मोदी के गढ़ में सेंध लगाएंगी TMC, जानिए क्या है दीदी की दक्षिणी यूपी में रणनीति ?

 

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विधानसभा चुनाव 2022

UP Election 2022 : मोदी के गढ़ में सेंध लगाएंगी TMC, जानिए क्या है दीदी की दक्षिणी यूपी में रणनीति ?

ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव तो नहीं लड़ रही है, लेकिन बीजेपी को हराने की रणनीति जरूर बना रही है। ममता बनर्जी ने अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी को खुला समर्थन भी दिया है। अब ममता बनर्जी 3 मार्च को बनारस में सभा और रोड शो करने जा रही हैं।

Ishika Jain

ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव तो नहीं लड़ रही है, लेकिन बीजेपी को हराने की रणनीति जरूर बना रही है। ममता बनर्जी ने अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी को खुला समर्थन भी दिया है। लखनऊ में अखिलेश के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के बाद ममता बनर्जी अब 3 मार्च को बनारस में सभा और रोड शो करने जा रही हैं।

दीदी के रोड शो की तैयारियां शुरू

ममता के रोड शो के लिए समाजवादी पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है। सोमवार को कार्यक्रम को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। साथ ही, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता किरणमय नंदा और युवजन सभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास यादव भी सोमवार 21 फरवरी को वाराणसी पहुंच रहे हैं। इस दौरान उम्मीदवारों के साथ बैठक करने के अलावा ममता बनर्जी के आगमन की पूरी योजना तैयार की जाएगी।

दीदी के रोड शो की तैयारियां शुरू

पीएम मोदी को चुनौती देने की तैयारी कर रही है ममता

ममता बनर्जी के बनारस से मतदाताओं को साधने के कई मायने हैं। उनका निशाना सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का इलाका है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के गढ़ में जाकर पीएम मोदी लगातार उन्हें चुनौती दे रहे थे। अब उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी पीएम मोदी के गढ़ में पहुंचकर उन्हें चुनौती देने की तैयारी कर रही है। इससे पहले लखनऊ में अखिलेश यादव के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता करते हुए ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी और योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा था। लखनऊ से उन्होंने उत्तर प्रदेश में 'खेला होबे' का नारा देते हुए वाराणसी आने का ऐलान भी किया था।

बनारस का बड़ा क्षेत्र बंगाली बाहुल्य, दीदी के निशाने पर दक्षिणी
ममता बनर्जी बंगाल के मतदाताओं तक पहुंचने के साथ-साथ बीजेपी के सबसे मजबूत किले वाराणसी दक्षिणी में भी पैर ज़माने की कोशिश करेगी। वाराणसी दक्षिणी एकमात्र क्षेत्र है, जहां बड़ी संख्या में बंगाली समाज के लोग रहते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि ममता इन इलाकों में घर-घर जाकर जनसंपर्क भी कर सकती हैं। वाराणसी दक्षिणी से लगातार सात बार भाजपा विधायक रहे श्यामदेव राय चौधरी भी बंगाली समुदाय से आते हैं। पिछली बार बीजेपी ने नीलकंठ तिवारी का टिकट काट कर उन्हें मैदान में उतारा था। तब नीलकंठ जीते और मंत्री भी बने। नीलकंठ इस बार भी बीजेपी से चुनावी मैदान में हैं।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर

विस्थापितों के दर्द पर मरहम लगाएंगी ममता

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर भी वाराणसी दक्षिणी में ही स्थित है। बीजेपी जहां विश्वनाथ कॉरिडोर को मॉडल के तौर पर पेश कर रही है, वहीं ममता बनर्जी यहां से विस्थापितों के दर्द पर मरहम लगाने का काम करेंगी। सपा नेताओं का कहना है कि यहां हजारों लोगों के साथ अन्याय हुआ है और उनसे किए गए वादे पूरे नहीं किए गए हैं। विश्व प्रसिद्ध विश्वनाथ गली को नष्ट कर दिया गया है। वहां के व्यवसायी भी परेशान हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि ममता बनर्जी इन लोगों की सहानुभूति लेने की पूरी कोशिश करेंगी।

बीजेपी सबसे कम वोट और अंतर से जीती
पिछली बार बीजेपी की लहर में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर वाले वाराणसी दक्षिणी सीट बीजेपी ने सबसे कम अंतर से जीती थी। वाराणसी की पांच सीटों के मुकाबले यहां बीजेपी को सबसे कम वोट मिले थे। अन्य सीटों पर जहां बीजेपी को एक लाख से ज्यादा वोट मिले, वहीं दक्षिणी सीट पर भाजपा को सिर्फ 92 हजार वोट मिले थे। बीजेपी की जीत का अंतर भी बहुत कम था। बनारस की अन्य सीटों से अगर तुलना करें, तो इस सीट पर कांग्रेस-सपा गठबंधन के उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा 75 हजार वोट मिले थे। ऐसे में दक्षिणी शहर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में सपा पासा पलटने की कोशिश कर रही है। सपा जानती है कि अगर वह ऐसा करने में सफल रही तो यह संदेश पूरे देश में जाएगा।

सपा ने महामृत्युंजय मंदिर के महंत परिवार पर खेला दांव

समाजवादी पार्टी ने इस बार वाराणसी दक्षिणी सीट से महामृत्युंजय मंदिर के महंत परिवार के किशन दीक्षित को मैदान में उतारा है। यह बड़ा दांव साबित हो सकता है। कांग्रेस ने पिछली बार बीजेपी को कड़ी टक्कर देने वाले राजेश मिश्रा को दक्षिणी की जगह कैंट सीट से उतारा हैं। इसे बीजेपी के खिलाफ सपा-कांग्रेस की खास रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है।

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