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विधानसभा चुनाव से पहले यूपी का होगा विभाजन?, जानिए इसके पीछे की कहानी और नया राज्य बनाने की पूरी प्रकिय

Vineet Choudhary

डेस्क न्यूज़- उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों काफी हलचल है। पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के बीच तनातनी को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। इस बीच एक और कहानी सामने आ रही है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी नेतृत्व उत्तर प्रदेश को बांटकर अलग पूर्वांचल राज्य बनाने पर विचार कर रहा है। इसको लेकर बहस भी तेज हो गई है। यूपी का होगा विभाजन।

नया राज्य होगा पूर्वांचल

बीजेपी हमेशा छोटे राज्यों के पक्ष में रही है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश से, उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से और झारखंड को बिहार से अलग किया गया था। वहीं, उत्तर प्रदेश से अलग होकर पूर्वांचल राज्य बनने की अटकलों का दौर जारी है।

मायावती की सरकार के समय पारित हुआ था प्रस्ताव

आपको बता दें कि नवंबर 2011 में तत्कालीन मायावती सरकार ने विधानसभा को पास कर उत्तर प्रदेश को पूर्वांचल, बुंदेलखंड, पश्चिम प्रदेश और अवध प्रदेश में बांटने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था, लेकिन इसे केंद्र ने मंजूरी नहीं दी थी। इस प्रस्ताव के अनुसार पूर्वांचल में 32, पश्चिम प्रदेश में 22, अवध प्रदेश में 14 और बुंदेलखंड में 7 जिले शामिल किए जाने थे।

अब क्या हैं केंद्र का प्रस्ताव?

मायावती सरकार ने पूर्वांचल का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। केंद्र इसमें संशोधन कर सकता है। लेकिन इसे नए सिरे से राज्य सरकार को भेजने की कोई बाध्यता नहीं है।

योगी आदित्यनाथ हो सकते हैं नए राज्य के मुख्यमंत्री

यह चुनाव आयोग के दायरे में आता है। आयोग को तय करना है कि कौन सी सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रहेंगी। यदि पूर्वांचल राज्य बनता है तो विधानसभा और लोकसभा की कितनी सीटें होंगी? इसमें 125 विधानसभा और 25 लोकसभा सीटें हो सकती हैं। यहां बीजेपी 115 सीटों के साथ बहुमत में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसी क्षेत्र से हैं। वह नए राज्य में मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं।

अलग राज्य बनाने की प्रक्रिया?

संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत केंद्र सरकार को अलग राज्य बनाने का अधिकार है। यह किसी भी राज्य के क्षेत्रफल को बढ़ा या घटा सकता है। सीमाएं बदल सकती हैं। केंद्र सरकार राज्य का नाम भी बदल सकती है।

सबसे पहले विधानसभा नए राज्य के गठन का प्रस्ताव पारित करती है। इसके बाद प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। इस पर कदम उठा सकता है। नवंबर 2011 में, उत्तर प्रदेश विधान सभा ने राज्य को चार भागों में विभाजित करने का प्रस्ताव पारित किया – बुंदेलखंड, पूर्वांचल, अवध प्रदेश और पश्चिम प्रदेश। यह राष्ट्रपति से गृह मंत्रालय तक पहुंच चुका है। यदि सरकार निर्णय लेती है तो गृह मंत्री नए राज्य के गठन का प्रस्ताव संसद में प्रस्तुत करते हैं। यह भी तय करता है कि नए राज्य में कितनी जिले, विधानसभा और लोकसभा सीटें होंगी।

क्या रहेगी विधायकों की स्थिति होगी?

बता दें कि इसमें क्षेत्र के विधायक नए राज्य के विधायक होंगे। नए राज्य में एक अस्थायी विधानसभा होगी। स्पीकर और डिप्टी स्पीकर चुने जाएंगे। यहां बहुमत वाली पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाएगा, जबकि यूपी की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 8 महीने बाकी है।

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