों में आजीवन कारावास और 5 में 10-10 लाख का जुर्माना भी लगाया

स्पेशल जज ने यासीन पर IPC धारा 120 B के तहत 10 साल, 10 हजार जुर्माना। 121A के तहत 10 साल की सजा 10 हजार जुर्माना वहीं 17UAPA के तहत आजीवन कारावास और 10 लाख जुर्माना लगाया गयाा है। UAPA की धारा 13 के तहत 5 साल की सजा, UAPA की धारा15 के तहत 10 साल की सजा, UAPA की धारा 18 के तहत 10 साल की सजा और 10 हजार जुर्माना, UAPA 20 के तहत 10 साल की सजा और 10 हजार जुर्माना, UAPA की धारा 38 और 39 के तहत 5 साल और 5 हजार जुर्माना लगाया गया है।
कोर्ट रूम में मौजूद वकील फरहान ने बताया कि यासीन मलिक ने कोर्ट में कहा की वो सजा पर कुछ नही बोलेगा। कोर्ट दिल खोल कर उसको सजा दे। मलिक ने कहा, मेरी तरफ से सजा के लिए कोई बात नहीं होगी। वहीं, NIA ने यासीन मलिक को फांसी देने की मांग की। इसके बाद यासीन मलिक 10 मिनट तक शांत रहा। यासीन मलिक ने कोर्ट में कहा कि मुझे जब भी कहा गया मैंने समर्पण किया, बाकी कोर्ट को जो ठीक लगे वो उसके लिए तैयार है।
टेरर फंडिंग (Terror Funding) केस में आतंकी यासीन मलिक (Yasin Malik) की सजा को लेकर अदालत फैसला सुनाने वाली है। गौरतलब है कि इस मामले में एनआईए की मांग पर कोर्ट यासीन मलिक (Yasin Malik) को कम से कम उम्रकैद और अधिक से अधिक सजा-ए-मौत की सजा दे सकती है। पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ने 19 मई को यासीन मलिक (Yasin Malik) को UAPA के तहत दोषी ठहराया था। इससे पहले 10 मई को मलिक ने कोर्ट में अपना जुर्म कबूल करते हुए कहा था कि वो खुद पर लगाए गए आरोपों का सामना नहीं करना चाहता।

सजा का ऐलान बाकी

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पटियाला हाउस कोर्ट ने फिलहाल फैसला सुरक्षित रख लिया है। इतना ही नहीं, कोर्ट ने जांच एजेंसी एनआईए के अफसरों को जुर्माने की राशि निर्धारित करने के लिए 56 साल के यासीन मलिक (Yasin Malik) की फाइनेंशियल कंडीशन का पता लगाने के निर्देश भी दिए थे। इसके साथ ही मलिक से अपनी संपत्ति एफिडेविड जमा करने को भी कहा था।

यासीन मलिक पर लगे हैं ये आरोप

बता दें कि यासीन मलिक (Yasin Malik) पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। जनवरी, 1990 में कश्मीर के रावलपोरा में एयरफोर्स के 4 अफसरों की हत्या में यासीन मलिक शामिल था। यासीन मलिक ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फोर्स (JKLF) के आतंकियों के साथ मिलकर इंडियन एयरफोर्स के स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना समेत 4 अफसरों को गोली मार दी थी। इसके अलावा यासीन मलिक पर यूएपीए कानून के तहत आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग करना, आतंक की साजिश रचना, आतंकी गिरोह का सदस्य होना और राजद्रोह जैसे केस में भी दोषी हैं।

पाकिस्तानी महिला से 2009 में यासीन मलिक ने की थी शादी

मुशाल का जन्म 1986 में कराची में हुआ था। मुशाल और यासीन की पहली मुलाकात 2005 में तब हुई थी, जब यासीन मलिक कश्मीर के अलगाववादी मूवमेंट के लिए समर्थन मांगने पाकिस्तान गया था।
यासीन मलिक (Yasin Malik) जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का मुखिया माना जाता है। यासीन 2017 से टेरर फंडिंग के आरोप में जेल में सजा काट रहा है। यासीन मलिक की शादी पाकिस्तान की रहने वाली मुशाल हुसैन से हुई है। मुशाल का जन्म 1986 में कराची में हुआ था। मुशाल और यासीन की पहली मुलाकात 2005 में तब हुई थी, जब यासीन मलिक कश्मीर के अलगाववादी मूवमेंट के लिए समर्थन मांगने पाकिस्तान गया था। यहां कश्मीर की आजादी को लेकर यासीन मलिक के भाषण से मुशाल काफी प्रभावित हुई। इसके बाद दोनों प्यार में पड़ गए और 4 साल बाद 2009 में दोनों ने शादी कर ली। मुशाल से यासीन मलिक की एक बेटी है।

कश्मीरी पंडितों के बेदखल करने वालों में से एक

यासीन मलिक JKLF प्रमुख मकबूल भट्ट को अपना आइडल मानता था। मकबूल भट्ट एक अलगाववादी नेता था, जिसे 1984 में फांसी दे दी गई थी। इसके कुछ समय बाद यासीन JKLF प्रमुख बन गया। 1990 में कश्मीरी पंडितों को वहां से भगाने में सबसे आगे रहने वालों में से यासीन एक था। साल 1994 में लिबरेशन फ्रंट को एक राजनीतिक दल के रूप में पेश करने की भी यासीन मलिक ने कोशिश की।

यासीन शुरू से चाहता है कि कश्मीर को भारत से अलग किया जाए

यासीन मलिक का जन्म तीन अप्रैल 1966 को श्रीनगर के मैसुमा में हुआ था। इसके पिता गुलाम कादिर मलिक एक सरकारी बस ड्राइवर थे। श्रीनगर में ही यासीन की पूरी पढ़ाई हुई। श्री प्रताप कॉलेज से ग्रेजुएशन की। साल 1986 में मलिक दहशत फैलाने के लिए एक्टिव हो गया। उसने 'ताला पार्टी' का नाम बदलकर 'इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग यानी ISL कर दिया था। इस संगठन में कश्मीरी यूथ को ज्यादा अहमियत दी गई। इस संगठन का मकसद कश्मीर को भारत से अलग करने का था। जावेद मीर, अशफाक मजीद वानी और अब्दुल हमीद शेख जैसे आतंकी इस संगठन के सदस्य थे। ये वो ही आतंकी थे जिन्होंने कश्मीर में सिर्फ दहशत और खून खराबा फैलाने का काम किया है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने यूएन ह्यूमन राइट्स हाइकमिशन मिशेल बैश्लेट को लेटर लिखकर भारत से यह अपील करने को कहा है कि वे कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को सभी आरोपों से बरी कर दें।

पाकिस्तान बन रहा यासीन का हिमायती, UN को भेजा लेटर

इधर पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने यूएन ह्यूमन राइट्स हाइकमिशन मिशेल बैश्लेट को लेटर लिखकर भारत से यह अपील करने को कहा है कि वे कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को सभी आरोपों से बरी कर दें और जेल से उसकी तत्काल रिहाई सुनिश्चित करे ताकि वह अपने परिवार से मिल सके। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि कश्मीर में स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचने के पाकिस्तान की जारी कोशिशों के तहत विदेश मंत्री ने 24 मई को बैश्लेट को एक पत्र भेजा है।
पाकिस्तान के पूर्व PM इमरान खान ने यासीन मलिक को सजा दिए जाने का विरोध किया है। इमरान ने लिखा- मैं कश्मीरी नेता यासीन मलिक के खिलाफ मोदी सरकार की उस फासीवादी रणनीति की कड़ी निंदा करता हूं, जिसके तहत उन्हें अवैध कारावास से लेकर फर्जी आरोपों में सजा दी जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को फासीवादी मोदी शासन के राजकीय आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

भारत ने पाक से कहा : दुष्प्रचार को बढ़ावा न दें

बिलावल ने ओआईसी (Organisation of Islamic Cooperation) के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा को एक पत्र लिखकर उन्हें ‘कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन और मानवीय स्थिति’ के बारे में बताया है। भारत पाकिस्तान से बार-बार कहता रहा है कि जम्मू कश्मीर उसका अहम हिस्सा ‘था, है और रहेगा।’ उसने पाकिस्तान को वास्तविकता स्वीकार करने और भारत विरोधी सभी दुष्प्रचार रोकने की सलाह भी दी है। भारत ने पाकिस्तान से यह भी कहा है कि वह आतंकवाद, शत्रुता और हिंसा रहित माहौल में उसके साथ पड़ोसियों जैसे सामान्य संबंध चाहता है। गौरतलब है कि एनआईए कोर्ट ने प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 19 मई को दोषी करार दिया था।

इधर पाक क्रिकेटर शाहिद आफरीदी यासीन मलिक के सपोर्ट में उतरे तो अमित मिश्रा ने दे दिया करारा जवाब

पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद आफरीदी भारत विरोधी बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। कुछ दिनों पहले शाहिद आफरीदी ने भारत को पाकिस्तान का दुश्मन देश बताया था। अब आफरीदी ने प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चीफ यासीन मलिक को लेकर एक बचकाना ट्वीट किया है।
आफरीदी ने ट्विटर पर लिखा, 'भारत जिस तरह से मानवाधिकार हनन के खिलाफ आवाज उठाने वालों को चुप कराने की कोशिश कर रहा है, वह व्यर्थ है। यासीन मलिक के खिलाफ लगाए गए मनगढ़ंत आरोप कश्मीर की आजादी के संघर्ष को रोक नहीं पाएंगे। मैं संयुक्त राष्ट्र से अपील करता हूं कि वह कश्मीरी नेताओं के खिलाफ इस तरह के अनैतिक ट्रोल्स को नोटिस में लें।'
आफरीदी के इस ट्वीट का लेग-स्पिनर अमित मिश्रा ने करारा जवाब दिया है। अमित मिश्रा ने लिखा, 'प्रिय शाहिद आफरीदी उसने कोर्ट रूम में खुद को दोषी कबूल किया है। आपकी बर्थडेट की तरह सब कुछ मिसलीडिंग नहीं हो सकता है।' कश्मीर मुद्दे पर शाहिद आफरीदी पहले भी विवादित एवं भड़काऊ बयान दे चुके हैं।
बता दें कि शाहिद आफरीदी अपनी उम्र को लेकर भी विवादों में रहे हैं। आईसीसी के अनुसार आफरीदी का जन्म 1 मार्च 1980 को हुआ था, उनकी उम्र 42 साल है। साल 2019 में अफरीदी ने खुलासा किया था कि 1996 में नैरोबी में श्रीलंका के खिलाफ रिकॉर्ड 37 गेंदों में शतक जड़ने के समय वह 16 साल के नहीं थे।

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