राष्ट्रीय

वन रैंक-वन पेंशन पुनर्विचार याचिका में कोई दम नहीं- सुप्रीम कोर्ट

7 नवंबर 2015 को तीनों सेनाओं के प्रमुखों को सरकार द्वारा जारी एक पत्र में, ओआरओपी को समान सेवा अवधि के साथ समान रैंक में सेवानिवृत्त होने वाले सशस्त्र सेवा कर्मियों को समान पेंशन के रूप में परिभाषित किया गया है

Deepak Kumawat

सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में अपनाई गई वन रैंक-वन पेंशन (OROP) नीति को बरकरार रखने के अपने फैसले के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा दायर एक समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस फैसले में न तो कोई संवैधानिक कमी है और न ही यह मनमाना है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने कहा कि पुनर्विचार याचिका में कोई दम नहीं है।

पुनरीक्षण याचिका को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने का अनुरोध खारिज किया जाता है। हमने समीक्षा याचिका और उससे जुड़े दस्तावेजों को ध्यान से देखा है। हमें समीक्षा याचिका में कोई योग्यता नहीं मिलती है और तदनुसार इसे खारिज कर दिया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट

'वन रैंक-वन पेंशन' सिद्धांत को रखा था बरकरार

अदालत ने 16 मार्च को अपने फैसले में केंद्र द्वारा अपनाए गए 'वन रैंक-वन पेंशन' सिद्धांत को बरकरार रखा था।

कोर्ट ने कहा था कि भगत सिंह कोश्यारी समिति की रिपोर्ट 10 दिसंबर 2011 को राज्यसभा में पेश की गई थी और यह ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, मांग का कारण, संसदीय समिति का विचार प्रस्तुत करती है। समिति की रिपोर्ट ने सशस्त्र बलों से संबंधित कर्मियों के लिए ओआरओपी को अपनाने का प्रस्ताव रखा। कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट को सरकारी नीति का बयान नहीं माना जा सकता।

तीनों सेनाओं को समान पेंशन के रूप में परिभाषित किया गया
7 नवंबर 2015 को तीनों सेनाओं के प्रमुखों को सरकार द्वारा जारी एक पत्र में, ओआरओपी को समान सेवा अवधि के साथ समान रैंक में सेवानिवृत्त होने वाले सशस्त्र सेवा कर्मियों को समान पेंशन के रूप में परिभाषित किया गया है, चाहे सेवानिवृत्ति की तारीख कुछ भी हो। कहा गया है कि वर्तमान और पूर्व पेंशनभोगियों की पेंशन की दर के बीच समय-समय पर बनी खाई को पाटा जा सकेगा।

'वन रैंक मल्टीपल पेंशन'

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि ओआरओपी नीति को लागू करते समय, समान अवधि की सेवा वाले कर्मचारियों के लिए इसे 'वन रैंक मल्टीपल पेंशन' से बदल दिया गया है। अब स्वत: संशोधन की जगह पेंशन की दरों में समय-समय पर संशोधन किया जाएगा। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि एक रैंक, एक पेंशन प्रणाली तैयार करते समय समान सेवा अवधि के साथ समान रैंक के रक्षा कर्मियों के बीच कोई भेदभाव नहीं किया गया है।

Diabetes से हो सकता है अंधापन, इस बात का रखें ख्याल

बीफ या एनिमल फैट का करते है सेवन, तो सकती है यह गंभीर बीमारियां

Jammu & Kashmir Assembly Elections 2024: कश्मीर में संपन्न हुआ मतदान, 59 प्रतिशत पड़े वोट

Vastu के अनुसार लगाएं शीशा, चमक जाएगी किस्मत

Tiger Parks: भारत के 8 फेमस पार्क,जहां आप कर सकते है टाइगर का दीदार