India Economy

अर्थव्यव्स्था पर क्यों? खड़े हो रहे सवाल..अब भारत 5 ट्रिलियन की अर्थव्यव्स्था नहीं बनेगा क्या?

savan meena

न्यूज –  इन दिनों देश में अर्थव्यवस्था की बात हर तरफ हो रही है जब 2014 में बीजेपी की सरकार बनी तो उसके बाद मोदी सरकार ने नोटबंदी, जीएसटी जैसे बडे फैसले लिए, इनको लेकर सरकार की तारीफ भी हुई,

लेकिन जब ये फैसलें लिए तो कई अर्थशास्त्री ऐसे भी थे जिन्होनें फैसलों पर सवाल उठायें, और उन्होनें भविष्य में इसका नकारात्मक प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पडने की शंका भी जताई थी।

ठीक उसी भविष्यवाणी के क्रम में इन दिनों अर्थव्यवस्था का हाल बेहाल है, अब इसे आप सरकार की कमजोरी कहें या नाकामी.. लेकिन सरकार से सवाल करने भी जरूरी है…

इन दिनों अर्थव्यवस्था पर विवाद जारी है इसी क्रम में देश के पुर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सबोंधन जारी कर कहा कि,"अर्थव्यवस्था की यह हालत सरकार की ग़लतियों से बनी है, अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट जारी रही तो भारत के लिए स्थिति बहुत मुश्किल होगी, इसलिए मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वो बदले की राजनीति से बाहर निकलें और दिमाग़ से काम लेते हुए लोगों की सुने"

….मनमोहन सिंह ने कहा कि जीडीपी की वृद्धि दर पाँच फ़ीसदी होने से संकेत मिल रहे हैं येभारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी लंबी अवधि के लिए है, भारत में अर्थव्यवस्था को तेज़ गति से वृद्धि करने की क्षमता है।

जवाब वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी दिया वित्तमंत्री ने कहा- "ठीक है, आपको धन्यवाद, मैं उनके इस बयान पर विचार करूंगी।

निर्मला सीतारमण ने कहा- "मैं इंडस्ट्रीज के साथ बैठक कर रही हूं, उनकी राय ले रही है। उनका सुझाव ले रही हूं कि आखिर वो क्या चाहते हैं और क्या सरकार से उम्मीद कर रहे हैं। मैं उन्हें उसका जवाब दे रही हूं। मैं पहले ही ऐसा दो बार कर चुकी हूं। मैं और ऐसा कई बार करूंगी।"

वहीं सरकार का अर्थव्यवस्था पर समर्थन करने के लिए बीजेपी नेता बेतुके बयान भी दे रहे है।

बीजेपी नेता और बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने ट्वीट कर कहा, "अमूमन हर साल सावन-भादो में अर्थव्यवस्था में मंदी रहती है, लेकिन इस बार कुछ राजनीतिक दल इस मंदी का ज्यादा शोर मचा कर चुनावी पराजय की खीझ उतार रहे हैं।"

देश की अर्थव्यवस्था पांच तिमाही पहले आठ फीसदी की दर से विकास कर रही थी, अब वो गिरते-गिरते पांच फीसदी पर पहुंच गई है, ऐसा नहीं है कि यह गिरावट एकाएक आई है, ये गिरावट सरकार के कई फैसलों पर सवाल तो खडें करती ही है साथ ही सरकार के उन दावों को भी खारिज करती नजर आ रही जो देश को 2022 तक 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने का ख्वाब दिखा रहे है।

विशेषज्ञों की मानें तो यदि हमारे अनओर्गोनाइज सेक्टर में 94 प्रतिशत लोग काम करते हैं तो 45 प्रतिशत उत्पादन होता है, अगर जहां 94 प्रतिशत लोग काम करते हैं, वहां उत्पादन और रोज़गार कम हो रहे हैं तो वहां मांग घट जाती है।

यह जो मांग घटी है, वो सरकार के नोटबंदी के बाद से शुरू हुई है, फिर आठ महीने बाद अर्थव्यवस्था पर जीएसटी का भार पड़ा और उसके बाद बैंकों के एनपीए पर भी असर पड़ा, इन सबके बाद ग़ैरबैंकिंग वित्तीय कंपनियों के संकट का असर पड़ा, देश में लगातार अर्थव्यवस्था को तीन साल में तीन बड़े-बड़े झटके लगे, जिनकी वजह से लोगों के रोजगार छिन गए और बेरोजगारी बढ़ती चली गई।

हाल ही में सरकार ने आरबीआई से 1.76 लाख करोड़ रुपए का पैकेज मांगा जिस पर काफी विवाद हुआ।

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