पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का क्रूर चेहरा सामने आया है। बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी टीमसी ने आदिवासी समुदाय से आने वाली महिलाओं को सड़क पर रेंगते हुए टीएमसी ऑफिस पहुंचकर फिर से पार्टी की सदस्यता लेने के लिए मजबूर करने की खबर सामने आई है। बंगाल बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सुकांत मजूमदार ने ट्विटर पर वीडियो शेयर करते हुए ये दावा किया।
बीजेपी के नेता मजूमदार की ओर से शेयर किये गये वीडियो में तीन महिलाएं सड़क पर रेंगते दिखाई दे रही है। ये घटना बालूरघाट की बताई जा रही है। सड़क पर दंडवत कर टीएमसी कार्यालय पहुंची आदिवासी महिलाओं ने टीएमसी ज्वाइन की।
बताया जा रहा है कि ये महिलाएं इसके एक दिन पहले ही बीजेपी (BJP) में शामिल हुईं थीं। इस पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुकांत मजूमदार (Dr. Sukanta Majumdar) ने टीएमसी पर जोरदार हमला बोला है।
सुकांत मजूमदार ने कहा कि ‘मार्टिना किस्कु, शिउली मार्डी, ठाकरन सोरेन और मालती मुर्मू कल भाजपा में शामिल हो गईं थीं। ये एसटी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। ये सभी तपन गोफानगर, तपन की निवासी हैं। आज टीएमसी के गुंडों ने उन्हें टीएमसी में वापस जाने के लिए मजबूर किया और दंडवत परिक्रमा करने को कहकर सजा दी।’
इसके बाद बीजेपी ने इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को घेरते हुए भाजपा नेता और पश्चिम बंगाल के सह प्रभारी अमित मालवीय (Amit Malviya) ने ट्वीट करके कहा कि ‘दंडवत परिक्रमा करने वाली ये आदिवासी महिलाएं (मार्टिना किस्कु, शिउली मार्डी, ठाकरन सोरेन और मालती मुर्मू) बालूरघाट की रहने वाली हैं।’
‘यह कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं है बल्कि स्थानीय टीएमसी नेताओं द्वारा दी गई सजा है, क्योंकि वे भाजपा में शामिल हो गईं हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल ममता बनर्जी के नेतृत्व में बर्बाद हो गया है।
दंडवत करती करने वाली महिलाओं में से एक मार्टिना किस्कु का कहना है कि ‘उसने प्रायश्चित करने के लिए ऐसा किया था।’
वहीं, टीएमसी की जिला महिला अध्यक्ष प्रदीप्त चक्रवर्ती कहना है कि ‘इन साधारण लोगों को उनकी भूल के बारे में समझाया गया था। जिसके चलते उन्होंने टीएमसी का झंडा थामा। उन्होंने अपनी भूल समझी और प्रायश्चित के लिए वे दंडवत करते-करते पार्टी ऑफिस आईं।’