ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव तो नहीं लड़ रही है, लेकिन बीजेपी को हराने की रणनीति जरूर बना रही है। ममता बनर्जी ने अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी को खुला समर्थन भी दिया है। लखनऊ में अखिलेश के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के बाद ममता बनर्जी अब 3 मार्च को बनारस में सभा और रोड शो करने जा रही हैं।
ममता के रोड शो के लिए समाजवादी पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है। सोमवार को कार्यक्रम को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। साथ ही, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता किरणमय नंदा और युवजन सभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास यादव भी सोमवार 21 फरवरी को वाराणसी पहुंच रहे हैं। इस दौरान उम्मीदवारों के साथ बैठक करने के अलावा ममता बनर्जी के आगमन की पूरी योजना तैयार की जाएगी।
ममता बनर्जी के बनारस से मतदाताओं को साधने के कई मायने हैं। उनका निशाना सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का इलाका है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के गढ़ में जाकर पीएम मोदी लगातार उन्हें चुनौती दे रहे थे। अब उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी पीएम मोदी के गढ़ में पहुंचकर उन्हें चुनौती देने की तैयारी कर रही है। इससे पहले लखनऊ में अखिलेश यादव के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता करते हुए ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी और योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा था। लखनऊ से उन्होंने उत्तर प्रदेश में 'खेला होबे' का नारा देते हुए वाराणसी आने का ऐलान भी किया था।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर भी वाराणसी दक्षिणी में ही स्थित है। बीजेपी जहां विश्वनाथ कॉरिडोर को मॉडल के तौर पर पेश कर रही है, वहीं ममता बनर्जी यहां से विस्थापितों के दर्द पर मरहम लगाने का काम करेंगी। सपा नेताओं का कहना है कि यहां हजारों लोगों के साथ अन्याय हुआ है और उनसे किए गए वादे पूरे नहीं किए गए हैं। विश्व प्रसिद्ध विश्वनाथ गली को नष्ट कर दिया गया है। वहां के व्यवसायी भी परेशान हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि ममता बनर्जी इन लोगों की सहानुभूति लेने की पूरी कोशिश करेंगी।
समाजवादी पार्टी ने इस बार वाराणसी दक्षिणी सीट से महामृत्युंजय मंदिर के महंत परिवार के किशन दीक्षित को मैदान में उतारा है। यह बड़ा दांव साबित हो सकता है। कांग्रेस ने पिछली बार बीजेपी को कड़ी टक्कर देने वाले राजेश मिश्रा को दक्षिणी की जगह कैंट सीट से उतारा हैं। इसे बीजेपी के खिलाफ सपा-कांग्रेस की खास रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है।