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कई मुस्लिम देशों में है हिजाब पर पाबंदी फिर भारत में क्यों है विवाद !

Raunak Pareek

कर्नाटक के कॉलेज से शुरू हुआ हिजाब का मुद्दा कोर्ट पहुंच चुका है. इस मुद्दे पर देशभर में चर्चा है. फिलहाल मामला कोर्ट में है इस कारण इस पर कुछ भी टिप्पणी करना ठीक नहीं होगा. फिलहाल इस मुद्दे पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने छात्र-छात्राओं से साफ कह दिया है कि फिलहाल वे शिक्षण संस्थानों में ऐसी कोई पोशाक पहनने पर जोर न दें, जिससे लोग भड़क सकते हैं. कोर्ट का ये इशारा सीधे तौर पर हिजाब और भगवा स्कार्फ दोनो के लिए है. हाईकोर्ट ने छात्राओं की अनुच्छेद 25 वाली दलील को न मानते हुए फिलहाल कर्नाटक के कॉलेजों में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी है. हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई जिस पर तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने साफ इनकार कर दिया. किसी की नज़र में ये संवैधानिक अधिकार है तो किसी का ये मानना है कि शिक्षण संस्थानों में धार्मिक प्रतीकों को पहनना सही नहीं. लेकिन दुनिया में कुछ देश ऐसे हैं जहां बरसों पहले ही सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकने या इस्लामिक नक़ाबों पर रोक प्रतिबंध लगा दिया गया था तो वही कुछ देशों में तो इन नियमों के उल्लंघन पर मोटा जुर्माना भी वसूलने का प्रावधान भी है.

फ़्रांस

फ़्रांस

फ़्रांस में 11 अप्रैल 2011 को सार्वजनिक जगहों पर पूरे चेहरे को ढकने वाले इस्लामी नक़ाबों पर प्रतिबंध लगाया था. फ़्रांस यह प्रतिबंध लगाना वाला पहला यूरोपीय देश था. इस प्रतिबंध में वह सभी लोग शामिल थे. जो चेहरा ढ़कते थे. फिर चाहे वह फ्रांसीसी हो या फिर कोई विदेशी. घर के बाहर पूरा चेहरा ढककर नहीं जा सकती थी. सरकार के नियम की पालना ना करने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया. उस समय निकोला सारकोज़ी फ़्रांस के राष्ट्रपति हुआ करते थे. लगाए गए प्रतिबंध पर सारकोज़ी प्रशासन का कहना था कि पर्दा महिलाओं के साथ अत्याचार के समान है और फ़्रांस में इसका स्वागत नहीं किया जाएगा.

फिर 5 साल बाद यानि साल 2016 में फ़्रांस में एक और विवादित क़ानून लाया गया. इस बार बुर्किनी नाम से मशहूर महिलाओं के पूरे शरीर ढंकने वाले स्विम सूट पर भी बैन लगाया गया लेकिन बाद में शीर्ष कोर्ट ने इस कानून को रद्द कर दिया.

फ़्रांस में तकरीबन 50 लाख मुस्लिम महिलाएं रहती हैं. जो यूरोप में सबसे ज्यादा है, परंतु केवल 2 हज़ार महिलाएं ही बुर्क़ा पहनती हैं.

इन नियमों को ना मानने वालों पर 150 यूरो का जुर्माना तय किया गया.वहीं अगर कोई किसी महिला को चेहरा ढकने पर मजबूर करता है तो उस पर 30 हज़ार यूरो के जुर्माने का प्रावधान भी किया गया.

बेल्जियम

बेल्जियम

यूरोप का एक और देश बेल्जियम. जहां भी पूरा चेहरा ढकने पर जुलाई 2011 में ही प्रतिबंध लगाया गया. इस नए क़ानून में सार्वजनिक जगहों पर ऐसे किसी भी पहनावे पर रोक थी जिसमें व्यक्ति साफ रुप से दिखाई ना दे. दिसंबर 2012 में बेल्जियम की संवैधानिक अदालत ने इस प्रतिबंध को रद्द करने की मांग वाली याचिका को ये बात कहते हुए ख़ारिज किया कि इससे मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं हो रहा है. बेल्जियम के कानून को यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने साल 2017 में भी बरकरार रखा.

नीदरलैंड्स

नीदरलैंड्स

नवंबर 2016 में नीदरलैंड्स के सांसदों ने भी इस्लामिक नक़ाबों पर रोक का समर्थन किया था. किसी भी स्कूल-अस्पतालों जैसे सार्वजनिक स्थलों और सार्वजनिक परिवहन में सफ़र के दौरान पूरा चेहरा नहीं ढ़का जा सकता. हालांकि, इस प्रतिबंध को क़ानून बनने के लिए बिल का संसद में पास होना ज़रूरी था. अंत में जून 2018 में नीदरलैंड्स में चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगाया गया.

इटली

इटली

इटली में नक़ाबों पर प्रतिबंध पूरे देश में नहीं है लेकिन इटली के कुछ शहरों में चेहरा ढकने वाले नक़ाबों पर प्रतिबंध है. इसमें वहां का नोवारा शहर भी शामिल है. इटली के लोंबार्डी क्षेत्र में दिसंबर 2015 में बुर्क़ा पर बैन को लेकर सहमति बनी और जनवरी 2016 में नियम लागू हुआ.

जर्मनी

जर्मनी

6 दिसंबर 2016 को जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल ने कहा
देश में जहां कहीं भी क़ानूनी रूप से संभव हो, पूरा चेहरा ढकने वाले नक़ाबों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए."

वैसे तो जर्मनी में फिलहाल इस पर कोई कानून नहीं है, लेकिन वहां ड्राइविंग के दौरान चेहरे को पूरा ढकना ग़ैर-क़ानूनी है.

वही जर्मनी की संसद के निचले सदन ने वहां के जजों सरकारी कर्मचारियों और सैनिकों के लिए आंशिक प्रतिबंध की मंज़ूरी दी थी. यहां पूरा चेहरा ढकने वाली महिलाओं के लिए ज़रूरत पर चेहरा दिखाने को अनिवार्य किया गया था.

नॉर्वे

नॉर्वे

यूरोपियन देश नॉर्वे में जून 2018 में पास हुए एक क़ानून के तहत स्कूले और कॉलेज में चेहरा ढकने वाले कपड़े पहनने पर रोक है.

ऑस्ट्रिया

ऑस्ट्रिया

ऑस्ट्रिया में भी अक्टूबर 2017 में स्कूलों और अदालतों जैसे सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकने पर बैन लगा दिया गया.

स्पेन

स्पेन

वैसे तो स्पेन में नेशनल लेवल पर प्रतिबंध की कोई योजना नहीं है, लेकिन साल 2010 में बार्सिलोना शहर में नगर निगम कार्यालय, बाज़ार, पुस्तकालय आदी सार्वजनिक जगहों पर पूरा चेहरा ढकने वाले इस्लामिक नक़ाबों पर प्रतिबंध का ऐलान किया गया था. लेकिन लीडा शहर में लगे बैन को स्पेन की सुप्रीम कोर्ट ने फ़रवरी 2013 में पलट दिया था. कोर्ट ने कहा था कि यह धार्मिक आज़ादी का उल्लंघन है.

ब्रिटेन

ब्रिटेन

वैसे तो ब्रिटेन में इस्लामिक पोशाक़ों पर किसी भी तरह की रोक नहीं है लेकिन वहां स्कूलों को अपना ड्रेस कोड तय करने की इजाज़त है. लेकिन जब अगस्त 2016 में एक पोल हुआ जहां पर लगभग 57 प्रतिशत ब्रिटेन की जनता ने यूके में बुर्क़ा प्रतिबंध के पक्ष में वोट किया.

अफ़्रीका

अफ़्रीका

साल 2015 में बुर्काधारी महिलाओं ने कई बड़े आत्मघाती हमलों को अंजाम दिया था. इसके बाद चाड, कैमरून के उत्तरी क्षेत्र, नीजेर के कुछ एरिया और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कॉन्गो में पूरा चेहरा कवर करने पर रोक लगा दी गई.

तुर्कि

तुर्कि

बात करें तुर्कि की तो 85 साल से भी ज़्यादा लंबे समय तक तुर्की आधिकारिक तौर पर धर्मनिरपेक्ष देश हुआ करता था. उस समय तुर्की के संस्थापक मुस्तफ़ा कमाल अतातुर्क ने हिजाब को पिछड़ी सोच वाला बताते हुए इसे ख़ारिज कर दिया था.

आधिकारिक भवनों और देश में कुछ पब्लिक जगहों पर हिजाब पर रोक लगाई गई, लेकिन इस मुद्दे पर देश में रहने वाली मुस्लिम बहुल आबादी की अलग-अलग राय देखने को मिलती है.

तुर्की के पीएम और राष्ट्रपति की पत्नियों और बेटियों के साथ सभी तुर्कि महिलाओं में से दो-तिहाई अपने सिर को कवर करके रखती है.

साल 2008 की बात करें तो तुर्की के संविधान में कुछ संशोधन कर यूनिर्वसिटी में प्रतिबंधों में थोड़ी राहत दी गई. जिसमें ढीले बंधे हिजाब भी शामिल है. हालांकि, गर्दन और पूरा चेहरा छिपाने वाले नक़ाबों पर रोक जारी रही.

फिर साल 2013 में तुर्की ने राष्ट्रीय संस्थानों में महिलाओं को हिजाब पहने पर लगे प्रतिबंधो को वापस ले लिया. हालांकि, न्यायिक, सैन्य और पुलिस जैसी सेवाओं पर रोक जारी रही. साल 2016 में तुर्की ने महिला पुलिसकर्मियों को भी हिजाब पहनने की इजाज़त दी.

डेनमार्क

डेनमार्क

डेनमार्क की बात करें तो संसद ने 2018 में पूरा चेहरा ढकने वालों के लिए जुर्माने के प्रावधान वाले बिल को मंजूरी दी गई. इस क़ानून के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति दूसरी बार नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर पहली बार के मुक़ाबले 10 गुना ज्यादा जुर्माना लगेगा या फिर 6 महीने तक जेल की सज़ा होगी. जबकि किसी को बुर्क़ा पहनने के लिए मजबूर करने वाले लोगों पर जुर्माना या दो साल की जेल भी हो सकती है.

वहीं 10 साल पहले सरकार ने ऐलान किया था कि जजों को कोर्ट रुम में हेडस्कार्फ़ और इसी तरह के अन्य धार्मिक या राजनीतिक प्रतीकों जैसे क्रूस, टोपी या पगड़ी, को पहनने की रोक रहेगी.

रूस

रूस

रूस के स्वातरोपोल क्षेत्र में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध है. रूस में ये इस तरह का पहला प्रतिबंध है. जुलाई 2013 में रूस की सुप्रीम कोर्ट ने इस फ़ैसले को कायम रखा.

स्विट्ज़रलैंड

स्विट्ज़रलैंड की बात करें तो यहां साल 2009 में, स्विस की न्याय मंत्री रहीं एवलीन विडमर ने कहा –
अगर ज़्यादा महिलाएं नक़ाब पहने दिखीं तो इसपर प्रतिबंध को लेकर विचार किया जाना चाहिए.

स्विट्ज़रलैंड

वहीं सितंबर 2013 जब वोटिंग हुई तो देश के तिसिनो में लगभग 65 प्रतिशत लोगों ने किसी भी समुदाय द्वारा सार्वजनिक स्थलों में चेहरा ढकने पर बैन का समर्थन किया. यह पहली बार था जब स्विट्ज़रलैंड के 26 प्रांतों में से कहीं पर भी इस तरह का बैन लगा हो. स्विट्ज़रलैंड की 80 लाख की आबादी में से तकरीबन 3 लाख 50 हज़ार की संख्या मुसलमानों की हैं.

बुल्ग़ारिया

बुल्ग़ारिया

बुल्ग़ारिया की संसद ने एक विधेयक अक्टूबर 2016 को पारित किया. जिसमें कहा गया की जहां महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकती हैं उनपर जुर्माना लगाया जाए या फिर उन्हें मिलने वाली सुविधाओं में कटौती की जाएगी.

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