Gujarat election 2022

Gujarat Elections 2022: मुस्लिम वोटर्स का लाभ भी BJP को, AAP-AIMIM की एंट्री से भाजपा को फायदा

गुजरात में विधानसभा चुनाव नजदीक होने से सभी दलों की नजर मतदाताओं को लुभाने में लगी है। इस बार आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम के चुनावी रण में उतरने से गुजरात का मुस्लिम वोटर बंटेगा और इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को और फायदा भाजपा को होगा। हाल ही का सर्वे भी यही दर्शा रहा है।

Om Prakash Napit

गुजरात में विधानसभा चुनाव को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। गुजरात में कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के चुनाव लड़ने से प्रदेश का मुस्लिम वोटर बंटेगा और इसका सीधा-सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा। हाल ही में एक मीडिया हाउस के साप्ताहिक सर्वे भी यही दर्शा रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच सिसासी घमासान का अंजाम क्या होगा यह तो 8 दिसंबर को ही साफ होगा, लेकिन एक मीडिया हाउस के साप्ताहिक सर्वे के नतीजे काफी चौंकाने वाले हैं। गुजरात की 182 सीटों में से 117 पर 10 फीसदी से अधिक मुस्लिम वोटर्स हैं। ऐसे में मुसलमान वोटर्स चुनावी नतीजों के लिए बेहद अहम हैं।

अब तक मुसलमानों के वोटों पर करीब 80 फीसदी तक कब्जा जमाती रही कांग्रेस को सर्वे में काफी नुकसान होता दिख रहा है। 'आप' और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम की एंट्री ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।

सर्वे में कांग्रेस को 47 फीसदी मुसलमानों के वोट मिलने की भविष्यवाणी की गई है तो दूसरे नंबर पर 'आप' रह सकती है। पहली बार गुजरात में सभी सीटों पर लड़ रही अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली पार्टी 'आप' को 25 फीसदी मुस्लिम वोट मिलने का अनुमान जताया गया है।

एआईएमआईएम से आगे भाजपा

सर्वे में एक और दिलचस्प बात यह सामने आई है कि भाजपा को करीब 19 फीसदी मुसलमान वोट दे सकते हैं। इससे भी बड़ी बात यह है कि खुद को मुसलमानों के सबसे बड़े पैरोकार कहने वाले ओवैसी को अधिक सफलता मिलती नहीं दिख रही है। करीब तीन दर्जन सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही एआईएमआईएम को 9 फीसदी मुसलमान वोट दे सकते हैं।

सर्वे में यह भी पूछा गया कि गुजरात में ओवैसी को कितना बड़ा फैक्टर मानते हैं? 44 फीसदी लोगों ने कहा कि वह बहुत बड़ा फैक्टर साबित होंगे। वहीं, 25 फीसदी लोगों ने कहा कि कम बड़ा फैक्टर होंगे। वहीं, 31 फीसदी लोगों ने कहा कि वह ओवैसी को गुजरात में कोई फैक्टर नहीं मानते हैं।

ओवैसी की चुनावी सभा में लगे मोदी-मोदी के नारे

गुजरात चुनाव के चलते AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी राज्य के दौरे पर हैं। रविवार को सूरत के रुदरपुरा खाड़ी इलाके में जब वह चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे, तभी वहां मौजूद कुछ मुस्लिम युवकों ने उनका विरोध करते हुए काले झंडे दिखाए। साथ ही 'मोदी-मोदी' व 'ओवैसी वापस जाओ' के नारे भी लगाए गए। जिसका वीडियो वायरल हो रहा है ।

आप की एंट्री से बीजेपी को फायदा

वोट शेयर पर नजर डालें तो बीजेपी को 2017 विधानसभा चुनाव के मुकाबले कुछ नुकसान होता दिख रहा है। वहीं, आम आदमी पार्टी कांग्रेस के बड़े वोट शेयर को झटक सकती है। बीजेपी को इस बार 46.8 फीसदी वोट शेयर मिलने का अनुमान जताया गया है, जबकि 2019 में पार्टी को 49.1 फीसदी वोट शेयर मिले थे। कांग्रेस को इस बार 32.3 फीसदी वोट मिलने की संभावना जताई गई है, जबकि 5 साल पहले पार्टी को 41.4 फीसदी वोट मिले थे। केजरीवाल की पार्टी को 17.4 फीसदी वोट मिल सकते हैं। 'आप' की मजबूती से कांग्रेस को 9.1 फीसदी वोट शेयर का नुकसान होता दिख रहा है। वहीं, बीजपी का वोट शेयर 2.3 फीसदी ही कम होने का अनुमान है। इस लिहाज से देखा जाए तो केजरीवाल की पार्टी कांग्रेस के लिए ज्यादा बड़ी टेंशन बन सकती है।

गुजरात में मुसलमानों का प्रभाव

2011 की जनगणना के अनुसार, गुजरात राज्य में हिंदू बहुसंख्यक हैं। हिंदू धर्म गुजरात की आबादी का 88।57 फीसदी है। गुजरात में मुस्लिम आबादी कुल 6।04 करोड़ में से 58।47 लाख (9।67 प्रतिशत) है। राज्य में मुस्लिम आबादी बेशक कम हो लेकिन 34 विधानसभा क्षेत्रों में, मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 15 प्रतिशत से अधिक है। वहीं गुजरात में 20 विधानसभा क्षेत्र हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक है। इन 20 सीटों में से चार अहमदाबाद जिले में हैं जबकि तीन-तीन भरूच और कच्छ जिले में हैं। इन आंकड़ों को देख कर कोई भी कह सकता है कि राज्य में कई सीटों पर मुस्लिम वोटर्स उम्मीदवार की जीत और हार तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

इस बार त्रिकोणीय है गुजरात की लड़ाई

गुजरात में इस बार लड़ाई त्रिकोणीय है। विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी भी अपनी किस्मत आजमा रही है। बीजेपी एक बार फिर मोदी के 'गुजरात मॉडल' के दम पर चुनाव लड़ रही है तो वहीं राहुल गांधी महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे को भुनाने में लगे हैं। उधर, दिल्ली और पंजाब में सरकार बना चुकी आम आदमी पार्टी गुजरात में 'केजरीवाल मॉडल ऑफ गवर्नेंस' की बात कर रही है। भले ही बीजेपी गुजरात में जीत का दावा कर रही हो, लेकिन चुनावी तैयारियों को देखें तो आप ने काफी पहले से ही राज्य में प्रचार शुरू कर दिया था। चाहे बात फिर मेनिफेस्टो की हो या उम्मीदवार खड़े करने की, आप ने हर जगह बीजेपी और कांग्रेस से ज्यादा सक्रियता दिखाई है।

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