‘जश्न-ए-रेख़्ता’ का फाइल चित्र 
राष्ट्रीय

Manoj Muntashir Controversy: ‘पिता पढ़ते थे शिव स्तोत्र, मैं लगा देता था रसूल अल्लाह’, मनोज शुक्ला के ‘मुंतशिर’ बनने का किस्सा; देखें Video

Om Prakash Napit

Manoj Muntashir Controversy: फिल्म ‘आदिपुरुष’ के डायलॉग्स जिस तरह से मनोज मुंतशिर ने लिखे हैं, उसे लेकर उनकी खासी आलोचना हो रही है। इसके बावजूद वो अपनी गलती मानने के लिए तैयार नहीं हैं।

अब उनका जश्न-ए-रेख़्ता’ कार्यक्रम का 5 साल पुराना वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें उनसे सवाल पूछा गया था कि आखिर वो मनोज शुक्ल से मनोज ‘मुंतशिर’ कैसे बन गए? जनवरी 2018 में ये कार्यक्रम आयोजित हुआ था, जिसमें उन्होंने कुछ ऐसा कहा था जो अब विवाद का विषय बन रहा।

Since Independence पर वीडियो में सुनें मनोज मुंतशिर जश्न-ए-रेख़्ता’ कार्यक्रम में उन्होंने क्या कुछ कहा, जिस पर अब विवाद हो रहा...

इस वीडियो में मनोज मुंतशिर ने बताया था कि उनके पिता एक पुरोहित हैं, जो शादी और हवन वगैरह करवाते हैं। वो खेती भी करते हैं और फिर कृषि का सीजन खत्म होने पर पंडित वाला कार्य करते हैं। मनोज मुंतशिर ने बताया कि उन पर उर्दू जबान और रेख़्ता का प्रभाव पड़ना शुरू हो गया था। उन्होंने उसका पहला मंजर सुनाया।

बकौल मनोज मुंतशिर, तब उनके पिता सुबह-सुबह उठ का शिव स्तोत्र का पाठ किया करते थे, तब उन्होंने बगल में लगाया होता था- “ख़याल-ए-गैर को दिल से मिटा दे, या रसूल अल्लाह।” मनोज मुंतशिर ने शिव स्तोत्र पढ़ कर भी सुनाया। मनोज मुंतशिर के इतना कहने पर शो की एकरिंग कर रहीं सौम्या कुलश्रेष्ठ वाह-वाह कर उठती हैं।

हिंदी भाषा का भी उड़ाया था मजाक

‘जश्न-ए-रेख़्ता’ के चौथे संस्करण पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने ऐसा कहा था। इस वीडियो में मनोज मुंतशिर ने हिंदी भाषा का भी मजाक उड़ाया था और कहा था कि आम बोलचाल में लोग अधिकतर उर्दू भाषा का ही इस्तेमाल करते हैं।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा था कि ‘दोपहर’ शब्द का प्रयोग लोग करते हैं लेकिन अपराह्न कौन कहता है।

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