दिल्ली के कामराज रोड स्थित सीडीएस भवन में पिछले पांच दिनों से गरुण पुराण चल रहा है। हेलीकॉप्टर हादसे में जान गंवाने वाले जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी की आत्मा की शांति के लिए पूरा परिवार पिछले एक हफ्ते से सीडीएस भवन में है|इनमें जनरल रावत की दोनों बेटियां, अमेरिका से आई उनकी भाभी, उनका साला और उनका पूरा परिवार शामिल है।
जनरल रावत के बहनोई यशवर्धन सिंह ने बताया कि,
परिवार को एक महीने के भीतर सीडीएस भवन छोड़ना पड़ सकता है और सरकार की ओर से एक नए घर में स्थानांतरित किया जा सकता है।
जनरल रावत के परिवार में अब केवल एक बेटी बची है, जो दिल्ली में ही कानून की प्रैक्टिस कर रही है। उनकी बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है और वह मुंबई में रहती है। उनकी बहन अमेरिका में रहती हैं। एक छोटा भाई भी सेना से सेवानिवृत्त हो चुका है और वह जयपुर में रहता है।
अंतिम संस्कार की रस्में 20 दिसंबर तक जारी रहेंगी, तब तक परिवार सीडीएस भवन में ही रहेगा। सिंह के मुताबिक रावत की बेटी से यह भी पूछा जा रहा है कि वह कहां रहना चाहती है। बड़ी बहन उसे मुंबई चलने के लिए कह रही है। वहीं उसकी मौसी उसे कुछ दिनों के लिए अपने साथ अमेरिका ले जाना चाहती है।
जनरल रावत के परिवार को भी छोटी बेटी की शादी के लिए लड़के की तलाश थी, लेकिन तभी ये हादसा हो गया। जनरल बिपिन रावत का नोएडा सेक्टर 37 में अपना घर भी है, लेकिन वह कई सालों तक उसमें नहीं रह सके। वर्षों से वे ऊँचे पदों पर आसीन होने के कारण सरकारी भवन में बने हुए हैं।
उधर, जनरल रावत के बहनोई यशवर्धन सिंह को सांसद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बुधवार सुबह फोन किया | दरअसल, उन्होंने एक दिन पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट कर खुलासा किया था कि जिस दिन दिल्ली में देवर और दीदी का अंतिम संस्कार चल रहा था, उसी समय शहडोल में उनकी निजी संपत्ति उनकी सहमति के बिना हासिल की गई थी और मुआवजा भी नहीं दिया।
उनके पोस्ट के बाद अधिग्रहण रोक दिया गया है और गृह मंत्री ने फोन पर बात की है और कहा है कि कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। सिंह के अनुसार कार्रवाई का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है। उल्टा सरकार बिना मुआवजा दिए उनकी जमीन पर कब्जा कर रही है। उन्होंने कहा कि वह 20 दिसंबर को शहडोल आएंगे, जिसके बाद कलेक्टर ने उनसे बात कर आगे बढ़ने को कहा है |