तेलंगाना के भाजपा नेता टी राजा सिंह द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए बयान को लेकर गिरफ्तार कर लिया गया है और पार्टी ने भी उन्हे निष्काषित कर कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
लेकिन तेलंगाना के कांग्रेस नेता राशिद खान ने मामले को लेकर कई भड़काऊ और बड़े बयान दिए हैं।
Zee News के लाइव शो के दौरान उन्होने कई ऐसे बयान दिए, जो ऐसे नाजुक माहौल में जनता में आग की चिंगारी भड़काने का काम कर सकते हैं। ये बखूबी जानते हुए कि वो नेशनल चैनल पर बैठे हैं उसके बावजूद उन्होने राजा सिंह के घर को जलाने तक की चेतावनी दे डाली।
कांग्रेस नेता राशिद खान से देश के प्रतिष्ठित चैनल जी न्यूज पर पूछा गया कि क्या वो अपने पिछले बयान पर माफी मांगेंगे या बयान वापस लेंगे। इस पर जवाब देते हुए राशिद ने कहा कि वो अपने बयान पर न तो माफी मांगने वाले है और ना ही बयान वापस लेने वाले है।
धमकी भरे स्वर में जवाब देते हुए उन्होने कहा कि अगर टी राजा सिंह पर जल्द से जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो वो अन्य मुसलमानों के साथ गोशमहल में टी राजा सिंह के घर को जला देंगे।
बता दें कि पुलिस सुबह ही टाइगर राजा सिंह को गिरफ्तार कर चुकी है। राजा सिंह को हिरासत में लिए जाने के बावजूद राशिद खान का ये बयान कहीं न कही जनता में कौमी दंगों की आग लगाने वाला है। साथ ही उन्होने कहा कि उन्हें बाद की कार्रवाई का कोई डर नहीं है लेकिन अगर राजा सिंह पर कार्रवाई नही हुई तो वो कानून हाथ में ले लेंगे।
गौरतलब है कि सोमवार को राजा सिंह की वीडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस नेता का एक और वीडियो सामने आया था। जिसमें वो साफ कहते हुए नजर आ रहे थे कि मुसलमान खून की नदियां बहा देंगे, कार्रवाई नहीं हुई तो वो कानून हाथ में ले लेंगे।
राशिद साफ तौर पर कहते हुए नजर आ रहे थे मुसलमान नबी के लिए सर कटा लेंगे और खून की नदिया बहा देंगे। ये शब्द जो राशिद ने प्रयोग किए वो इस माहोल को और खतरनाक और हिंसात्मक होने में एक अहम भूमिका निभा रहे हैं।
देश में हिंसा के माहौल को पैदा करने वाले ये शब्द रूपी गंदगी परोसते हुए राशिद यहीं नहीं रूके। जब एंकर ने कहा कि राजा के घर को जलाने का अधिकार आपको नहीं है, जो आप कह रहे हैं वो भी गलत है।
इस पर राशिद खान कहते हैं कि नबी की गुस्ताखी करने वाले का कत्ल वाजिब है और शरिया कानून में इसे सही ठहराया गया है।
इस बयान को देते हुए राशिद शायद ये भूल गए कि वो भारत में रहते हैं जहां पर संविधान के कायदे कानून को माना जाता है न कि शरिया के कायदे। ये देश भारत के संविधान के हिसाब से चलता है शरिया की किताब से नहीं।
ये सब कुछ कहने के बावजूद राशिद कहने लगे कि राजा सिंह ने पहले भी आपत्तिजनक बयान दिए हैं जिन पर उन्हें कुछ देर हिरासत में लेकर छोड़ दिया गया।
लेकिन वहीं अकबरूद्दीन ओवैसी का वो बचाव करते नजर आए जिन्होने कई बार हिन्दू देवी देवताओं पर कई बार अभद्र बयान दिए है। इस पर राशिद कहते हैं उनके खिलाफ दर्ज की गई थी।
लेकिन सत्य है कि भले राजा हो अकबरूद्दीन दोनों के ही खिलाफ संविधान के तहत ही कार्रवाई की गई। लेकिन राशिद के हिसाब से अकबरूद्दीन पर कार्रवाई हुई मगर राजा पर नहीं ।
एक तरफ अगर राजा सिंह के बयान पर कार्रवाई हो रही है तो दूसरी तरफ राशिद खान के ये बयान भी अनुचित हैं और इनके ये बोल कहीं भी एक चिंगारी को आग में बदल सकते हैं। सवाल उठता है कि क्या राशिद के बयान पर भी कार्रवाई होगी?
क्योंकि देश में पिछले कई महीनों से सांप्रदायिक हिंसाओं की वजह से नाजुक माहौल बना हुआ है। ऐसे में जरूरत है कि नेता एकता के बयान देकर जनता को एक धागे में पिरोए और देश को हिंसा की आग से बचाए, लेकिन यहां पर खुद नेता ही ऐसे भड़काऊ बयान देकर आग लगाने का काम कर रहे हैं।
देखिए कोई भी धर्म संविधान और देश से ऊपर नहीं हैं, न ही हिंदू और न ही इस्लाम और ये देश दशकों से दुनिया को ये संदेश देता आया है। लेकिन पिछले कुछ महीनों से देश का परिदृश्य कुछ अलग सा है। देश में कई जगह आग लगी और कई निर्दोष लोगों ने इन दंगो में अपनी जान गंवाई।
लेकिन इन मजहबी नेताओं के बयान अगर कुछ और होते तो शायद तस्वीर अलग होती। राशिद का ये बयान ताजा उदाहरण है कि किस तरह ये मजहबी नेता परिस्थिती को सलीके से संभालने की बजाय ऐसे दंगे भड़काने और हिंसा की आग लगाने वाले बयान देकर देश में लगी कौमी दंगो की चिंगारी को सुलगाने के इरादे रखते हैं।