Russian Ukraine War Impact: रूस और यूक्रेन के बीच जंग का आज 12वां दिन है। युद्ध के चलते लगभग 15 लाख लोग यूक्रेन छोड़कर जा चुके है। यूक्रेन और रूस के बीच जारी इस लड़ाई का असर अब खाद्य आपूर्ति पर भी दिखाई देने लगा है। जानकारी के अनुसार यूरोप, अफ्रीका और एशिया में खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है।
खाद्य किमतों में 55 प्रतिशत तक वृद्धी
युद्ध के चलते काला सागर के आसपास के बंदरगाहों पर आवाजाही पर रोक लगा दी गई है जिसके कारण दैनिक रूप से होने वाली खाद्य आपूर्ति पर प्रभाव साफ देखा जा रहा है। दुनिया भर में गेहूं, मीट , नूडल्स व अन्य खाद्य सामग्री की आपूर्ति बंदरगाहों के माध्यम से की जाती है पर जगं के कारण इनकी आपूर्ति में अनिश्चितता देखी जा रही है जिसके चलते कीमतों में लगभग 55 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हुई है।
मध्य एशिया पर खाद्य संकट
युद्ध से मध्य एशिया और अफ्रीका के कई देशों में अनाज की कमी देखने को मिल रही है। जिसमें खास तौर पर गेहूं की कमी सबसे ज्यादा है। बता दें कि भारत और चीन के बाद गेहूं की सबसे ज्यादा उपज रूस में होती है, जबकि विश्व में गेहूं का सबसे बड़ा निर्यातक देश रूस ही है। यूक्रेन इस श्रृंखला में चौथे स्थान पर है। ऐसे में युद्ध का साया गेहूं के आयात-निर्यात पर भी हो रहा है। रूस और यूक्रेन के बीच तनाव में रूस की और से लिए गए कई निर्णयों के कारण पश्चिम द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, इन प्रतिबंधों के चलते कई देशों में गेहूं व अन्य डेयरी उत्पादों में लगातार कमी हो रही है।
क्रूड आयल की कीमतों में उछाल
इंटरनेशनल मार्केट के अनुसार रविवार को ब्रेंट ऑयल की कीमत में तेजी देखने को मिली जिसके बाद इसकी कीमत लगभग 140 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गईं, ये 2008 के बाद अब तक की सबसे अधिक है। क्रूड आॅयल में आई इस तेजी का असर पेट्रोल, डीजल की कीमतों पर भी साफ देखने को मिलेगा। ऐसे में भारत पर भी इस युद्ध का असर देखा जा रहा है। भारत में इसके कारण महंगाई बढ़ने के आसार अभी से दिखाई दे रही है।