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Halat-E-Afghanistan: भुखमरी, काम धंधा चौपट, बच्चों को नींद की गोलियां... ताकि भूखे ना बिलबिलाए

जो रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं उनमें दावा किया जा रहा है कि अफगानिस्तान (Halat-E-Afghanistan) में तालिबान के शासन के बाद काम धंधा खत्म हो गया है। जब बच्चे खाना मांगने के लिए रोते हैं तो उन्हें भी नींद की गोलियां देकर सुला दिया जाता है।

Kunal Bhatnagar

अफगानिस्तान (Halat-E-Afghanistan) में तालिबान का शासन आते ही पूरे देश में भुखमरी के खौफनाक मंजर देखने को मिल रहा हैं। लोगों के पास खाने के लिए अन्न नहीं है। काम धंधा खत्म हो गया है। तालिबान शासन के आगमन के साथ, अंतर्राष्ट्रीय सहायता भी पूरी तरह से समाप्त हो गई है।

अब जो खबर सामने आ रही है उसमें यहां के लोग अपने बच्चों को नींद की गोलियां देकर सुला रहे हैं ताकि वो उनसे खाना न मांगे। भूख और बेरोजगारी का आलम यह है कि लोग अंग बेचने को भी तैयार हैं। यहां तक ​​कि बेटियां भी बेची जा रही हैं। यह स्थिति किन्हीं दो परिवारों की नहीं है, बल्कि अधिकांश परिवारों में कुछ इसी तरह के हालात देखने को मिल रहे हैं।

भूख लगने पर नींद की गोलियां खा लेते हैं

जो रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं उनमें दावा किया जा रहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के बाद काम धंधा खत्म हो गया है। लोग बेरोजगार हो गए हैं। खाने के भी लाले पड़ गए है। परिवार के लोग भूखे रहने को विवश हैं।

अपने बच्चों को भूख से तड़पता देख लोग रो रहे है। कुछ अफगान कैमरे के सामने यह कहते भी देखे गए हैं कि उनके पास न तो काम है और न ही खाना। भूख लगने पर नींद की गोलियां खा लेते हैं। जब बच्चे खाना मांगने के लिए रोते हैं तो उन्हें भी नींद की गोलियां देकर सुला दिया जाता है।

भूख से बचने के लिए मासूम बच्चियों की शादी करा रहे हैं

यहां महिलाओं पर सख्त पाबंदियां लगाई जा रही हैं। 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में एक बार फिर तालिबान सत्ता में आया। इस दिन से लोगों और खासकर महिलाओं की परेशानी बढ़ गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां के लोग गरीबी और भुखमरी के चलते अपने बच्चों को भी बेचने रहे हैं। वे मासूम बच्चियों की शादी भी करवा रहे हैं, ताकि उन्हें भूख से बचाया जा सके।

कुपोषित हैं 10 लाख बच्चे

संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के अनुसार, अफगानिस्तान की आधी आबादी खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही है। वहीं, 95 फीसदी आबादी के पास खाने के लिए भरपेट खाना नहीं है। इस देश में पांच साल से कम उम्र के 10 लाख से ज्यादा बच्चे गंभीर कुपोषण के शिकार हो चुके हैं।

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