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Covishield: टीके के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए लोग कर रहें ब्लड थिनर का इस्तेमाल, हो सकता है जानलेवा

Madhuri Sonkar

एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड के दुष्प्रभाव सामने आने के बाद से टीकाकरण करा चुके लोगों के मन में कई तरह का डर बना हुआ है। अप्रैल के आखिरी हफ्ते में वैक्सीन निर्माता कंपनी ने ब्रिटेन की कोर्ट में स्वीकार किया था कि टीकाकरण करा चुके लोगों को दुर्लभ स्थितियों में खून का थक्का बनने की समस्या हो सकती है।

वैसे तो इस संबंध में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि वैक्सीन से होने वाले दुष्प्रभाव काफी दुर्लभ हैं, 10 लाख लोगों में 7-10 में इस तरह के दुष्प्रभाव हो सकते हैं इसलिए टीकाकरण करा चुके लोगों को डरने या घबराने की जरूरत नहीं है।

खून पतला करने के लिए कर रहें लोग दवाओं को इस्तेमाल

डॉक्टरों का कहना है कि टीकाकरण और दवाओं से होने वाले दुष्प्रभाव आमतौर पर कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों में ही दिखने लगते हैं। वहीं ज्यादातर लोगों को वैक्सीन लिए दो साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। ऐसे में अब टीके से होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर चिंतित होने का जरूरत नहीं है।

मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि वैक्सीन के दुष्प्रभावों के डर से बचने के लिए लोगों ने खून को पतला करने वाली दवाएं लेनी शुरू कर दी हैं। इस बारे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि बिना डॉक्टरी सलाह के ब्लड थिनर जैसी दवाएं गंभीर समस्याकारक हो सकती हैं। इस तरह की गलतियां करने से बचना चाहिए।

ब्लड थिनर जिसे आमतौर पर खून पतला करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ये दवाएं आमतौर पर उन्हें दी जाती है जिनका रक्त काफी गाढ़ा होता है और थक्के बनने के कारण हार्ट अटैक या स्ट्रोक जैसी जानलेवा समस्याओं का डर होता है।

ये दवाएं शरीर में रक्त का थक्का बनाने की प्रक्रिया को धीमा कर देती हैं। हालांकि बिना डॉक्टरी सलाह के इन दवाओं का सेवन गंभीर और जानलेवा दुष्प्रभावों को बढ़ाने वाले हो सकते हैं। वैक्सीन निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना था कि टीकाकरण करा चुके कुछ लोगों को दुर्लभ स्थितियों में थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) होने का जोखिम हो सकता है।

डॉक्टर "थ्रोम्बोसिस" शब्द का उपयोग रक्त का थक्का बनने की समस्या के रूप में करते हैं, ये रक्त वाहिकाओं को अवरुद्ध कर सकता है। कभी-कभी यह शरीर के कुछ हिस्सों में रक्त के प्रवाह को बाधित भी कर सकता है।

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया तब होता है जब किसी व्यक्ति में प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। प्लेटलेट्स रक्त के महत्वपूर्ण घटक होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में मदद करते हैं। इसके कई गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। ये गंभीर रक्तस्राव का कारण बन सकती है।

इसमें नाक और मसूड़ों से खून आने, थोड़ी से कटने के बाद बहुत ज्यादा खून बहने जैसी दिक्कतें देखी जाती रही हैं। इसके अलावा खून को पतला करने वाली दवाओं के कारण चक्कर आने, मांसपेशियों में कमजोरी, बालों के झड़ने और चकत्ते पड़ने का भी खतरा हो सकता है।

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