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राजीव हत्याकांड के सभी दोषी रिहा, SC की टिप्पणी- 'राज्यपाल ने कोई कदम नहीं उठाया तो हम उठा रहे'

Lokendra Singh Sainger

सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड के सभी 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर इन दोषियों के खिलाफ और कोई केस नहीं है तो उन्हें रिहा किया जाए। साथ ही शीर्ष अदालत का कहना है कि अगर लंबे समय से राज्यपाल ने कोई कदम नहीं उठाया है तो हम उठा रहे है।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार 11 नवंबर को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे नलिनी और आर पी रविचंद्रन समेत छह हत्यारों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इससे पहले कोर्ट ने इस मामले में दोषी पेरारिवलन को भी इसी आधार पर रिहा किया था। कोर्ट ने कहा है कि इन दोषियों को पेरारिवलन के आधार पर ही रिहाई का आदेश लागू किया जाएगा। पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल के मई में रिहाई का आदेश दिया था।

आपको बता दें कि राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी नलिनी श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन ने सजा से पहले रिहाई के लिए 17 जून कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई की याचिका को खारिज कर दिया था।

इन दोषियों को मिल रही रिहाई

राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी नलिनी, रविचंद्रन, मुरुगन, संथन, जयकुमार और रॉबर्ट पॉयस को रिहाई के आदेश दिए गए है। जबकि पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने अच्छे व्यवहार के कारण 18 मई को रिहा करने का आदेश दिया था। यह आदेश जस्टिस एल नागेश्वर की बेंच ने आर्टिकल 142 का इस्तेमाल करते हुए दिया था।

पहले 19 दोषी को कर दिया गया था रिहा

राजीव गांधी हत्याकांड से जुडा फैसला टाडा कोर्ट का था, इसलिए इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। टाडा कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी। एक साल बाद सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने पूरे फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 26 में से 19 दोषियों को बरी कर दिया था। केवल 7 दोषियों की ही मौत की सजा बरकरार रखी गई थी। बाद में इसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया था।

चुनाव रैली के दौरान हुई थी राजीव गांधी की हत्या

21 मई 1991 को एक चुनावी रैली के दौरान तमिलनाडु में एक आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। उन्हें एक महिला ने माला पहनाई थी, जिसके बाद एक विस्फोट हुआ था। इस हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में कुल 41 लोगों को आरोपी बनाया गया था। 12 लोगों की मौत हो गई थी और तीन भाग गए थे। बाकी 26 आरोपी पकड़े गए।

इसमें श्रीलंकाई और भारतीय नागरिक थे। फरार आरोपी प्रभाकरण, पोट्टू ओमान और अकिला थे। आरोपियों के खिलाफ टाडा एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी। सात साल की कानूनी कार्यवाही के बाद 28 जनवरी 1998 को टाडा कोर्ट फैसला सुनाया। इसमें सभी 26 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई थी।

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