<div class="paragraphs"><p>पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 : कोरोना के बीच बढ़ी चुनावी सरगर्मी, क्या जान से ज्यादा जरुरी हैं चुनाव ?</p></div>

पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 : कोरोना के बीच बढ़ी चुनावी सरगर्मी, क्या जान से ज्यादा जरुरी हैं चुनाव ?

 

Image Source : PTI 

विधानसभा चुनाव 2022

पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 : कोरोना के बीच बढ़ी चुनावी सरगर्मी, क्या जान से ज्यादा जरुरी हैं चुनाव ?

Ishika Jain

आगामी समय में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। साथ ही ओमीक्रॉन का खतरा भी पुरे देश पर मंडरा रहा हैं। दिनों दिन ओमीक्रॉन के मामले बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन पंजाब की सरकार ने प्रदेश में ओमीक्रॉन वैरिएंट का चुनावी इलाज कर दिया हैं। पंजाब में चुनावी रैलियों पर सवाल खड़े ना हो और चुनावों में प्रचार में कोई बाधा ना आए, इसके लिए सरकार ने कोविड टेस्ट तीन गुना बढ़ाने के बजाय तीन गुना कम कर दिए हैं। अभी कुछ दिन पहले तक 25 से 30 हज़ार टेस्ट किए जा रहे थे, जो घटकर अब 10 हज़ार से भी कम हो चुके हैं। टेस्ट की संख्या घटने से अब पंजाब में तीसरी लहर का खतरा बढ़ गया हैं।

यह लापरवाही काफी संवेदनशील

टेस्ट की संख्या घटने से अब पंजाब में तीसरी लहर का खतरा बढ़ गया हैं। हालांकि ये बात अलग हैं की लोगों की आँखों में धुल झोंकने के लिए कागजी पाबंदिया जरूर लगाई जा रही हैं। दूसरी तरफ सरकार का यह भी कहना हैं कि, टेस्ट में कमी जिला स्तर पर हो रही है और इस बारे में सरकार द्वारा अब सिविल सर्जनों को कड़ी हिदायत दी जाएगी। ये सब बाते तो एक तरफ हैं, लेकिन पंजाब के लिहाज़ से यह लापरवाही काफी संवेदनशील हैं। क्योंकि बड़ी संख्या में पंजाबी विदेशों में रहते हैं, जो अक्सर पंजाब आते - जाते रहते हैं। पंजाब की इस लापरवाही का खामियाजा पुरे देश को भुगतना पड़ सकता हैं।

पंजाब विधानसभा चुनाव 2022

कोरोना के आंकड़े बढ़ेंगे, तो सवाल भी खड़े होंगे, इसलिए यह खेल जरुरी

  • पंजाब सरकार कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन के आने से पहले रोजाना तक़रीबन 16 से 17 हज़ार टेस्ट कर रही थी। जब ओमीक्रॉन आया तो टेस्ट को तीन गुना बढ़ा कर करीब 40 हज़ार का टारगेट दिया गया। हालांकि, ये बात अलग हैं कि सरकार इस टारगेट को कभी छू नहीं सकी। 30 हज़ार के करीब टेस्ट जरुर हुए थे, लेकिन अब इन्हें घटाकर अब 10 से 11 के करीब कर दिया गया है।

  • पंजाब में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल अंतिम समय हैं। जनवरी में ही पंजाब चुनाव के लिए आचार सहिंता लग सकती है। पंजाब में चुनावों को लेकर CM चरणजीत चन्नी से लेकर कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू हर रोज रैली कर रहे है। यही वजह हैं कि सरकार यह दिखाने की कोशिश कर रही हैं कि पंजाब में कोरोना का खतरा ज्यादा नहीं है।

  • कोरोना के आंकड़े बढ़ेंगे तो सवाल भी खड़े होंगे और सरकार उन सवालों के कटघरे में आ जाएगी। इसलिए कागजों में कोरोना के मरीजों की संख्या घटा दी गई है। इस बात से तो सरकार और आम जनता सभी भली भांति वाकिफ़ हैं कि कोरोना मरीजों की टेस्टिंग और ऑफिशियल आंकड़ों का कोई दूसरा जरिया नहीं हैं।

जानिए, पंजाब में कोविड के हालात
सरकार के इस चुनावी खेल के बीच चिंता की बात यह है कि पंजाब और देश में कोरोना के मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पंजाब में 23 दिसंबर को जहां एक्टिव केस 314 थे, वे अब बढ़कर 28 दिसंबर तक 390 तक पहुंच चुके हैं। यानि 5 दिन के भीतर ही 76 मरीज बढ़ गए हैं। पंजाब में इस वक्त एक्टिव केसों में 33 मरीज तो ऐसे हैं, जो ऑक्सीजन या ICU जैसे लाइफ सेविंग सपोर्ट पर है।

आम जनता के लिए सख्ती, खुद के लिए राहत

मंगलवार को पंजाब सरकार ने कोविड वैक्सीन को लेकर सख्ती जरूर दिखाई, लेकिन इसे तुरंत नहीं बल्कि 15 जनवरी के बाद से लागू किया जाएगा। तब तक आचार सहिंता लगने कि भी उम्मीद है, जिसके बाद कमान चुनाव आयोग के हाथो में होगी। अपने हाथ से कमान छूटने से पहले सरकार इस प्रयास में हैं कि अभी भीड़ जुटाकर रैलियां निपटा ली जाएं। इसके इसलिए सरकार ने थोड़ी सख्ती भी दिखाई और अपने लिए राहत भी रख ली। सरकार द्वारा जारी किए गए नए आदेश में डबल डोज़ न लगाने वालों को भीड़भाड़ वाली जगहों पर आने जाने की मनाही हैं, लेकिन इस आदेश में चुनावी रैलियों को लेकर कोई जिक्र नहीं हैं।

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