राष्ट्रीय

Fire in Hospitals : खामियों के जख्म..बेबस चीत्कार..लचर व्यवस्था.. मरीज-परिजन लाचार

अस्पतालों में आए दिन आग की घटनाएं सामने आने के बावजूद शासन-प्रशासन से लेकर जिम्मेदार अफसर कोई कारगर कदम नहीं उठाते। ऐसे में इन लापरवाहियों की भेंट चढ़ते हैँ मरीज, परिजनों और अस्पतालकर्मी। इसके बाद जांच के नाम्र पर लीपापोती की जाती है और कुछ दिनों बाद मामला रफा-दफा हो जाता है।

Om Prakash Napit

अस्पतालों में लापरवाही की आग आए दिन लोगों का जीवन लील रही है, लेकिन जिम्मेदार हैँ कि जांच बिठाने और एक दूसरे पर दोषारोपण के जबानी तीर चलाकर जख्मी दिलों को और जख्म देने से बाज नहीं आते। ऐसे हादसों के लिए जिम्मेदार स्थानीय शासन प्रशासन के अधिकारी और सरकारों में बैठे जनता के नुमाइंदे कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाते। शायद उनके लिए बच्चों, मरीजों और परिजनों के साथ् अस्पताल स्टॉफ के जीवन की कोई विशेष चिंता नहीं है। देश के कई अस्पतालों में आग लगने और ऐसे हादसों में आए दिन लोगों की जानें जा रही हैं, लेकिन ऐसे हादसे होने के कारणों और उनके निवारण के लिए ठोस प्रयास नहीं होते।

हमेशा की तरह अब एक हादसा मध्यप्रदेश के जबलपुर में सामने आया है। सोमवार को एक निजी अस्पताल में आग लगने से 8 लोगों की जान चली गई, जबकि इतने ही लोगों हालत गंभीर बताई जा रही है। इससे पहले भी अस्पतालों में आग लगने की कई बड़ी घटनाएं हो चुकीं। इनमें देश की आर्थिक नगरी मुंबई में गत वर्ष मार्च, अप्रैल माह में हुए दो बड़े हादसे सबकों याद हैं, जिनमें करीब दो दर्जन की जान चली गई थीं। इसके अलावा मई 2021 में गुजरात के भरूच में एक अस्पताल में लगी आग से 18 कोरोना मरीजों की मौत हो गई थी। इसी प्रकार मध्य प्रदेश की राजधानी भोजपा का हमीदिया अस्पताल बार-बार आग लगने की घटनाओं के कारण सुर्खियों में रहा। यहां गत वर्ष दो हादसों में ही डेढ़ दर्जन बच्चों ने असमय जान गंवा दी।

आग लगने के कुछ कारण

अस्पतालों में आग की घटनाएं होने के पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण हैँ। जैसे शॉर्ट सर्किट होना, बिजली उपकरणों की नियमित देख रेख नहीं होना, सेफ्टी उपकरणों का अभाव, अस्पताल कर्मियों को आग बुझाने का प्रशिक्षण नहीं दिया जाना, अस्पताल में आने वाले परिजनों और अटैंडेंट द्वारा इधर-उधर जलती बीड़ी, सिगरेट या माचिस की तिली फेंक देना, एनओसी देते समय बरती गई खामियां, आग लगने पर मरीजों को शिफ्ट करने में देरी या साधनों का अभाव, आग से जलने की स्थिति में आईसीयू आदि में पर्याप्त बैड व संसाधनों की कमी, ऑक्सीजन गैस की कमी समेत डॉक्टरों और नर्सिंग स्टॉफ का अभाव।

इन उपायों व सावधानियों पर दिया जाए ध्यान

  • अस्पतालों का सेफ्टी ऑडिट और फायर सेफ्टी ऑडिट नियमित रूप से किया जाना चाहिए, ताकि ये पता लगाया जा सके कि अस्पताल में आग बुझाने के उपकरण ठीक ढंग से काम कर रहे हैं या नहीं।

  • अस्पताल के सभी कर्मचारियों को आग बुझाने के उपकरण चलाने और आग से निपटने की तैयारी करने का प्रशिक्षण देना ज़रूरी।

  • एयर हैंडलिंग यूनिट (AHU) को भी इंटेंसिव केयर यूनिट (ICU) में लगाया जाना चाहिए, ताकि वो हवा का प्रवाह नियमित कर सके।

  • अस्पताल के संसाधनों और बिजली के उपकरणों की क्षमता के आधार पर तय की जानी चाहिए।

  • हर अस्पताल में लोक निर्माण विभाग के सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के कर्मचारी भी होने चाहिए।

  • बिजली के उपकरणों को सावधानी से उचित जगह पर लगाने और ज़्यादा ऑक्सीजन वाले इलाक़ों में बिजली के उपकरणों की नियमित रूप से निगरानी।

  • अस्पतालों की ज़रूरतें पूरी करने लायक़ कर्मचारी हों और जरूरी संसाधनों के लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था हो।

  • सभी अस्पतालों को नेशनल एक्रेडिटेशन फॉर हॉस्पिटल्स ऐंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (NABH) के दायरे में लाया जाना चाहिए।

  • इंटेंसिव केयर यूनिट (ICU) वाले इलाक़ों में ऑक्सीजन की निगरानी के उपकरण लगाए जाएं।

  • बिजली के पुराने उपकरण और तार समय-समय पर बदलें जाएं और देखरेख की पूरी व्यवस्था हो।

अब तक हुए कुछ बड़े हादसे

जनवरी 2018 : यूपी के बरेली में स्टेडियम रोड स्थित साईं अस्पताल के आईसीयू में आग लगने से 2 मरीजों की मौत हो गई। हादसा 15 जनवरी को सुबह करीब तीन बजे हुआ। चीख पुकार व अफरा तफरी के बीच बाकी मरीजों को आननफानन में आईसीयू से बाहर निकाला गया।

मार्च 2021 : मुंबई के भांडुप इलाके में स्थित ड्रीम्‍स मॉल में चल रहे एक सनराइज अस्‍पताल में आग लगने से 10 लोगों की मौत हो गई। यह अस्पताल चार मंजिला मॉल की सबसे ऊपरी मंजिल पर स्थित है और जब आग लगी तो उस समय बताया गया कि 76 मरीज मौजूद थे, जिनमें से ज्यादातर कोविड-19 का इलाज करा रहे थे।

अप्रैल, 2021 : मुंबई के कोविड अस्पताल में आग लगने की वजह से बड़ा हादसा हो गया, आग लगने की वजह से 13 मरीजों की मौत हो गई, बताया जा रहा है कि मुंबई के विजय वल्लभ अस्पताल के ICU में ये आग लगी, सुबह करीब 3 बजे शॉर्ट सर्किट की वजह से आग भड़की, कहा जा रहा है कि हादसे के वक्त ICU में 17 कोरोना मरीज भर्ती थे।

मई 2021 : गुजरात के भरूच में पटेल वेलफेयर अस्पताल में लगी आग लगने से 18 कोरोना मरीजों की मौत हो गई। आग रात 12:30 बजे लगी। 50 अन्‍य मरीजों को बचा लिया गया है और उन्‍हें दूसरे अस्‍पताल में शिफ्ट किया गया है, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर थी।

नवबंर, 2021 : महाराष्ट्र के अहमदनगर के सिविल अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भीषण आग लगने से 10 लोगों की मौत हो गई है। वहीं 13-14 लोग जख्मी हो गए थे। आग लगने के दौरान आईसीयू वार्ड में 20 लोग मौजूद थे, इनमें से कुछ वैंटिलेटर पर भी थे। हॉस्पिटल के वार्ड बॉय, नर्स और डॉक्टर्स ने सभी मरीजों को सेफ वार्ड में शिफ्ट किया। जिस वार्ड में आग लगी, वह अस्पताल के बिलकुल बीचो-बीच है।

नवबंर, 2021 : भोजपा के हमीदिया अस्पताल में लगी आग में 12 बच्चों की मौत हो गई है। अस्पताल के भीतर पुरानी वायरिंग, वार्ड के अंदर झूलते बिजली के तारों हादसे का कारण बताए गए। इसी अस्पताल आग लगने की एक अन्य घटना में 4 बच्चों की जान चली गई थी। जानकारों का कहना है कि हमीदिया अस्पताल के पीडियाट्रिक वार्ड में गत वर्ष छह माह में ही आग की तीस घटनाएं हुईं। इससे पहले भी दो बार इसी वार्ड में आग लग चुकी है।

1 अगस्त 2022 : मध्य प्रदेश के जबलपुर में सोमवार दोपहर एक निजी अस्पताल में आग लग गई। हादसे में 8 लोगों की मौत हो गई। इनमें 4 स्टाफ भी हैं। 8 की हालत गंभीर बताई जा रही है। आग यहां स्थित तीन मंजिला न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में जनरेटर में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी बताई। हादसे के वक्त अस्पताल में 35 लोग थे इसलिए आशंका जताई जा रही थी कि मृतकों की संख्या बढ़ भी सकती है।

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