मंहगाई
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सरकारों पर फूटा लोगों का गुस्सा, कहा- "लोग भूख से मर रहे और सरकारें अपनी तिजाेरीयां भर रही"

Kunal Bhatnagar

डेस्क न्यूज. "सखी सईंया तो खूब ही कमाए जात है मंहगाई डायन खाए जात है" ये गाना तो आपने सुना ही होगा, आज की स्थिति पर ये गाना बिलकुल सटीक बैठता है। पट्रोल, डीजल और गैस सिलेंडर के दाम बढ़ रहे हैं और आम आदमी की जान की कीमत आज कुछ भी नहीं है। कल जयपुर में महंगाई को लेकर कांग्रेस की रैली है और रैली में लाखों लोगों का हुजूम आने की उम्मीद है लेकिन रैली से पहले आम जनता का क्या कहना है आप भी पढ़िए।

आज घर का खर्च चलाना काफी मुश्किल हो रहा

जयपुर के परकोटे में रिक्शा चलाने वाले एक व्यक्ति का कहना है कि सुबह से शाम हो जाती है, कभी काम मिलता है, तो कभी खाली हाथ घर जाना पड़ता है। कभी-कभी 100-150 रूपये की कमाई होती है। घर का खर्च चलाना काफी मुश्किल हो रहा है।

रिक्शा चालक हरि सिंह ने कहा कम हो महंगाई।
कौन सुनेगा हरि सिंह की पीड़ा
घर में चार बच्चे हैं, बहु है, काम कम होने की वजह से पैसा नहीं मिल रहा है... 300-400 रुपये में घर को गुजारा नहीं हो रहा है.... खाने का तेल महंगा हो गया है आटा महंगा हो गया है....। पहले 1000 से 1500 तक रोज की कमाई थी लेकिन आज 200-300 रुपये तक ही ये सीमित हो गई है ....। क्या होगा हमारा ? इससे हमारा गुजारा नहीं हो रहा है बहुत परेशानी हो रही है। गरीब आदमी क्या करें? गरीब आदमी तो मारा गया। राशन पानी की चीजें कम होनी चाहिए। ऐसे में सरकार को आमजन का दुख समझ के महंगाई कम करने के प्रयास करने चाहिए।
ड्राइवर ने भी बताई अपनी पीड़ा
महंगाई बहुत ज्यादा हो रही है, अगर डीजल की बात करें तो किसान से लेकर आम आदमी तक इसको काम में लेते हैं लेकिन आज डीजल की किमत आसमान छु रही है। ड्राइवर गाड़ी चलाता है ताकि दो पैसे कमा सकें। लेकिन आज गाड़ी चलाना भारी हो गया है। इसलिए डीजल-पट्रोल सस्ता होना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता है तो मान कर चलिए व्यापार पुरी तरह ठप हो जाएगा। क्योंकि आज सारा व्यापार गाड़ी से चल रहा है। आज खाने-पीने की चीजे महंगी हो रही है। हाथ जोड़ कर निवेदन है कि सरकार अब महंगाई को कम करें।
इंद्रपाल सिंह यादव, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
चौड़ा रास्ता जयपुर में काम करने वाला एक व्यापारी
लोग भूख से मर रहें है और सरकार अपनी जेब सेकने में लगी है
कुछ भी नहीं करती राज्य सरकार, सभी झूठे वादे करती है। एक प्रतिशत गरीब का भी भला नहीं हो पाया है। चौड़ा रस्ता पर एक दुकान पर काम करने वाले वाई के कसाना ने बताया कि सरकार के सभी लोग मोटी रकम जुटाने में लगे हैं। कोई आमजन के बारे में नहीं सोचता है। चाहे गहलोत सरकार हो या बीजेपी सभी अपना काम बनाने में लगे हुए है। लोग भूख से मर रहें है और सरकार अपनी जेबें भर रही है।
कोरोना ने व्यापार की कमर तोड़ दी
धंधे बंद हो गए, तीन साल से आदमी इतना तकलीफ में आ गया है कि जो आदमी 10 का स्टाफ रखता था आज 2-3 लोगों से काम चला रहा है। यानि कि काम करने वाले 8 लोगों का रोजगार छिन गया। घर चलाना तो मुश्किल आज आदमी घर से निकले से पहले भी सोचता है। अभी ओमिक्रोन और आ गया है अगर एक बार फिर से महामारी फैली तो मुश्किल और बढ़ जाएगी। इसलिए लोगों को कोरोना से बचना होगा। कोरोना गाइडलाइन का पालन करना होगा। अगर तीसरी लहर आती है तो लोग दाने-दाने को मौहताज हो जाएगें।

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