America On Arunachal: भारत के समर्थन में अमेरिका के तीन शक्तिशाली सीनेटरों ने सीनेट में एक प्रस्ताव पेश किया है। प्रस्ताव में अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न अंग बताते हुए, भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया गया है। इसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर यथास्थिति बदलने के लिए सैन्य बलों के उपयोग पर चीन की निंदा की गई है। साथ ही इसके खिलाफ बचाव के रूप में भारत सरकार के कदमों की सराहना की गई है।
इस प्रस्ताव को सीनेटर जेफ मार्कले, बिल हैगर्टी ने पेश किया है, जॉन कॉर्निन ने इसे समर्थन दिया है। इसमें भारत के रक्षा आधुनिकीकरण के समर्थन के साथ ही अरुणाचल में भारत के विकास प्रयासों की सराहना की गई है। इसमें अरुणाचल में भारत के प्रयासों पर समर्थन जाहिर करते हुए इस क्षेत्र में अमेरिकी सहयोग को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर की गई है। प्रस्ताव में कहा गया है कि अमेरिका को भारत का साथ देना चाहिए।
जेफ मार्कले ओरेगॉन से एक प्रगतिशील डेमोक्रेटिक सीनेटर हैं जो चीन पर कांग्रेस के कार्यकारी आयोग के सह-अध्यक्ष के रूप में भी काम कर रहे हैं। हैगर्टी जापान में अमेरिका के पूर्व राजदूत हैं। दोनों सीनेट की विदेश संबंध समिति (एसएफआरसी) के सदस्य हैं। वहीं, कोर्निन सीनेट इंडिया कॉकस के सह-संस्थापक और सह-अध्यक्ष हैं और इंटेलिजेंस पर सीनेट चयन समिति के वर्तमान सदस्य हैं।
हालांकि, अमेरिकी सरकार आधिकारिक तौर पर अरुणाचल को भारत के हिस्से के रूप में मान्यता देती है और 2020 में अमेरिकी कांग्रेस में गलवान में चीनी घुसपैठ की निंदा के लिए प्रस्ताव आया था। इस नए प्रस्ताव की प्रकृति बहुत बड़ी है। दूसरा, यह चीन की कार्रवाइयों की निंदा करने से आगे है और चीनी कार्रवाइयों के संबंध में भारत द्वारा अपनाई गई स्थिति के लिए सराहना करता है। तीसरा महत्वपूर्ण कारण यह है कि इसमें डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों का समर्थन मिला है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश को चीन अपने क्षेत्र के रूप में दावा करता है। इसे "दक्षिण तिब्बत" कहता है। चीन ने इन दावों को लेकर आक्रामक और विस्तारवादी नीतियों को लागू किया है।
प्रस्ताव में चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय द्वारा प्रकाशित अरुणाचल के दिसंबर 2021 के नक्शे का भी संदर्भ लिया गया है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश की 15 भौगोलिक विशेषताओं को मंदारिन भाषा के नाम दिए गए हैं। इसमें आठ आवासीय बस्तियां, चार पर्वत चोटियां, दो नदियां और एक पहाड़ी दर्रा शामिल हैं।
प्रस्ताव में बौद्धों से जुड़े प्रसिद्ध तवांग मठ, जहां 6 दलाई लामा का जन्म हुआ, को अरुणाचल प्रदेश का हिस्सा बताया और चीन की उन आपत्तियों को खारिज किया जिसमें वह इस भारतीय क्षेत्र में वर्तमान दलाई लामा के जाने का विरोध करता है।