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Gujarat Morbi Bridge: दर्दनाक हादसे में अब तक 141 की मौत, केवड़िया पहुंचे मोदी हुए भावुक

गुजरात के मोरबी (Gujarat Morbi Bridge) जिले में मणि मंदिर के पास माचू नदी पर बना केबल ब्रिज गिर गया है। हैंगिंग ब्रिज के अचानक गिरने से उस पर सवार बड़ी संख्या में लोग पानी में गिर गए। जानिए अब तक के क्या है हालात।

Kunal Bhatnagar

गुजरात के मोरबी जिले में मणि मंदिर के पास माचू नदी पर बना केबल ब्रिज गिर गया है। हैंगिंग ब्रिज के अचानक गिरने से उस पर सवार बड़ी संख्या में लोग पानी में गिर गए। हादसे के बाद रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। जब पुल गिरा तो उस पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। इस हादसे में अब तक 141 लोगों के मारे जाने की खबर है।

मोरबी में ब्रिज गिरने की घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या कहा

मोरबी में कलेक्टर कार्यालय पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल आज सुबह मोरबी में कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। उन्होंने तलाशी अभियान, राहत-बचाव अभियान, घायलों के इलाज सहित सभी मामलों की जानकारी ली और मोरबी में केबल ब्रिज गिरने की घटना में व्यवस्था को लेकर आवश्यक निर्देश दिए।

बढ़ सकती है मरने वालों की संख्या

हालांकि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। पुल गिरने के फौरन बाद पुलिस और जिला प्रशासन के लोगों ने मौके पर ही बचाव कार्य शुरू कर दिया। एनडीआरएफ की टीमें बचाव कार्य में लगी हुई हैं। वहीं, खुद मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौके पर पहुंच गए हैं। भारतीय सेना की एक टीम राहत और बचाव कार्य में जुटी है।

राजकोट फायर ब्रिगेड ने 6 नाव, 6 एम्बुलेंस, 2 बचाव वैन, 60 जवान तैनात किए। बड़ौदा, अहमदाबाद, गोंडल, जामनगर, कच्छ से कुल 20 बचाव नौकाएं रेस्कयू का काम कर रही हैं। 12 फायर टेंडर, बचाव वैन, 15 से ज्यादा एम्बुलेंस यहां हैं।
इलेश खेर, मुख्य अग्निशमन अधिकारी,राजकोट

प्रधानमंत्री ने की सीएम से बात

हादसे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और राज्य के अधिकारियों से बात की है। उन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए तुरंत टीमें भेजने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने स्थिति पर पैनी नजर रखने और प्रभावित लोगों को हर संभव मदद मुहैया कराने को कहा है। मोरबी विधायक और गुजरात सरकार में मंत्री ब्रजेश मेरजा ने कहा कि इस हादसे में अब तक 90 लोगों की मौत हो चुकी है।

तीनों सेनाओं की टीमें रवाना

गुजरात सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक राजकोट, जामनगर, दीव और सुरेंद्रनगर में राहत और बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की 3 प्लाटून, भारतीय नौसेना के 50 जवानों, वायुसेना के 30 जवानों, सेना की 2 टीमों और फायर ब्रिगेड की 7 टीमों को राहत और बचाव कार्य में लगाया गया है।

टीम मोरबी के लिए रवाना हो गई हैं। एसडीआरएफ की तीन प्लाटून और राज्य रिजर्व पुलिस (एसआरपी) की दो प्लाटून भी बचाव अभियान के लिए मोरबी पहुंच रही हैं। घायलों के इलाज के लिए राजकोट सिविल अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड भी बनाया गया है।

घायलों के तत्काल इलाज के निर्देश

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा, 'मोरबी में हुए हादसे से बेहद दुखी हूं। गुजरात के गृह राज्य मंत्री और अन्य अधिकारियों से बात की। स्थानीय प्रशासन पूरी तत्परता से राहत कार्य में लगा हुआ है, एनडीआरएफ भी जल्द ही मौके पर पहुंच रहा है। घायलों के तत्काल इलाज के निर्देश दिए गए हैं।

मुआवजे की घोषणा

मुख्यमंत्री पटेल ने कहा, 'मोरबी की त्रासदी में जान गंवाने वाले नागरिकों के परिवारों के प्रति मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। राज्य सरकार प्रत्येक मृतक के परिवार को 4 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये देगी।

स्थानीय विधायक और राज्य मंत्री बृजेश मेरजा ने कहा, पुल गिरने से कई लोग नदी में गिर गए। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। खबर है कि इसमें कई लोग घायल हुए हैं। उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा है।

पुल गिरने से कई लोग नदी में गिरे

दरअसल, माछू नदी में बने केबल पुल के अचानक गिरने से कई लोग नदी में गिर गए। जहां पुलिस टीम द्वारा लोगों को नदी से बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है।

वीडियो में दिख रहा है कि पुल गिरने के बाद कई लोग बीच में फंस गए, जो टूटे हुए पुल की रस्सी को पकड़कर किसी तरह निकलने की कोशिश करते दिखे रहे है।

2 करोड़ की लागत से किया गया था ब्रिज का जीर्णोद्धार

बताया जा रहा है कि मोरबी के केबल ब्रिज को नए साल के मौके पर दर्शकों के लिए खोल दिया गया। वहीं, 2 करोड़ रुपये की लागत से इसका जीर्णोद्धार किया गया। हालांकि मरम्मत के बाद भी अब इतने बड़े हादसे को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।

जानिए क्या है केबल ब्रिज का इतिहास?

वहीं केबल ब्रिज के इतिहास पर नजर डालें तो इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी, 1879 को मुंबई के गवर्नर श्री रिचर्ड टेम्पल ने किया था। यह 1880 में लगभग 3.5 लाख की लागत से बनकर तैयार हुआ था। उस समय पुल के निर्माण की सामग्री इंग्लैंड से आई थी। दरबारगढ़ को नज़रबाग से जोड़ने के लिए इस पुल का निर्माण किया गया था।

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