करीब 2300 साल पुराने शारदा माता पीठ में 75 साल बाद जाने का सौभाग्य अब हर भारतीयवासियों को मिलेगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित की ओर से एक सप्ताह पूर्व करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज पर शारदा माता पीठ के लिए कॉरिडोर बनाने को लेकर बयान दिया गया था। जिसके बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) की असेंबली ने भारत से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव पारित किया है हालांकि पाकिस्तान इस फैसले पर नाखुश दिख रहा है।
आपको बता दें कि यह वही पाकिस्तान के कब्जे वाला पीओके (POK) है जहां भारत विरोधी और आतंकवादियों के समर्थन में प्रस्ताव पारित किये जाते है लेकिन इस समय इनके रवैये में इतना बड़ा बदलाव भारत की बढ़ती मजबूत इच्छाशक्ति व ताकत को दिखाता है।
पीओके (POK) की असेंबली से पारित हुए प्रस्ताव में शारदा माता पीठ के लिए कॉरिडोर लगभग 40 किलोमीटर लंबा होगा। ये एलओसी (LOC) पर कश्मीर के कुपवाड़ा जिले से शुरू होगा। जिसके बाद पीओके (POK) पार कर शारदा पीठ जाने के लिए श्रद्धालुओं को नारद, सरस्वती और नारिल झील को पार करना होगा।
अब हर भारतीय के लिए गौरव का पल है कि श्रद्धालु शारदा पीठ दर्शन के लिए जा सकेंगे। फिलहाल, पीओके में नीलम नदी के किनारे बना शारदा पीठ मंदिर जर्जर हाल में है।
सरस्वती देवी को ही कश्मीरी भाषा में शारदा कहा जाता है। करीब 2300 साल पुराना पीठ धार्मिक आस्था के साथ शिक्षा का प्राचीन केंद्र भी है। भारतीय उपमहाद्वीप के प्रमुख प्राचीन विश्वविद्यालयों में से शारदा पीठ को एक माना गया है। कश्मीरी पंडितों का मानना है कि हरमुख पहाड़ी पर करीब 6500 फीट की ऊंचाई पर स्थित यहां भगवान शिव का निवास स्थान है।
मान्यता है कि यहां देवी सती का दाहिना हाथ गिरा था। मार्तंड सूर्य मंदिर और अमरनाथ मंदिर के साथ-साथ शारदा पीठ भी भारतीयों के लिए सबसे पवित्र स्थलों में से एक है।18 महाशक्तियों में से एक शारदा पीठ का निर्माण कई सदियों पहले किया गया था।
आपको ये जान कर हैरानी होगी कि शारदा देवी मंदिर में पिछले 70 सालों से विधिवत् पूजा नहीं हुई है। आज भी देश भर के ब्राह्मण (पंडित) कर्मकांड के दौरान शारदा पीठ को नमन करते है।
मुस्लिम आक्रांता सिकन्दर मीरी, शाह मिरी वंश का 1389 से 1413 तक कश्मीर का छठा सुल्तान रहा। इसने सम्पूर्ण कश्मीर को मन्दिर व मूर्ति-विहीन तो किया साथ ही में हिंदुओं के घरों में स्थापित मूर्तियां तक नहीं छोड़ी थीं। इसीलिए उसे सिकन्दर बुतशिकन कहा गया है।
इसके अलावा सिकन्दर ने 5,000 विद्यार्थियों के इस आवासीय विद्यापीठ को ध्वस्त किया और उसमें रखे ग्रंथों को जलाया। इसी मुस्लिम आक्रांता ने कश्मीर का मार्तण्ड सूर्य मन्दिर, विजयेश्वर शिव मन्दिर, चक्रधर विष्णु मन्दिर, सुरेश्वरी मन्दिर, वाराह मन्दिर, त्रिपुरेश्वर मन्दिर, परिहास्पुर के तीन मन्दिर, तारापीठ, महा श्री मन्दिर आदि ध्वस्त किए थे।
आपको बता दें कि सिकन्दर को कश्मीर के मार्त्तण्ड सूर्य मन्दिर संकुल को तोड़ने में 2 वर्ष लगे थे। बताया जाता कि मां शारदा का इतना प्रभाव हुआ कि सिकन्दर मीरी का पुत्र कश्मीर का शासक जैनुल-आबेदीन का मन बदल गया और वह उनके दर्शन के लिए भी वहां गया। उसके पिता सिकंदर द्वारा किए गये पापों का प्रायश्चित किया।