News: BJP नेता सुधांशु त्रिवेदी ने संदेशखाली मामले को लेकर चिंता व्यक्त की है। पश्चिम बंगाल में बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर सवाल खड़े किए है।
उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल इस समय प्रताड़ित दुखी और अत्याचार से पूरी तरह से टूटी हुई महिलाओं के करुण स्वरों द्वारा छलनी हो रही है।
BJP नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, पश्चिम बंगाल इस समय प्रताड़ित दुखी और अत्याचार से पूरी तरह से टूटी हुई महिलाओं के करुण स्वरों द्वारा छलनी हो रही है।
दुख की बात है कि वहां की सरकार इस विषय पर अत्यंत असंवेदनशील और अमानवीय रवैया अपना रही है।
आज भी भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष को वहां जाने से रोका गया। कल हमारे प्रदेश अध्यक्ष को बल पूर्वक वहां जाने से रोका गया और अब सरकार ने वहां धारा 144 लागू कर दी है।
वहां की SIT महिलाओं को न्याय दिलाने की जगह उन पर दवाब डालने का प्रयास कर रही है ताकि वे इस विषय को आगे ना बढ़ाए।
इतना ही नहीं प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने संदेशखाली जाने और महिला प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करने की अनुमति मांगने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करने के अपने इरादे का भी उल्लेख किया है।
आपको बता दें कि, लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखालि में महिलाओं के साथ बलात्कार और उत्पीड़न की कथित घटनाओं को लेकर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया है।
बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी ने कहा है कि संदेशखाली में महिलाएं स्वयं ही विरोध कर रही हैं और इसमें कोई राजनीति नहीं है क्योंकि उनकी पार्टी ने केवल पीड़ित महिलाओं की रक्षा करने और उनकी आवाज उठाने की कोशिश की है।
उन्होंने यह भी दावा किया है कि संदेशखाली में महिलाओं के साथ जो हुआ यह सब इराक और पाकिस्तान जैसे देशों में महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार को दर्शाता है।
वहीं इस मामले का विरोध करते हुए पार्टी नेता लॉकेट चटर्जी के नेतृत्व में भाजपा महिला प्रतिनिधिमंडल को संदेशखाली की ओर जाते समय राज्य पुलिस ने रोक दिया।
दूसरी ओर लॉकेट चटर्जी के ट्वीट के बाद टीएमसी नेता कुणाल घोष भौकला गए और लॉकेट चटर्जी पर हमला बोलते हुए कहा कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र में नहीं जाती हैं और फोटोशूट करने के लिए संदेशखाली चली गईं।
दिल्ली से उन्हें निर्देश आया कि प्रधानमंत्री मोदी पश्चिम बंगाल आ रहे हैं, तो तब तक संदेशखाली मुद्दे को जीवित रखना है…पश्चिम बंगाल में भाजपा कमजोर है इसलिए आयोग को यहां भेज रहे हैं।
सोशल एक्टीविस्ट योगिता भयाना और राजनीतिक विश्लेषक कुश अंबेडकरवादी लगातार सोशल मीडिया पर बंगाल की इस घटना को लेकर लिख रहे है।
योगिता भयाना ने सोशल मीडिया एक्स अकाउंट से कई एक्स पर पोस्ट किए है। उन पोस्ट से इस मामले को समझा जा सकता है। 10 फरवरी को उन्होंने एक पोस्ट किया जिसमें संदेशखाली की दलित-आदिवासी महिलाएं अपनी आपबीती बता रही है।