राष्ट्रीय

Terrorist : कश्मीर घाटी में छिपे हैं 80 पाक आतंकी, 55 लोकल; UP में एटीएस ने दबोचा आंतकी

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ जारी सुरक्षा बलों के ऑपरेशनों को करीब से देख रहे एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में अब भी करीब 140 सक्रिय आतंकी मौजूद हैं। सेना के सामने दो मिशन हैं, एक इनका खात्मा, दूसरा 'फिदायीन' भर्ती रोकना।

Om Prakash Napit

जम्मू-कश्मीर में लगभग 140 सक्रिय आतंकियों की मौजूदगी है। इनमें 55 लोकल हैं तो 80 से ज्यादा विदेशी यानी पाकिस्तानी से आए आतंकी हैं। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ जारी सुरक्षा बलों के ऑपरेशनों को करीब से देख रहे एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सेना के सामने दो मिशन हैं। एक, घाटी में मौजूद स्थानीय एवं विदेशी आतंकियों का खात्मा करना और दूसरा, 'ब्रेनवॉश' की पाठशाला से निकलने वाले 'फिदायीन' भर्ती को रोकना। अभी ये दोनों ही काम अधूरे हैं। केवल यह सोचकर कि घाटी में पत्थरबाजों पर नकेल कस गई है, निश्चिंत होकर नहीं बैठा जा सकता।

दो ही दिन में तीन आतंकी हमले

जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्रता दिवस से चार दिन पहले यानि 11 अगस्त को आतंकवादियों ने राजौरी से लगभग 25 किलोमीटर दूर पारगल स्थित सैन्य शिविर पर आत्मघाती हमले को अंजाम दिया। सुरक्षा बलों ने दोनों आतंकियों को मार गिराया, लेकिन इस कार्रवाई में भारतीय सेना के चार जवान भी शहीद हो गए। अगले दिन 12 अगस्त की सुबह आतंकियों ने बांदीपोरा में बिहार के एक श्रमिक की हत्या कर दी, वहीं दोपहर को अनंतनाग के बिजबेहरा इलाके में दहशतगर्दों द्वारा सीआरपीएफ/पुलिस नाका पार्टी पर फायरिंग की गई, जिसमें एक पुलिसकर्मी घायल हुआ है। उधर, उत्तर प्रदेश में आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने शुक्रवार को जैश-ए-मोहम्मद और तहरीख-ए-तालिबान पाकिस्तान से जुड़े आतंकी को सहारनपुर से गिरफ्तार किया है।

पीओके में दर्जनभर ट्रेनिंग कैंप

सुरक्षा बलों के शीर्ष अधिकारी के मुताबिक, आतंकियों पर लगातार प्रहार हो रहा है। इस बात को दहशतगर्दी की पाठशाला चलाने वाला पाकिस्तान भी अच्छी तरह जानता है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के मनशेरा, कोटली व मुजफ्फराबाद इलाके में आतंकियों के दर्जनभर ट्रेनिंग कैंप हैं। यहां पर पांच सौ से अधिक आतंकियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। सीमा पार करने के लिए लॉन्चिंग पैड पर करीब 160 आतंकी तैयार बैठे हैं। इस साल अभी तक 135 से अधिक आतंकी मारे गए हैं। इनमें विदेशी आतंकियों की संख्या 36 हैं, बाकी स्थानीय आतंकी हैं।

पाक अब तैयार कर रहा 'फिदायीन'

आतंकी संगठन जैसे लश्कर और जैश, अब आतंकियों का 'संपूर्ण ब्रेनवॉश' कर उन्हें आत्मघाती दस्तों में ढाल रहे हैं। वजह, एनकाउंटर में आतंकियों का लगातार मारे जाना है। सुरक्षा बलों का प्रयास है कि घाटी में आतंकी घटनाएं शून्य तक पहुंच जाएं, तो दूसरी ओर दहशतगर्दों को पाल रहा पड़ोसी चाहता है कि वहां सुरक्षा बलों पर अटैक में तेजी लाई जाए। हालांकि एनकाउंटर में जिस तेजी से आतंकी मारे जा रहे हैं, उससे अब ये संगठन अपनी रणनीति में थोड़ा बदलाव ला रहे हैं। एक ही हमले में सुरक्षा बलों को ज्यादा नुकसान पहुंचाया जाए, इसके लिए 'फिदायीन' दस्ते तैयार किए जा रहे हैं। इस दस्ते में 'संपूर्ण ब्रेनवॉश' वाले आतंकी होते हैं।

बॉर्डर पर सीज फायर पर यहां मोर्चा खुला

जम्मू कश्मीर के सुरक्षा विशेषज्ञ कैप्टन अनिल गौर (रिटायर्ड) कहते हैं, पाकिस्तान यह कह कर खुद का बचाव करता है कि देखिये साहब, हमने तो बॉर्डर पर सीज फायर कर रखा है। दूसरी तरफ जो मोर्चा खुला है, उससे वह मुंह फेर लेता है। आईएसआई ने घाटी में अंडर ग्राउंड वर्कर और ओवर ग्राउंड वर्करों की अच्छी खासी संख्या खड़ी कर रखी है। सुरक्षा बलों के लिए यही सबसे बड़ी चुनौती हैं। ये लोग, सुरक्षा बलों से सीधे तौर पर नहीं टकराते हैं, बल्कि टारगेट किलिंग को अंजाम देते हैं। इनमें अकेले पुलिस कर्मी, नाका पार्टी या सिविलियन पर निशाना साधा जाता है। पुलिस इन लोगों तक पहुंच रही है।

सीज फायर की आड़ में घुसपैठ

साल 2018 में पकड़े गए संदिग्ध/आतंकियों की संख्या 184 थी। 2019 में 164, 2020 में 251, 2021 में 146 और इस साल जून तक ऐसे 172 लोगों को पकड़ा गया है। पाकिस्तान, सीज फायर की आड़ में घुसपैठ कराने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देता। भारतीय सुरक्षा बलों ने गत वर्षों में सीमा पार से होने वाली कई बड़ी घुसपैठ को नाकाम किया है। बतौर अनिल गौर, यहां पर दो तरह से काम होना चाहिए। एक तो आतंकियों के मददगार पूरी तरह खत्म हों और दूसरा, इनकी नई भर्ती पर अंकुश लगे। अगर ऐसा हो जाता है कि तो उसके बाद सुरक्षा बलों के सामने केवल वही आतंकी बचेंगे, जो सीमा पार से आए हैं। उन्हें तो सुरक्षा बलों द्वारा किसी न किसी एनकाउंटर में खत्म कर दिया जाएगा।

युवाओं को गुमराह होने से रोकने का प्रयास

शीर्ष अधिकारी बताते हैं कि घाटी में आतंकी संगठनों द्वारा युवाओं का ब्रेनवॉश न किया जा सके, इसके प्रयास हो रहे हैं। सेना, अर्धसैनिक बल और पुलिस, ये सभी अपने स्तर पर कोशिश कर रहे हैं। यहां बड़ी दिक्कत है कि स्थानीय लोगों से पर्याप्त सहयोग नहीं मिल पाता। ब्रेनवॉश कौन कर रहा है, कहां पर होता है, ये सब लोगों के बीच ही होता है, लेकिन वे सुरक्षा बलों को खबर तक नहीं देते। सुरक्षा बल, इससे वाकिफ हैं कि घाटी में पाकिस्तानी आतंकियों की खासी तादाद है। आने वाले समय में आतंकियों की भर्ती और ब्रेनवॉश वाली पाठशालाओं पर पूर्णत: अंकुश लग जाएगा। सोशल मीडिया की भूमिका पर भी पुलिस की नजर है। अभी तो सुरक्षा बलों का मकसद है कि बचे हुए आतंकियों के आत्मघाती दस्तों को जल्द से जल्द खत्म किया जाए।

इधर, एटीएस ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से दबोचा आतंकी, मिला था नुपुर शर्मा की हत्या का टास्क, खुल सकते हैं कई बड़े राज

उत्तर प्रदेश में आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने शुक्रवार को जैश-ए-मोहम्मद और तहरीख-ए-तालिबान पाकिस्तान से जुड़े आतंकी को सहारनपुर से गिरफ्तार किया है। बताया गया आतंकी मोहम्मद नदीम जैश-ए-महुम्मद एवं तहरीक-ए-तालिबान, पाकिस्तान के आतंकियों से सीधे संपर्क में था। एटीएम की टीम ने मोहम्मद नदीम के पास से एक मोबाइल व दो सिम कार्ड और कई प्रकार की आईडी बरामद की है। इसके अलावा बम बनाने से संबंधित सामान भी बरामद किया है। पकड़े गए आतंकी से एटीएस की टीम द्वारा पूछताछ की जा रही है।

मोहम्मद नदीम के द्वारा स्वीकार किया गया है कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन के आतंकियों ने उसको नुपुर शर्मा की हत्या करने का टास्क भी दिया था। मोहम्मद नदीम ने बताया कि उसे अफगानिस्तान व पाकिस्तान में सक्रिय जैश-ए-मोहम्मद और तहरीख-ए-तालिबान के आतंकवादी स्पेशल ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान बुला रहे थे। जिसके लिए वह वीजा लेकर पाकिस्तान जाने वाला था। उसने यह भी बताया कि वह जैश-ए-मोहम्मद की आतंकी ट्रेनिंग लेता और साथ ही मिस्त्र देश के माध्यम से सीरिया एवं अफगानिस्तान जाने की भी योजना बना रहा था। माना जा रहा है कि उससे पूछताछ में और भी कई बड़े राज खुल सकते हैं।

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