India

ट्रेजेडी किंग के अनसुने किस्से : जब जयपुर में सांप्रदायिक हिंसा के बीच शांतिदूत बनकर आये दिलीप कुमार 

savan meena

ट्रेजेडी किंग के अनसुने किस्से : बॉलीवुड में ट्रेजेडी किंग कहे जाने वाले दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का बुधवार सुबह करीब साढ़े सात बजे निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे। उन्होंने मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में अंतिम सांस ली। दिलीप कुमार का जयपुर से गहरा नाता था। 29 साल पहले जयपुर के शास्त्री नगर इलाके में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। जिसमें कई लोगों की मौत हो गई। जमकर तोड़-फोड़ और आगजनी हुई। जान-माल का नुकसान हुआ था। तब दिलीप कुमार शांतिदूत बनकर जयपुर आए।

सवाई माधोपुर में डॉ. अजीज आजाद ने बताया कि 1992 के शास्त्री नगर दंगों के बाद शांति बहाल करना एक बड़ी चुनौती बन गई थी। हिंदू मुस्लिम परिवारों में दहशत थी। सरकार भी चिंतित थी। तब सामाजिक समरसता और सामाजिक समरसता के लिए एक मंच बनाया गया ताकि शांति और सद्भाव पैदा किया जा सके।

सद्भावना रैली में करीब 10 हजार स्कूली बच्चे शामिल हुए

इसमें पूर्व मंत्री नवाब दुर्रू मियां ने अपने निजी करीबी रिश्तों के जरिए मुंबई में दिलीप साहब से बात की। उस समय उनके पास बहुत बड़ी प्रतिभा थी। हर कोई उनका बहुत बड़ा फैन था। दुर्रू मियां ने दिलीप साहब से बातचीत में सद्भावना रैली में शामिल होने का आग्रह किया। फिर वे तुरंत राजी हो गए।

डॉ. अजीज ने बताया कि दिलीप साहब जयपुर पहुंचे, फिर वह खुद अपने पिता अलादीन आजाद के साथ जयपुर आ गये। उनके पिता अलाउद्दीन आजाद सवाई माधोपुर में कांग्रेस के विधायक थे। वह अक्सर अपने पिता के साथ रहता था। अपनी जीप चलाता था। प्रशासन की व्यवस्थाओं के बीच दिलीप कुमार साहब अपनी जीप में सवार हो गए। उनके साथ दुर्रु मियां और सामाजिक सद्भाव मंच के सभी धर्मों के बड़े चेहरे थे। इस सद्भावना रैली में करीब 10 हजार स्कूली बच्चे शामिल हुए।

दिलीप साहब का यादगार भाषण

राष्ट्रीय एकता और शांति से रहने की अपील के संदेश के साथ रैली दंगा प्रभावित क्षेत्रों में घूमी, इसमें दिलीप कुमार सबसे आगे  थे। पूर्व विधायक अलाउद्दीन आजाद ने बताया कि रैली समाप्त होने के बाद एक स्कूल के बड़े मैदान में जनसभा हुई, जिसमें सैकड़ों की संख्या में हर धर्म के लोग जमा हुए। इसमें दिलीप कुमार साहब का भाषण था। "जिसमें उन्होंने अपील की कि भगवान अपने बच्चों में कभी भेदभाव नहीं करते। उन्होंने सृष्टि के निर्माण में कभी भेदभाव नहीं किया। सभी को दो आंखें, दो हाथ, दो पैर और एक दिमाग दिया।"

सूरज और चांद ने कभी भी रोशनी देने में हिंदू मुस्लिम नहीं देखा

दिलीप कुमार ने कहा कि सूरज और चांद ने कभी भी रोशनी देने में हिंदू मुस्लिम नहीं देखा, कभी जाति धर्म देखकर उजाला नहीं दिया। वे सभी को समान रूप से उजाला देते हैं। नदियाँ सभी को समान रूप से जल देती हैं। पेड़-पौधे सभी को छाया और फल प्रदान करते हैं। इसे देने में धर्म और जाति को नहीं देखा जाता।

यह दिलीप साहब का यादगार भाषण था। उनकी बातें सुनकर लोगों की आंखों से आंसू छलक पड़े। इसके बाद शास्त्री नगर में शांति बहाल हुई और दिलीप साहब एक दिन जयपुर में रुके और मुंबई लौट आए।

Like and Follow us on :

EVM से हुए पहले चुनाव को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया रद्द, जानें पूरा मामला

हॉलीवुड में शुरुआती संघर्ष पर छलका Priyanka Chopra का दर्द, कहा वो था डरावने अनुभव

मां बनने के बाद सदमे में चली गई थी Sonam Kapoor, पति के साथ बदल जाता है रिश्ता

संदेशखाली में जमीन के अंदर से मिला हथियारों का जखीरा, TMC ने चुनाव आयोग से की शिकायत

मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, दो जवान हुए शहीद