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फारूक अब्दुल्ला की सरकार और सेना को चुनौती! कहा- चुनाव में हस्तक्षेप किया तो तूफान आएगा...

नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने विवादित बयान दिया है। फारूक अब्दुल्ला ने सरकार और सुरक्षा बलों को किसी भी चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करने की भी चेतावनी दी।

Kunal Bhatnagar

नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने विवादित बयान दिया है। अब्दुल्ला ने आरोप लगाया है कि सेना ने कभी भी कश्मीर के लोगों को वोट नहीं डालने दिया। लोग जाते थे तो पैर तोड़ देने की धमकी देते थे। ईवीएम को कब्जे में रखते थे। उन्होंने धमकी दी कि वह सेना और सरकार से कहना चाहते हैं कि वे चुनाव में दखल न दें, नहीं तो ऐसा तूफान आएगा जिस पर आप काबू नहीं पा सकेंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि 2018 में पंचायत चुनाव का बहिष्कार करना एक बड़ी गलती थी और पार्टी को भविष्य में जम्मू-कश्मीर में हर चुनाव लड़ना चाहिए।

सरकार और सुरक्षा बलों को किसी भी चुनाव में हस्तक्षेप नहीं करने की भी चेतावनी

फारूक अब्दुल्ला ने सरकार और सुरक्षा बलों को किसी भी चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करने की भी चेतावनी दी। उन्होंने पार्टी के प्रतिनिधि को संबोधित करते हुए कहा, 'मैं पार्टी को बताना चाहता हूं कि पंचायत चुनाव (2018) का बहिष्कार करना एक बड़ी गलती थी। यह याद रखें, हम आगामी किसी भी चुनाव का बहिष्कार नहीं करेंगे। इसके बजाय (हम) चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे।

फारूक की उमर अब्दुल्ला को नसीहत

फारूक अब्दुल्ला को फिर से नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) का अध्यक्ष चुना गया है। इस मौके पर उन्होंने अपने बेटे उमर अब्दुल्ला की इस घोषणा का जिक्र किया कि वह जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बने रहने तक चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा, 'पार्टी अध्यक्ष के तौर पर मैं आपसे (उमर अब्दुल्ला) कह रहा हूं कि आपको चुनाव लड़ना होगा।' उन्होंने कहा, 'क्योंकि अगर हमें उनसे लड़ना है तो हम सभी को मैदान में आकर चुनाव लड़ना होगा'

'वफादारी खरीदने की कोशिश करेगी बीजेपी'

फारूक ने कहा कि भाजपा कुछ भी करेगी, यहां तक कि आपकी वफादारी को खरीदने की कोशिश भी करेगी, लेकिन भगवान उनकी सभी योजनाओं को विफल कर देगा। अब्दुल्ला ने सुरक्षा बलों और सरकार को चेतावनी दी कि वे जम्मू-कश्मीर के चुनावों में हस्तक्षेप न करें और लोगों को तय करने दें कि किसे वोट देना है। उन्होंने कहा कि नहीं तो ऐसा तूफान आएगा, जिसे तुम काबू नहीं कर पाओगे।

फारूक अब्दुल्ला ने 1996 का जिक्र किया

फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'जब मैं (1996 में जम्मू-कश्मीर का) मुख्यमंत्री था तब मैं डोडा के एक गांव में गया था जहां मतदान हो रहा था। मैंने वहां किसी को नहीं देखा क्योंकि वोटिंग मशीनें सेना के कैंप में रखी हुई थीं। जब मैंने पूछा कि यहां कोई क्यों नहीं है तो उन्होंने (सैनिकों ने) कहा कि कोई वोट देने नहीं आया।

मैं गाँव गया और एक दुकानदार से पूछा जिसने मुझे बताया कि सैनिकों ने हमें (मतदान) मशीनों के पास नहीं आने के लिए कहा था, अन्यथा वे हमारे पैर तोड़ देंगे। इसके बाद फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मैं सेना और सरकार से कहना चाहता हूं कि चुनाव में दखलअंदाजी न करें, नहीं तो ऐसा तूफान आएगा जिस पर आप काबू नहीं कर पाएंगे।

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