विधानसभा चुनाव 2022

क्या होती है आचार संहिता? जब हर राजनीति दल रखते है फूंफ-फूंक कर कदम, एक गलती और आप सलाखों के पीछे

Kunal Bhatnagar

डेस्क न्यूज. चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी है। सभी राज्यों में मतदान की तारीखों और नतीजों का ऐलान भी कर दिया गया है. आगामी विधानसभा चुनाव उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में 10 फरवरी से 07 मार्च तक होने हैं। यूपी में 7 चरणों में, मणिपुर में दो चरणों में मतदान होगा। और सभी राज्यों में 14 फरवरी को मतदान होगा।

चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में कर दी है विधानसभा चुनाव की घोषणा

चुनावी राज्यों में जारी आचार संहिता

चुनाव की घोषणा के साथ ही अब सभी पांच राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद कई गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है। ये प्रतिबंध न केवल उम्मीदवार, राजनीतिक दल या नेता के लिए बल्कि आम नागरिकों के लिए भी हैं। ऐसे में आपको आचार संहिता के नियमों की पूरी जानकारी होनी चाहिए। आइए हम आपको आचार संहिता के नियमों के बारे में बताते हैं ताकि आप दंडात्मक कार्रवाई से बच सकें।

मतदान को प्रभावित करने वाली सभी गतिविधियों पर रोक है

  • सार्वजनिक उद्घाटन करने पर प्रतिबंध है।

  • किसी नए कार्य या योजना की मंजूरी पर रोक।

  • सरकार अपनी योजना या उससे संबधित किसी भी उपलब्धियों का प्रचार होर्डिंग के माध्यम से नहीं कर सकती।

  • सरकारी वाहनों से सायरन बजाया जाता है।

  • सरकारी भवनों में पीएम, सीएम, मंत्रियों, राजनीतिक व्यक्तियों की तस्वीरें प्रतिबंधित हैं।

  • सरकार मीडिया में अपनी उपलब्धियों का विज्ञापन नहीं कर सकती है।

  • रिश्वत लेना या देना अपराध माना जाएगा।

  • सोशल मीडिया पर कोई हिस्टीरिकल पोस्ट आपके लिए घातक साबित हो सकती है। आचार संहिता के नियमों को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया पर किसी के बारे में लिखें या पोस्ट करें।

आचार संहिता का उल्लंघन पड़ सकता है भारी

  • आचार संहिता का उल्लंघन करना आम आदमी को भारी भी पड़ सकता है। आचार संहिता के दौरान चुनाव या उम्मीदवार से संबंधित किसी भी आपत्तिजनक गतिविधि में शामिल होना ही आपको जेल भेज सकता है।

  • उम्मीदवारों या पार्टियों को जाति, धर्म, भाषा का विशेष ध्यान रखना होता है।

  • कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी गतिविधि नहीं कर सकता है जिससे दो समुदायों के बीच पहले से मौजूद मतभेदों को हवा मिले। नफरत फैलाने या तनाव पैदा करने वाली गतिविधियों के परिणामस्वरूप दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है।

धार्मिक स्थल का चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता इस्तेमाल

जाति या सांप्रदायिक भावनाओं के आधार पर वोट के लिए कोई अपील नहीं की जा सकती है। आचार संहिता के दौरान चुनाव प्रचार के लिए मस्जिदों, गिरजाघरों, मंदिरों और अन्य पूजा स्थलों को मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

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