दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान, तुलसी दया न छांड़िए,तब लग घट में प्राण, गोस्वामी तुलसीदासजी कहते है कि मनुष्य को दया कभी नहीं छोड़नी चाहिए क्योंकि दया ही धर्म का मूल है और इसके विपरीत अंहकार समस्त पापों की जड़ होता है. इस समय दुनिया के कहे अनुसार दया की जरुरत यूक्रेन को है तो अंहकार के नाश की जरुरत रुस को.गोस्वामी तुलसीदास जी
रूस यूक्रेन युद्ध के हालात
यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई के दौरान नागरिकों की मौत के बढ़ते मामलों, संपत्ति के व्यापक विनाश के बीच युद्ध अपराधों, मानवता के खिलाफ अपराधों और नरसंहार के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने जांच शुरू कर दी गई है. आईसीसी के प्रोसेक्यूटर करीम खान ने बताया कि सबूत इकट्ठा करने का काम भी शुरू कर दिया गया है. यह जांच अंतरराष्ट्रीय अदालत के दर्जनों सदस्य देशों के आग्रह के बाद शुरू की गई है. ध्यान रहे कि यह जांच अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय कर रहा है न कि आईसीजे. चलिए जानते है की आईसीसी और आईसीजे में क्या अंतर है.
ICC और ICJ
यूक्रेन की और से 26 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में रूस के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. इसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूस को अपनी सैन्य कार्रवाई को तत्काल रोकने का आदेश देने के साथ में कोर्ट से रूस को आक्रामकता और नरसंहार के लिए जवाबदेह ठहराए जाने की कोर्ट से अपील की थी. उन्होंने इस मामले को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में दाखिल किया था. अक्सर देखा जाता है कि इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यानि ICC और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यानि ICJ के बीच फर्क नहीं समझ पाते. जब किन्ही दोनो देशों के बीच विवाद होता है. तो उसकी सुनवाई आईसीजे में होगी या आईसीसी में, इसका उत्तर जानने के लिए आपको दोनों के एरिया क्षेत्र को समझना होगा
ICJ
ICJ यानी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस UN संयुक्त राष्ट्र की प्राथमिक न्याय शाखा है. यह नीदरलैंड के हेग के पीस पैलेस में स्थित है. यह अदालत दो देशों के बीच कानूनी विवाद का निपटारा करती है. आईसीजे किसी भी अधिकृत अंतरराष्ट्रीय शाखा, एजेंसी या संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से पूछे गए कानूनी प्रश्न पर अपनी सलाह भी रखते है. आईसीजे के आदेश और फैसले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद लागू करती है.
International Criminal Court
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में संयुक्त राष्ट्र के प्रत्येक सदस्य देशों में से एक मेंबर वहां मौजूद होता है. लिहाजा 193 देश इस संस्था के सदस्य हैं. इस अदालत में 15 जज होते हैं जिनमें से प्रत्येक जज का कार्यकाल नौ साल का होता है. वहीं इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट एक अंतर-सरकारी संगठन और अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल है और इसका मुख्यालय भी नीदरलैंड के हेग में स्थित है. आईसीसी के पास नरसंहार के अंतरराष्ट्रीय अपराधों, मानवता के खिलाफ अपराधों और युद्ध अपराधों के लिए किसी भी व्यक्ति पर मुकदमा चलाने का अधिकार है.
आखिर अंतर क्या हैं ICC और ICJ में?
आईसीसी एक स्वतंत्र संगठन है लेकिन संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा नहीं है. हालांकि वे एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय अपराधों से संबंधित स्थितियों को आईसीसी को संदर्भित भी कर सकती है. आईसीसी में 105 सदस्य हैं जबकि आईसीजे में 193. इससे साफ मालूम चलता है कि आईसीजे का आकार आईसीसी से काफी बड़ा है. अमेरिका और भारत जैसे बड़े देश भी इस संस्था का हिस्सा नहीं है.
18 जजों से मिलकर बना है ICC
आईसीसी 18 जजों से मिलकर बना होता है जो अंतरराष्ट्रीय आपराधिक मामलों पर न्याय करते है. इस अदालत का हर जज आईसीजे की तरह नौ साल की अवधि के लिए कार्य करता है। दोनों ही अदालतें अपने मामलों का निपटारा कुछ अंतरराष्ट्रीय संधियों और कानूनों के अनुसार करती है. जिन पर दुनिया के देशों के हस्ताक्षर हुए होते हैं. जैसा कि नाम से पता चलता है, अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय आपराधिक मामलों से संबंधित है, इसमें नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध, युद्ध अपराध, आक्रामकता का अपराध जैसे मामलों की सुनवाई होती है.
एक सिविल कोर्ट है ICJ
आईसीसी एक 'अंतिम विकल्प' के रूप में काम करता है. आईसीसी अपनी शक्तियों का इस्तेमाल तब करता है जब किसी देश की कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो जाती है या कोई सरकार जघन्य अंतर्राष्ट्रीय अपराधों को अंजाम देती है. वहीं बात करें आईसीजे की तो आईसीजे एक सिविल कोर्ट है. यह अपने सदस्य देशों के बीच कानूनी मामलों को सुलझाता है. यह अदालत आमतौर पर संप्रभुता और सीमाएं, संधि उल्लंघन, समुद्री विवाद, व्यापार विवाद आदि मामलों का निपटारा करवाती है। इसे 'वर्ल्ड कोर्ट' भी कहा जाता है.