उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल को तीन बदमाशों ने मिलकर हत्या कर दी। हत्यारे मीडियाकर्मी के वेश में आए और ताबड़तोड़ 18 गोलियां चलायीं। 44 वर्षों तक अतीक अहमद के खौफ का अंत होने के बाद प्रयागराज के लोगों ने राहत की साँस ली।
हैरान कर देने वाली बात तो ये है कि माफिया भाईयों की हत्या होते ही विदेशी मीडिया ने अपना प्रोपेगेंडा शुरू कर दिया।
बीबीसी ने हमदर्दी दिखाते हुए शीर्षक में लिखा कि ‘भारतीय माफिया डॉन से राजनेता बने व्यक्ति की बेशर्मी से हत्या’। इस लेख में माफिया अतीक का महिमामंडन किया गया जबकि उसकी करतूतों को नजरअंदाज किया गया है। आम जनता को प्रताड़ित करने वाले को यूपी के पूर्व DGP विक्रम सिंह ने तो ‘रॉबिनहुड’ तक बताया दिया।
अमेरिका का मीडिया संस्थान (CNN) ने अतीक को पूर्व राजनेता और हत्यारों पर धार्मिक नारे लगाने का आरोप लगाया।
अब सवाल ये उठता है कि क्या ये 'अल्लाह हू अकबर' चिल्ला कर गला रेते जाने की घटनाओं पर बेबाकी से लिखते है?
मीडिया संस्थानों की बेशर्मी देखिए, अपने लेख में यूपी में एनकाउंटर में मारे गये 180 अपराधियों को ही ‘Suspected Criminals’ बता दिया।
जबकि न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) ने हत्या को ‘असंवैधानिक हत्या’ और यूपी को ‘धार्मिक एजेंडे’ वाला बताया है।
इससे आप समझे विदेशी मीडिया हमारे देश में कौनसा एजेंडा चला रही है?