Modi Cabinet Decision: पीएम मोदी के नेतृत्व में 4 जनवरी को हुई कैबिनेट की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। बैठक में केंद्र सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी है और इसके तहत देश में सस्ते दर पर ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन पर इंसेटिव दिया जाएगा.
कैबिनेट मीटिंग के बाद संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी। साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि भारत ग्रीन हाइड्रोजन का ग्लोबल हब बनेगा। प्रतिवर्ष 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन होगा।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की जानकारी देते हुए बताया कि 60-100 गीगावाट की इलेक्ट्रोलाइजर क्षमता को तैयार किया जाएगा। इलेक्ट्रोलाइजर की मैन्युफैक्चरिंग और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन पर 17,490 करोड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। ग्रीन हाइड्रोजन के हब को विकसित करने के लिए 400 करोड़ का प्रावधान किया है।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए 19,744 करोड़ रुपए की मंजूरी आज दी गई है। इस मिशन से 8 लाख करोड़ रुपये का सीधा निवेश होगा और इससे 6 लाख नौकरियां इससे मिलेंगी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि 382 मेगावाट के सुन्नी बांध हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश के लिए मंजूर किया गया है। इसमें 2,614 करोड़ रुपए की लागत आएगी। ये सतलुज नदी पर बनेगा।
केंद्र का राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन हरित ऊर्जा स्रोतों से हाइड्रोजन पैदा करने पर जोर देता है। यह मिशन ‘भारत को वैल्यू चेन में हाइड्रोजन और फ्यूल सेल टेक्नॉलजी के निर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में’ विकसित करने पर केंद्रित है।
सरकार ने मार्च 2022 को एक प्रेस विज्ञप्ति में जारी कर इस मिशन के बारे में जानकारी देते हुए बताया था, ‘यह मिशन छोटी अवधि (4 साल) के लिए विशिष्ट रणनीति और लंबी अवधि (10 साल और उससे अधिक) के लिए व्यापक सिद्धांतों को आगे बढ़ाएगा।’
सरकार ने इसके साथ ही बताया था कि ‘इसका मकसद वैल्यू चेन में हाइड्रोजन और फ्यूल सेल टेक्नॉलजी के निर्माण के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित करना है।’
अनुराग ठाकुर ने इसके साथ ही बताया कि केंद्रीय कैबिनेट ने हिमाचल प्रदेश में सुन्नी हाइडो इलेक्ट्रिक डैम को मंजूरी दी है। इसकी छमता 382 मेगावाट की है। इसे 5 साल 3 महीने में पूरा किया जाएगा, जिससे हिमाचल में हजारों की संख्या में जॉब क्रिएट होंगे और साथ ही हिमाचल को 13% बिजली मुफ्त में मिलेगी।
बता दें कि पिछली यानी 23 दिसंबर को हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में गरीबों को मुफ्त अनाज बांटने का फैसला किया गया था। इसको लेकर खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गरीबों को मुफ्त में अनाज मुहैया कराया जाएगा।
फिलहाल इस कानून के तहत लाभ पाने वाले लोगों को अनाज के लिए एक से तीन रुपये प्रति किलो का भुगतान करना पड़ता है। सरकार का यह फैसला उस समय आया, जब प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की अवधि 31 दिसंबर को खत्म हो रही थी। कोविड-19 महामारी के दौरान गरीबों को मुफ्त अनाज बांटने की शुरुआत अप्रैल 2020 में की गई थी।