up election 2022

UP CM योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर से नामांकन किया दाखिल: यक्ष प्रश्न- क्या योगी BJP के लिए वाकई उपयोगी साबित होंगे?

2017 के चुनाव में 311 सीट पर बंपर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी इस बार भी कमल​ खिला पाएगी? और ये सब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (yogi adityanath) के नाम और काम पर निर्भर करता है, लेकिन ये भी ज्ञात रहे कि बीजेपी ने 2017 का चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा था।

ChandraVeer Singh

देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनावी माहौल परवान पर है। इसी कड़ी में गुरुवार को सीएम योगी (Yogi Adityanath Nomination) ने नामांकन दाखिल कर दिया। गोरखपुर (Gorakhpur) शहर विधानसभा सीट बीजेपी के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ का गढ़ रही है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि योगी का यहां से जीतना भी इतना आसान नहीं होगा।

वजह है यहां का ब्राह्मण वोट बैंक... कैसे आगे आपको बताते हैं। वहीं पूरे सूबे यानि यूपी की बात करें तो यहां भी भाजपा के लिए इस बार मामला कड़ा दिखाई दे रहा है। वजह ये कि भाजपा क्राइम फ्री यूपी की बात को डोर टू डोर प्रचार में जनता तक पहुंचा रही हैं, लेकिन विपक्षी पार्टियां ​प्रदेश में शून्य विकास और

बढ़ी बेरोजगारी को लेकर बीजेपी पर हमलावर बनी हुई है। जनता का भी इसी सोच में है कि सरकार बीते पांच साल में क्राइम घटने की बात तो कह रही है, लेकिन बेरोजगारी और विकास का क्या? इसका ब्यौरा बताकर सरकार चुनाव में क्यों नहीं दे रही?

गुरुवार को सीएम योगी (yogi adityanath) ने गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में  नामांकन दाखिल कर दिया।

योगी के सीएम रहते भी अखिलेश के पास योगी से 26 गुना ज्यादा संपत्ति

2022 में दाखिल किए गए अपने एफिडेविट में योगी ने बताया है कि उनके ऊपर एक भी मुकदमा दर्ज नहीं है। वहीं, अखिलेश यादव से तुलना करें तो 2022 में अखिलेश के पास योगी से 26 गुना ज्यादा संपत्ति है। गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव का 2004 से पहले के एफिडेविट का डेटा उपलब्ध नहीं है।

दूसरा ये कि बीजेपी जहां एक बार फिर सत्ता पर काबिज होने की जुगत में है तो वहीं समाजवादी पार्टी पांच साल और बसपा अपने 10 सालों का सियासी वनवास खत्म करने के लिए इस चुनावी माहौल में एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि ये चुनाव बीजेपी के लिए चुनौती से भरा होने वाला है। इन्हीं कारणों से ये सवाल भी उठ रहे हैं कि 2017 के चुनाव में 311 सीट पर बंपर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी इस बार भी कमल​ खिला पाएगी? और ये सब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम और काम पर निर्भर करता है।
क्योंकि यूपी में योगी आदित्यनाथ (yogi adityanath) बीजेपी के सीएम फेस हैं, लेकिन यक्ष प्रश्न ये है कि क्या योगी बीजेपी के लिए क्या इस बार वाकई उपयोगी साबित होंगे? क्यों कि बीजेपी ने 2017 का चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा था। इससे पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला। फिर जीत के बाद पार्टी ने अंत में आदित्य योगीनाथ को सीएम बनाया जिसकी उम्मीद नहीं थी।

अक्सर चुनावी मौकों पर सीएम फेस को लेकर अपने पत्ते नहीं खोलती

वैसे देखा गया है कि बीजेपी ज्यादातर चुनावी मौकों पर सीएम फेस को लेकर अपने पत्ते नहीं दबा कर रखती है और मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ा जाता है। जिस राज्य में पार्टी जीत दर्ज कर रही होती है वहां चुनावी नतीजों के बाद ही मुख्यमंत्री की घोषणा करती है।

वहीं जब वापसी के लिए चुनाव मैदान में उतरती है तो उस राज्य में सीएम की घोषणा पहले ही कर चुकी होती है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में ये रणनीति बीजेपी की देखी गई।

लेकिन गुजरात में उसे कड़ी टक्कर मिली तो वहीं राजस्थान, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में पार्टी केा मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ उतरना महंगा पड़ा गया। योगी आदित्यनाथ बीते 5 साल में यूपी में बीजेपी के बड़े चेहरे के तौर पर उभरे हैं, लेकिन दूसरी ओर उनकी अपनी ही पार्टी के भीतर उनके कई विरोध

जब योगी ने गोरखपुर (Gorakhpur) शहर विधान सभा सीट से नामांकन दाखिल करने पहुंचते तो सीएम योगी के साथ गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद थे। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह भी इस दौरान वहीं उपस्थित थे। यह पहला था जब तीनों बड़े नेता एक साथ किसी के नामांकन में शामिल होने गोरखपुर पहुंचे थे।

गोरखपुर सिटी सीट का समीकरण क्या कहता है
गोरखपुर (Gorakhpur) शहरी गोरखपुर जिले की सीट है। जिले की कुल 9 विधानसभा सीटों में से गोरखपुर शहरी विधानसभा सीट पर वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी काबिज है। इस सीट पर पिछले तीन चुनावों से बीजेपी की ही हुकूमत रही है। फिलहाल इस सीट से बीजेपी के डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल विधायक हैं। 2012 में उन्होंने सपा प्रत्याशी राजकुमारी देवी को हराया था। इससे पहले उन्होंने 2007 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के के भानु प्रकाश मिश्रा को हराया था।
कायस्थ मतदाताओं की संख्या ज्यादा
गोरखपुर सदर सीट पर करीब 4.50 लाख मतदाता हैं। इसमें कायस्थ मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। यहां कायस्थ 95 हजार, ब्राह्मण 55 हजार, मुस्लिम 50 हजार, क्षत्रिय 25 हजार, वैश्य 45 हजार, निषाद 25 हजार, यादव 25 हजार, दलित 20 हजार के अलावा पंजाबी, सिंधी, बंगाली और सैनी कुल मिलाकर लगभग 30 हजार मतदाता हैं। लेकिन सभी जातियों के मतदाता जाति के आधार पर नहीं बल्कि गोरखनाथ मंदिर यानी योगी आदित्यनाथ के नाम पर वोट करते हैं।
क्या इस बार BJP बना पाएगी ठाकुरों और ब्राह्मणों के बीच संतुलन?
चुनावी वोट बैंक के नजरिए से देखें तो यूपी में ब्राह्मण और ठाकुर की खासी पैठ है। ये किसी भी पार्टी के भविष्य का फैसला तय करने का दम रखते हैं। वहीं ये दोनो वर्ग ही बीजेपी की वोटर मानी जाती हैं। इसलिए बीजेपी भी इन्हें नाराज करने से बचती हैं। अजय मिश्र टेनी का मंत्री पद भी शायद इसी वजह से बच गया। 2107 में जब बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाया तो यही कारण था कि दिनेश शर्मा को उप-मुख्यमंत्री बनाकर ब्राह्मण-ठाकुर का संतुलन पार्टी ने कायम रखा। मगर अब समीकरण अलग हैं, उस दौरान मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया। इस बार योगी ही सीएम के फेस के तौर पर स्पष्ट हैं, तो सवाल उठ रहे हैं कि क्या ब्राह्मण वोट बैंक योगी का वोट देगा? इसकी वजह ये है कि योगी जिस गोरखपुर के सांसद रहे हैं वहीं के ब्राह्मण उनसे नाराज बताए जा रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि गोरखपुर और उसके रेडियस में ब्राह्मण तबका योगी को नापसंद करते हैं।

योगी के CM का चेहरा घोषित होने के बाद ब्राह्मण वर्ग भी कर रहा पुनर्विचार

राजनीतिक पंडित मानते हैं कि मुस्लिम वोट बीजेपी को शायद ही मिलें, इसलिए पार्टी का फोकस पूरी तरह से ब्राह्मण वोट बैंक पर रहेगा। बड़े पैमाने पर उन्हें ब्राह्मण वोट बैंक मिल भी सकते हैं, लेकिन शायद उतने नहीं मिल पाएंगे जितने पिछले चुनाव में पार्टी ने हासिल किए थे। वजह वहीं कि पार्टी ने पहले चुनाव पीम मोदी के नाम पर लड़ा गया था।

​चुनावी गलियारों में ये भी सुगबुगाहट है कि जब से योगी आदित्यनाथ का मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर ऐलान किया गया है तब से ब्राह्मण तबका भी अपने वोटों पर फिर से विचार कर रहा है।

योगी को महसूस हो गया कि हुकूमत पर काबिज रहना है ​तो मुस्लिम वर्ग का भी साथ जरूरी है
पीएम नरेंद्र मोदी के बाद योगी आदित्यनाथ (yogi adityanath) भाजपा के दूसरे नंबर के नेता हैं जो सबसे बड़े हिंदुत्ववादी फेस के तौर पर उभरे हैं। वे जब एमपी थे तो मुस्लिम वर्ग अप्रत्यक्ष तौर पर उनके निशाने पर रहता था। फिर जब मुख्यमंत्री बने तो उनकी बोली में नर्मी आई, वे उतना बेबाकी से मुस्लिमों के खिलाफ बोलने से बचते हैं जितना सांसद रहते बोला करते थे। शायद उन्हें भी महसूस हो गया कि हुकूमत पर काबिज रहना है ​तो मुस्लिम वर्ग का भी साथ जरूरी है। लेकिन मुस्लिम वर्ग योगी को कितना पसंद करता हैं ये तो इस बार यूपी के चुनावी नतीजे ही बताएंगे। यूपी में वोट बैंक के आंकड़ों की बात करें तो यूपी में मुस्लिम वोटरों की संख्या करीब 19 प्रतिशत है। मुस्लिम वर्ग यूपी में 100 सीटों पर हार जीत तक करने का मादा रखते हैं। ऐसे में योगी को सीएम के चहरे के तौर प्रस्तुत करने के बाद पार्टी को इस चुनौती का भी सामना करना पड़ेगा।

आज गृह मंत्री अमित शाह ने क्या कहा?

बहरहाल आज गुरुवार को अपने संबोधन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि योगीजी के नामांकन में गोरखपुर (Gorakhpur) से सहारनपुर तक आपकी आवाज जानी चाहिए कि भाजपा इस बार 300 सीटों को पार करने जा रही है।

उन्होंने कहा कि बीजेपी को जनता ने 2014, 2017, 2019 में प्रचंड बहुमत से जिताया। वहीं हम यूपी में 300 प्लस सीटों के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब मुझे 2013 में यूपी का प्रभारी बनाया गया तो लोग कहते थे कि यूपी में बीजेपी दो अंकों के आंकड़े पर भी नहीं पहुंच पाएगी, लेकिन विपक्ष को दो अंक के आंकड़े को पार नहीं करने दिया।

2017 में हमें जनता का समर्थन मिला और हम 300 पार पहुंचे। योगीजी सीएम बने। 2019 में मोदीजी की लीडरशिप में भी हमने 65 सीटों पर जीत दर्ज की।

आज भी दिया माफिया मुक्त यूपी का नारा
शाह बोले पहले पूर्वांचल और पश्चिम यूपी माफियाओं के नाम से प्रसिद्ध था लेकिन योगी ने उनसे मुक्त कराने का काम किया। अब माफिया तीन जगह ही दिखते हैं। जेल, प्रदेश से बाहर या सपा की सूची में। शाह ने कहा कि उत्तर प्रदेश की पुलिस माफियाओं से घबराती थी। आज माफिया के लोग पुलिस स्टेशन में जाकर सरेंडर करने की गुहार लगाते हैं। सीएम योगी ने यूपी को कानून के राज में तब्दील किया है। शाह ने कहा मोदीजी भी वाराणसी से सांसद हैं। जब तक उत्तर प्रदेश का विकास नहीं होता है, देश का विकास भी नामु​मकिन है। शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद विभिन्न योजनाओं का लाभ हर वर्ग तक पहुंचाया है।

आज इन विधानसभाओं पर हुए नामांकन

कैंपियरगंज

पिपराईच

गोरखपुर शहर

गोरखपुर ग्रामीण

सहजनवां

खजनी

चौरीचौरा

बांसगांव

चिल्लूपार

यहां की जा सकती है शिकायत-

टोल फ्री नंबर निर्वाचन कंट्रोल रूम : 1950

जिला निर्वाचन अधकारी : 9454417544

उप जिला निर्वाचन अधिकारी : 9454417615

एसएसपी : 9454400273

एडीएम सिटी : 9454416211

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