अपराध

सियासत चुस्त कानून सुस्त: मौत के 1 महीने बाद हुआ हत्या का मामला दर्ज, पिता को खुद जुटाने पड़े सबूत

Jyoti Singh

प्रदेश में शांति और सुरक्षा की बात करने वाली गहलोत सरकार के राज में पुलिस अपनी मनमर्जी करती दिख रही है। राजधानी पुलिस को हत्या और असामयिक मौत में कोई अंतर ही समझ नहीं आ रहा है।

यहां अगर आपको मुकदमा दर्ज करवाना है तो खुद सबूत जुटाने पड़ेंगे, क्योंकि हमारी पुलिस के पास तो इतना टाइम ही नहीं है कि वह किसी केस को अलग एंगल से देखे। पुलिस ने बस शव के पास नशे का सामान देखा और कह दिया की नशे की ओवर डोज से मौत हुई है। पिता गुहार लगाता रहा कि उसका बच्चा ऐसा नहीं है। उसकी हत्या हुई है पर पुलिस ने एक ना सुनी। अंत में हारकर पिता को खुद ही सबूत जुटाने पड़े।

मामला जयपुर के करधनी इलाके का है। यहां 7 जून को एक सुनसान भूखंड में सिरसी रोड निवासी 19 वर्षीय रविन्द्र का शव मिला था। पुलिस ने उस वक्त बताया कि शव के पास नशीली चीजें मिली थी। पुलिस ने नशे का ओवर डोज से माैत हाेना बताकर शव परिजनाें काे दे दिया। पिता ने बेटे के साथ गलत होने की आंशका जताई पर पुलिस ने पिता की नहीं सुनी।

पिता ने अपने स्तर पर की तहकीकात

बेटे का शव मिलने के बाद पिता ने पुलिस से हत्या का मुकदमा दर्ज करने के लिए गुहार लगाई थी, लेकिन पुलिस ने मर्ग दर्ज कर मामले को खत्म कर दिया। इसके बाद पिता ने अपने स्तर पर तहकीकात शुरू की। पिता को पहले ही कुछ लोगों पर शक था। बेटे के क्रियाक्रम होने के बाद पिता घटनास्थल पर पहुंचे और आस-पास के लोगों से बातचीत शुरू की। घटनास्थल के पास ही एक दुकान पर मिले सीसीटीवी फुटेज लेकर पिता अधिकारियों के पास पहुंचे। इसके बाद एडिशनल डीसीपी रामसिंह शेखावत के कहने पर हत्या का मामला दर्ज किया गया।

सीसीटीवी फुटेज में दिखा सच

पिड़ित पिता अजीत सिंह ने बताया कि उनका बेटा 5 जून को आर्यन नाम के दोस्त से मिलने की बात कहकर घर से निकला था। जब शाम को बेटे ने फोन नहीं उठाया तो परिजन तलाश करते हुए आर्यन के घर पहुंचे। लेकिन आर्यन ने रविंद्र से नहीं मिलने की बात कहकर टाल दिया और अगले दिन नंबर ब्लॉक कर दिए।

पिता ने जब फुटेज देखे तो सामने आया कि 7 जून की तड़के 3:45 बजे उनका बेटा एक बाइक पर बैठा है, जिसका सिर बाइक चालक के कंधे पर पड़ा हुआ दिख रहा है। इस सीसीटीवी फुटेज के सामने आने के बाद पिता ने आरोप लगाया है कि उनके बेटे की हत्या करने के बाद शव को यहां फेका गया है।

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों सरकार राज्य में बढ़ रहे क्राइम रेट को रोक पाने में असर्मथ है। प्रदेश की पुलिस का ऐसा रवैया तो यहीं दिखाता है कि खौफ बदमाशों में नहीं जनता में है। वहीं सियासत की बात करें तो सरकार कभी भीतरी कलह में मगन दिखती है तो कभी पानी के मुद्दे पर केंद्र से आमने- सामने होती है, लेकिन जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को सरकार भूल रहीं है। राज्य में बढ़ता क्राइम रेट इसी बात को प्रदर्शित करता है।

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