नई दिल्ली – दुसरी बार सरकार बनाने के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार विदेश यात्रा के लिए शनिवार को मालदीव जाएंगे। इससे पहले नवंबर 2018 में नरेंद्र मोदी मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहीम मोहम्मद सोलिह के शपथ ग्रहण में शामिल होने गये थे।
मालदीव और भारत के पड़ोसी देशों में चीन के लगातार बढ़ते प्रभुत्व को कम करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की यह यात्रा काफी अहम मानी जा रही है। दोनो देशों के बीच रिश्ते काफी गर्माहट भरे है।
इससे पहले मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने पिछले साल फरवरी में आपातकाल लगा दिया था। इसी वजह से कुछ समय तक भारत और मालदीव के रिश्तो में खटास भा आ गई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मालदीव के बाद रविवार को श्रीलंका जाएंगे। इससे पहले मोदी मालदीव के राष्ट्रप्रमुख इब्राहीम मोहम्मद सोलिह से मुकालात करेंगे। और मालदीव की संसद को भी सबोंधित करेंगे। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने ट्वीट किया कि मालदीव की संसद ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी आगामी मालदीव यात्रा के दौरान सदन की बैठक को संबोधित करने का न्योता दिया है।
मालदीव रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि मालदीव और श्रीलंका की उनकी यात्रा से भारत द्वारा 'पड़ोस पहले' नीति को दिया जाने वाला महत्व प्रतिबिंबित होता है और इससे समुद्र से घिरे दोनों देशों के साथ द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होंगे, नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं इसको लेकर आश्वस्त हूं कि मालदीव और श्रीलंका की मेरी यात्रा से हमारी 'पड़ोस पहले नीति' और क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं प्रगति की दृष्टि के अनुरूप हमारे समुद्री पड़ोसी देशों के साथ हमारे नजदीकी एवं सौहार्दपूर्ण संबंध और मजबूत होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि श्रीलंका की उनकी यात्रा 21 अप्रैल को हुए भीषण आतंकवादी हमलों के मद्देनजर श्रीलंका की सरकार और जनता के प्रति भारत की एकजुटता व्यक्त करने के लिए है, भारत आतंक के खिलाफ श्रीलंका के साथ मजबूती से खडा है।
मोदी ने मालदीव की अपनी यात्रा के बारे में कहा कि भारत इस देश को एक मूल्यवान साझेदार मानता है जिसके साथ वह इतिहास और संस्कृति के गहरे संबंध साझा करता है, मालदीव के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंध हाल के समय में काफी मजबूत हुए हैं, मुझे पक्का विश्वास है कि मेरी यात्रा से हमारी बीच रिश्ते ओर मजबूत होगें।