BIPIN RAWAT 
राष्ट्रीय

पहले CDS बिपिन रावत के निधन पर क्यों नहीं रखा गया देश में एक भी दिन का राष्ट्रीय शोक?

12 जनवरी 2020 को ओमान के सुल्तान काबूस बिन सईद के निधन पर उत्तर प्रदेश में 13 जनवरी को राजकीय शोक घोषित किया गया‚ लेकिन देश के सीडीएस बिपिन रावत के निधन पर इस तरह का कोई राष्ट्रीय शोक घोषित नहीं किया गया। ऐसे में सोशल मीडिया यूजर्स ये भी कह रहे हैं कि जब किसी विदेशी शख्सियत के निधन पर किसी राज्य में राजकीय शोक घोषित किया जा सकता है तो केंद्र सरकार ने सीडीएस रावत के निधन पर राष्ट्रीय शोक घोषित करना क्यों उचित नहीं समझा।

Deepak Kumawat

भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत का बुधवार को हेलीकॉप्टर हादसे में निधन हो गया इसमें उनकी पत्नी मधुलिका रावत सहित 11 जवानों ने जान गवा दी। बिपिन रावत के निधन के बाद लगातार ये बात उठ रही है की उनके निधन पर राष्ट्रीय शोक आखिर क्यों नहीं रखा गया। आखिर वो देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ थे। इधर उत्तराखंड में 3 दिन की राजकीय शोक की घोषणा गई‚ सवाल यह भी उठ रहा है देश के इतने बड़े योद्धा के निधन पर क्या राष्ट्रीय शोक नहीं घोषित किया जाना चाहिए था ? फिर ऐसी क्या वजह रही कि उनकी शहीदी पर राष्ट्रीय शोक नहीं रखा गया। आज हम आपको इसी राष्ट्रीय शोक के बारे में बता रहे हैं कि देश की किन- किन महत्वपूर्ण पदों पर रहने वाले शख्सियतों के निधन पर राष्ट्रीय शोक को सरकारी की ओर से घोषित किया जाता है।

राष्ट्रीय शोक को लेकर कानून क्या क्या कहता है ? राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाता है

अगर नियम और कानून की बात की जाए तो देश के प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, पूर्व राष्ट्रपति लिए ही राष्ट्रीय शोक रखा जाता था, बता दें कि भारत में पहला राष्ट्रीय शोक महात्मा गांधी की हत्या के बाद घोषित किया गया था, परंतु समय के साथ-साथ नियम बदलते गए

राष्ट्रीय शोक को लेकर किसी तरह की SOP नहीं
राष्ट्रीय शोक को लेकर किसी भी प्रकार की SOP (मानक संचालन प्रक्रिया) नहीं है, सरकार विशेषाधिकार के अनुसार किसी के निधन को राष्ट्रीय शोक की कैटेगरी में रखना चाहती है तो इसके बाद राष्ट्रीय शोक कि घोषणा की जाती है।
राजकीय शव यात्रा में कोई सार्वजनिक छुट्टी जरूरी नहीं
अगर राजकीय शोक के बारे में बात की जाए तो केंद्र सरकार के 1997 की नोटिफिकेशन में यह साफ कहा गया कि राजकीय शव यात्रा में कोई सार्वजनिक छुट्टी जरूरी नहीं है। सार्वजनिक छुट्टी को इस दौरान खत्म कर दिया गया और उसके बाद राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए अगर निधन हो जाता है तो राष्ट्रीय शोक की घोषणा कर दी जाती है।
राष्ट्रीय शोक के बारे में बातचीत के दौरान रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन शिव सिंह धूलिया ने सिंस इंडिपेंडेंस को बताया कि केंद्र सरकार गणमान्य व्यक्तियों के मामले में विशेष निर्देश जारी कर राष्ट्रीय शोक का ऐलान कर सकती है तथा देश में किसी बड़ी आपदा के समय राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जा सकती है।
रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन शिव सिंह धूलिया

ओमान के सुल्तान विपिन रावत के निधन के बाद योगी सरकार पर क्यों उठ रहे सवाल ?

दरअसल उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर सवाल इसलिए उठाए जा रहे हैं क्यों की 12 जनवरी 2020 को ओमान के सुल्तान काबूस बिन सईद के निधन पर उत्तर प्रदेश में 13 जनवरी को राजकीय शोक घोषित किया गया था

परंतु सीडीएस बिपिन रावत के निधन के बाद राजकीय शोक घोषित करने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं क्योंकि उस दौरान उत्तराखंड राज्य के तौर पर अस्तित्व ने नहीं आया था और बिपिन रावत पौड़ी गढ़वाल के मूल निवासी थे।

सोशल मीडिया पर तर्क दिया जा रहा है कि वर्तमान में गढ़वाल उत्तराखंड में आता है लेकिन पहले उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार को भी राजकीय शोक की घोषणा की जानी चाहिए थी इसी को लेकर सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

लेकिन सवाल तो ये भी है कि जब उत्तरप्रदेश सरकार किसी पारए देश के नागरिक के निधन पर राजकीय शोक की घोषणा कर सकती है तो केंद्र सरकार ने सीडीएस जनरल बिपिन रावत के निधन पर विशेषाधिकार का उपयोग करते हुए राष्ट्रीय शोक की घोषणा क्याें नहीं की।

Like Follow us on :- Twitter | Facebook | Instagram | YouTube

Diabetes से हो सकता है अंधापन, इस बात का रखें ख्याल

बीफ या एनिमल फैट का करते है सेवन, तो सकती है यह गंभीर बीमारियां

Jammu & Kashmir Assembly Elections 2024: कश्मीर में संपन्न हुआ मतदान, 59 प्रतिशत पड़े वोट

Vastu के अनुसार लगाएं शीशा, चमक जाएगी किस्मत

Tiger Parks: भारत के 8 फेमस पार्क,जहां आप कर सकते है टाइगर का दीदार