पीयूष जैन के घर नोटों का बंडल

 
राष्ट्रीय

काली कमाई का राजा, किस्सा एक कमरे से हजारों करोड़ का मालिक बनने का, निकल रहा है अभी भी कैश

DRI ने पीयूष जैन पर कस्टम एक्ट में FIR दर्ज की है. कारोबारी पीयूष जैन के ठिकानों पर आयकर ने हाल ही में छापे मारे थे. जिसमें पीयूष के यहां से कुल 195 करोड़ रुपये की नकदी बरामद हुई. इसके अलावा 23 किलो सोना, जिसकी कीमत करीब 10 करोड़ रुपए है और 6 करोड़ का चंदन का तेल भी मिला.

Raunak Pareek

साल 2022 की कर चोरी में अगर किसी को याद रखा जाएगा तो वो हैं उत्तरप्रदेश के धन कुबेर पीयूष गोयल. कानपुर के इत्र कारोबारी के घर से बरामद हुआ नोटों के जखीरे की खुशबु यूपी की राजनीतिक में गुलाब की तरह महक रही है. उत्तरप्रदेश चुनाव से ठीक कुछ समय पहले करीब 200 करोड़ की भारी रकम की कैश रिकवरी को लेकर सियासत गरमा गई है. कानपुर के कैश कांड की गूंज उन्नाव, हरदोई, बदायूं की रैलियों के साथ पीएम के भाषणों में भी गूंजने लगी हैं. कानपुर से कन्नौज तक 200 करोड़ का काला साम्राज्य सबके सामने आ गया. प्रधानमंत्री ने वहीं चोट की. जहां विरोधियों को सबसे ज्यादा दर्द हुआ.

सवाल - आखिर पीयूष के पास इतना रुपया कहां से आया!

आखिर कैसे इत्र व्यापारी पीयूष GST की रडार पर आए!

क्या ये पीयूष की काली कमाई है?

कानपुर में इत्र कारोबारी पीयूष जैन को हर कोई जानता है. धन कुबेर के नाम से मशहूर पीयूष गोयल पर अगर कोई कन्फ्यूजन है तो दूर कर लें कि ये रुपए न तो किसी और के हैं और ना ही गलत तरीकों से कमाए गए हैं, जिसे हम आप देख-समझ नहीं सकते हैं. पिता के इत्र के फुटकर व्यापार और उनके एक हुनर (आर्गेनिक इत्र और कैमिकल इत्र को मिलाने के फार्मूला) से पीयूष जैन ने व्यापार को इस लेवल तक पहुंचा दिया कि देश की दिग्गज पान मसाला कंपनियां भी इस फार्मूले की मुफ़लिस हो गई है. लगभग 40 से 50 पान मसाला फैक्ट्रियों में जैन साहब के फार्मूले की सप्लाई थी।

पीयूष जैन की गलती सिर्फ इतनी कि उसने टैक्स नहीं जमा करवाया और और न ही रुपयों का बहीखाता में हिसाब रखा. इस मामले में महज पांच साल से कम की सजा का प्रावधान है।

पीयूष जैन का घर 

जानिए कौन है धन कुबेर पीयूष जैन –

पढ़ने में एवरेज, हिन्दी मीडियम से साइंस ग्रेजुएट... ना कोई तकनीकी डिग्री और न कोई एडवांस ट्रेनिंग। लेकिन इत्र कारोबारी में माहिर. कन्नौज और कानपुर से अब तक कुल मिलाकर 194.45 करोड़ का कैश मिल चुका है। इनमें से 177 करोड़ कानपुर से और 19 करोड़ कन्नौज से मिला।

अलावा 23 किलो सोना और 6 करोड़ कीमत का चंदन ऑयल बरामद हुआ था। कार्रवाई करने के बाद पीयूष को गिरफ्तार करने के साथ ही कोर्ट में पेश किया गया। जहां पीयूष को 14 दिन ही न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया.

उनके पड़ोसियों का कहना है की वह बेहद सीधा और चुपचाप रहने वाला पीयूष को अपने काम में महारथ हासिल है. तकरीबन 25 साल पहले पीयूष ने अपने पिता महेश चंद्र जैन के साथ कंपाउंड बनाना सीखा था. जिसे सीखते हुए उन्होने इसमे महारथ हासिल की. आज कन्नौज में उनके जैसा कोई दूसरा नहीं है. पीयूष के दोस्त शिव कुमार बताते है कि बचपन में भी पीयूष सीधे थे. 12वी की पढ़ाई ग्वाल मैदान एसएन इंटर कॉलेज (अब केके इंटर कॉलेज) से पूरी की। वह पढ़ने में काफी अच्छे थे। साल 1983 में कानपुर के क्राइस्ट चर्च कॉलेज से BSc की पढ़ाई पूरी की। फिर वो कन्नौज लौटकर पिता के साथ कंपाउंड का काम सीखा.

घर के पास में छोटी सी जगह में गुपचुप तरीके से पीयूष कंपाउंड बनाता था.

आपराधिक इतिहास को खंगाले तो पीयूष का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. वे भी अपने काम से ही मतलब रखने वाले इंसान है. पीयूष की सूंघने की शक्ति कमाल की है। उन्हे एक साथ अगर कई इत्र भी सुंघा दिया जाए तब भी वह हर इत्र को नाम के साथ बता सकते है. कंपाउंड बनाने वाले की सूंघने की शक्ति हमेशा कमाल की होनी चाहिए। यही कारण रहा कि पीयूष का बनाया कंपाउंड देश का अकेला संस्थान फ्रेंगरेंस एंड फ्लावर डेवलमेंट सेंटर (FFDC) भी कभी फेल नहीं कर पाया.

यूपी के कन्नौज में पिता लेकर आए थे कंपाउंड -

इत्र कारोबारी मणिक जैन ने बताया कि 1978 में पीयूष के पिता महेश चंद्र जैन मुंबई से केमिकल का कंपाउंड बनाने का काम सीखकर आए. उस समय कन्नौज में प्राकृतिक इत्र बनाने में काम होता था. फिर केमिकल से खुशबू बनाने का काम महेश चंद्र जैन ने शुरू किया इस पर उनका विरोध हुआ. लेकिन वक्त के साथ लोगों ने इसे स्वीकार कर लिया।

गली के एक कोने से दूसरे कोने तक फैला है पीयूष का घर

बेहद गोपनीय रखा जाता है कारोबार -
कन्नौज में जो भी इत्र का काम करता है वो बेहद गोपनीयता भी बरतता है. स्थानीय निवासी इंद्रेश जैन बताते है की कौनसे पान मसाले के कंपाउंड को बनाने में किस इत्र और कैमिकल का कितना उपयोग हुआ है, ये कोई किसी को भी नहीं बताता है। पान मसाला कंपनियां भी किससे कंपाउंड लेती है, ये भी बेहद छुपी बात है. देश की हर छोटी और बड़ी कंपनी पान मसाला बनाने वाली कंपनी का फ्लेवर और स्वाद कन्नौज से ही जाता है।

पीयूष की गाड़ियां

अपनी चीजों से बेहद लगाव था पीयूष को -

अपन चीजों से हर कई लगाव रखता है. पीयूष के पास LML स्कूल के अलावा पुरानी राजदूत मोटरसाइकिल भी है। कई पुरानी सेंट्रो कार तो नई फार्च्यूनर गाड़ी भी है। उसके पास पुरानी क्वालिस गाड़ी भी है। उसका और पूरे परिवार का रहन-सहन भी बेहद साधारण है।

धर्म-कर्म में कंजूस, लेकिन माकन बनाने में बहाया पैसा -

हजारों करोड़ो की संपति होने के बाद भी पड़ोसी बेहद हैरान हैं क्योकी करोड़ो की संपति होने के बाद भी कभी धर्म कर्म में उसने एक रुपया नहीं लगाया लेकिन मोहल्ले में एक-एक कर 5 मकान खरीद डाले. वहीं एक मकान MLC पुष्पराज जैन की इत्र फैक्ट्री से मात्र 20 कदम दूरी पर खरीदा. खरीदे सभी मकानों में पानी की तरह पैसा बहाया. बाहर से साधारण और अंदर से आलिशान ये थी मकान की पहचान.

ऑनलाइन नहीं कैश पर टीका था पूरा कारोबार –

आज के समय में हर कोई कैश और ऑनलाइन काम करता है. इस पर स्थानीय इत्र कारोबारी का कहना है की कंपाउंड का ज्यादातर कारोबार कैश पर ही चलता है. पीयूष इस कंपाउंड को 5 हजार रुपए में तैयार करना और कारोबारियों को 50 हजार से 2 लाख रुपए प्रति किलों में बेचता था. पान मसले में जितना कांपाउंड का यूज होता प्रति किलो के हिसाब से पीयूष उसकी सप्लाई करता था.

अब कई कंपनियों का करोबार संकट में –

इत्र व्यापारी पीयूष जिन पान मसाला कंपनियों को कंपाउंड सप्लाई करता था. अब उन पान करोबारियों पर भी संकट खड़ा हो सकता है. क्योकी वो भी कहीं ना कहीं टैक्स चोरी में करते होंगे. कंपाउंड बनाने का जो खर्च था. उसे ऑन पेपर कम रेट पर दिखाया जाता था, ताकि GST ज्यादा ना देना पड़े.

शौक ऐसा की केवल कंपाउंड बनाने के लिए खरीद डाला अगल मकान -

फिलहाल टीम ने जिस पर घर पर छापेमारी की है. वहां टीम को एक तहखाना भी मिला है। जहां कहीं भी CCTV नहीं लगाए गए। मकान के पिछले हिस्से में एक छोटा सा ऑफिस और एक छोटा कंपाउंड बनाने के लिए मकान तक खरीद कर रखा था। वहा से मिली 500 शीशियों को GST की टीम ने जांच के लिए भेजा है।

ड्राइवर की गलती से आए रडार पर, क्या है छापे का गुजरात कनेक्शन? -

ड्राइवर की एक गलती ने देश की सबसे बड़ी जीएसटी चोरी को अंजाम तक पहुंचा दिया। गुजरात में फर्जी इनवाइस और माल के साथ पकड़ा गया ट्रक गणपति ट्रांसपोर्टर प्रवीण जैन का था. ये प्रवीण पीयूष जैन के भाई अमरीष जैन का बहनोई है। इनके नाम करीब 40 से ज्यादा फर्म हैं। फर्जी फर्म के नाम से इनवाइस शिखर गुटखा प्राइवेट लि. पता 51/47 नयागंज, कानपुर की ओर से काटी गई थी। ऐसे में कंपनी के डायरेक्टर प्रदीप कुमार अग्रवाल और भाई दीपक अग्रवाल भी राडार पर आ गए। बीते बुधवार को डीजीजीआई अहमदाबाद की टीम ने नयागंज स्थित शिखर गुटखा और ट्रांसपोर्टर प्रवीण जैन के आनंदपुरी घर और ऑफिस में एक साथ छापेमारी की। यहां से पीयूष जैन के भारी मात्रा में पैसा होने की जानकारी मिली।

शिखर पान मसाला फैक्ट्री पर की गई छापेमारी

आपको बता दे की पीयूष भागने की फिराक में था. लेकिन इस बीच वह अपने रुपयों को ठिकाने नहीं लगा सका. वहां पहुंची टीम को अलमारियों में रखे बंडलों में इतना पैसा मिला कि टीम के भी होश उड़ गए। पीयूष के घर से उसके बेटे प्रियांश, प्रत्यूश और भाई अमरीष के बेटे मोलू को हिरासत में लिए जाने के बाद पीयूष जैन दबाव में शुक्रवार देर रात करीब 11 बजे घर पहुंचा.

छापेमारी में मिले कई दस्तावेजों में हुई जांच के बाद टीम ने कन्नौज में 2 अन्य इत्र कारोबारियों रानू मिश्रा और विनीत गुप्ता के घर और फैक्ट्री में छापेमारी. कचहरी टोला में रानू मिश्रा के जिस मुनीम के यहां टीम द्वारा छापामारी की गई, वह भी कम्पाउन्ड कारोबारी विनीत गुप्ता है। ये पहले कारोबारी रानू मिश्रा के यहां मुनीम हुआ करते थे. वह अब गुटका कंपनी को कंपाउंड बेचने का कारोबार करते है.

कन्नौज वाले घर में मिला 19 करोड कैश

कन्नौज निवासी सपा एमएलसी पुष्पराज जैन 'पंपी' और पीयूष जैन के संबध काफी अच्छे है. सूत्रों के मुताबिक DGGI की टीम इन पैसों और पॉलिटिकल कनेक्शन होने के लिंक की भी जांच कर रही है। ऐसे में सपा एमएलसी से पूछताछ हो सकती है. घटना के अनुसार अभी और भी बड़ा कार्रवाई हो सकती है.

रडार पर आने के बाद अहमदाबाद से की गई निगरानी -
सूत्रों के मुताबिक DGGI अहमदाबाद की निगरानी में करीब 3 महीने पहले ही एक टीम ने कानपुर में कंपनी और इनसे जुड़े फर्मों की निगरानी शुरू की थी. सभी सबूत और ठिकानों की फुल प्रूफ जानकारी होने के बाद टीम ने छापेमारी की कार्रवाई शुरू की. ड्राइवर के अनुसार पीयूष को ब्रेन से जुडी बीमारी है.

प्रवर्तन एजेंसी द्वारा जब्त की गई अब तक की सबसे बड़ी रकम -

कानपुर में धनकुबेर पीयूष जैन के ठिकानों पर पड़े छापों में अबतक 195 करोड़ रुपये कैश मिल चुका है जो अबतक किसी प्रवर्तन एजेंसी द्वारा जब्त की गई सबसे बड़ी रकम है.

23 किलों सोना मिलने पर DRI ने पीयूष पर दर्ज किया केस -

कानपुर इत्र कारोबारी पीयूष जैन के खिलाफ एक और मामला दर्ज किया गया है. यह मामला डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस यानि DRI ने आयकर विभाग द्वारा कानपुर में पीयूष के ठिकानों से 23 किलो सोने मिलने पर दर्ज किया गया है. ये मामला DRI ने पीयूष जैन पर कस्टम एक्ट में दर्ज किया है. मिले 23 किलो सोना की कीमत करीब 10 करोड़ रुपए है और 6 करोड़ का चंदन का तेल भी मिला.

कन्नोज वाले घर में मिला तहखाना

पीयूष जैन के बड़े बेटे प्रत्युष का कहना है की मुझे देश के न्याय व्यवस्था पर यकीन है. कन्नौज स्थित पैतृक घर पर छापेमारी खत्म होने के बाद यह बात उन्होने कही. यहां से टीम को 19 करोड़ कैश, 23 किलो सोना और 6 करोड़ रुपये का चंदन का तेल मिला.

पीयूष के बाद कानपुर के 2 और कारोबारी निशाने पर -

कानपुर में इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर नोटों के बंडल को लेकर ही लोग हैरान थे कि अब कानपुर के 2 और अन्य कारोबारी टीम के निशाने पर आ चुके है. कानपुर में गणपति ट्रांसपोर्ट के मालिक के घर पर DGGI यानि डायरेक्टरेट जनरल ऑफ GST इंटेलिजेंस और इनकम टैक्स की टीम ने छापा मारा. छापेमारी के लिए आए अधिकारी वहां से कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट लेकर गए है. वहीं, कानपुर में ही मयूर वनस्पति के मालिक सुनील गुप्ता के घर और ऑफिस में भी DGGI की टीम ने छापा मारा है. सुनील गुप्ता का घर सिविल लाइन्स इलाके में है जबकि ऑफिस ग्रीन पार्क के सामने है.

पीयूष जैन के घर का बंकर और नोट

वही दूसरी और कन्नौज से गिरफ्तार कारोबारी पीयूष जैन की पहेली सुलझने की बजाए उलझती जा रही है. देश की 5 सबसे बड़ी एजेंसीज़ पीयूष जैन केस की जांच में जुटी हैं क्योंकि बात सिर्फ टैक्स चोरी या फिर ब्लैक मनी की नहीं रह गई है बल्कि इसमें 194 करोड़ कैश के अलावा सोने की तस्करी केस की भी जांच की जा रही है.

पीएम मोदी ने अखिलेश यादव को लिया आडे हाथ

भाजपा ने सपा पर छोड़े हमलों के बाण -

चूंकि प्रधानमंत्री ने चुनावी लाइन को क्लीयर कर दिया है,इसीलिए बीजेपी का हर नेता यूपी चुनाव में इत्र कारोबारी के घर हुई दबिश की बात कर रहा है. मंच से पीएम के साथ यूपी सीएम भी अखिलेश पर निशान लगान से नहीं चूक रहे.

चुनावा के समय चुनावी पिच पर फ्रंट फुट पर बैटिंग कैसे की जाती है. ये भारतीय जनता पार्टी अच्छी तरह जानती है और चूंकि ये ऐसा मुद्दा है जिसपर मोदी सरकार और योगी सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड शानदार है. नंबर 100 मिले है इसीलिए बीजेपी एग्रेसिव है साथ ही ये मामला केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पब्लिक मीटिंग में दिखाई दिया. जिस वक्त मोदी कानपुर में पब्लिक मीटिंग को संबोधित कर रहे थे. उससे कुछ टाइम पहले हरदोई में अमित शाह ने भी पीयूष जैन के घर रेड को बड़ा मुद्दा बना दिया.

अखिलेश यादव का वार

भाजपा के बाणों का अखिलेश यादव ने दिया उत्तर -

इस बात को नकारा नहीं जा सकता की यूपी में इस वक्त बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है और खासकर जिस तरह अखिलेश यादव की रैलीयों को रिस्पांस मिल रहा है. जिस तरह लोग रैली में आ रहे है. उसके बाद बीजेपी एक बार फिर मानसिक तनाव में आ गई है. लेकिन हर बार ये सवाल सामने आ रहा है कि कैश किसका है. क्या इसका सपा का इत्र से कोई कनेक्शन है. इन सभी बातों का अखिलेश यादव वन बाई वन दिया कहा कि अगर नोटों के सीरियल नंबर्स की जांच हो जाए तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा.

इन सभी वारों का सार इतना है कि कानपुर से कन्नौज तक 200 करोड़ की रिकवरी अब तेरा कैश Vs मेरा कैश पर आ चुकी है. हर कोई एक दूसरे पर टोपी ट्रांसफर कर रहा है और जहां तक जांच की बात है इन सब में अभी तक किसी भी राजनीतिक पार्टी का सीधा संबध दिखाई नहीं दिया है. मगर इतना जरूर है कि इत्र लोक के तहखाने से कैश के साथ करप्शन का जिन्न बाहर आ चुका है. जो पूरे सिस्टम पर सवाल खडे़ करता है.

इस बार पीयूष जैन होग 2022 का चुनावी मुद्दा

हो चुका है 2022 का चुनावी मुद्दा सेट –

समय चुनाव का है और चुनाव के समय में ऐसा हमेशा होता है. क्रेडिट लेने के लिए एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगते है. तेरा-मेरा विवाद छिड़ता है. ये जानते हुए समझते हुए की ये पब्लिक है सब जानती है. देश के सबसे बड़े प्रदेश में हर पॉलिटिकल पार्टी ने अपनी ताकत झोक रखी है. जैसा की आप सब जानते है की नया साल आने से पहले ही 2022 का चुनावी एजेंडा सेट होने लगा है. यूपी सरकार का भ्रष्टाचार पर नो टॉलरेंस और विकास पर नो डिले का एजेंडा कहीं ना कही सही साबित होता हुआ दिखाई दे रहा है.

कानपुर के मंच से पीएम मोदी और योगी के शब्दों में धारदार सियासी वार था. जिसने साल के अंत के दिनों मों 2022 का चुनावी एजेंडा फिक्स कर दिया है. वहीं बीजेपी के कद्दावर नेता और सियासी चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी पार्टी की इसी रणनीति को आगे बढ़ाते दिख रहे है.

पीएम मोदी की राह पर ही अमित शाह भी SP-BSP और CONGRESS पर हमलावर रहे. हरदोई, सुल्तानपुर और भदोही के मंच से बुआ-बबुआ और कांग्रेस पर तीखे वार किए. साफ है की सियासी बिगुल बजने से पहले ही भाजपा का रुख क्लीयर है और पार्टी विपक्ष को हर मंच और रैली में वार पर वार कर रही है.इस मामले में बीजेपी की रणनीति आइने की तरह साफ और कामयाब दिख रही है.

2022 की विधानसभा की लड़ाई

परसेप्शन की लड़ाई में कहां स्टेंड करती है सपा ? -

साल 2022 में देश के सबसे बड़े राज्य यूपी के साथ कई और राज्यों के विधानसभा चुनाव है. चुनावों को लेकर अखिलेश यादव ने जिस तरह से जातिगत आधार पर छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है, उसने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में यूपी चुनाव पूरी तरह से परसेप्शन पर लड़ा जा रहा है इस मामले में बीजेपी माहिर है. ऐसे में पीयूष जैन के मामले को लेकर बीजेपी ने सपा के खिलाफ प्लान सेट करना शुरू कर दिया, जिसे सपा काउंटर नहीं कर सकी.

पीयूष जैन मामले पर अखिलेश यादव का बयान देरी से सामने आने के कारण बीजेपी इस मामले में अपने नंबर पूरे कर चुकी है. भाजपा से पहले अखिलेश यादव और बाकी नेताओं को बाकी पार्टीयों को घेरना चाहिए था लेकिन वह चूक गई तो वही बीजेपी अपने मजबूत पब्लिकेशन तंत्र के दम पर यह बताने में काफी हद तक सफल हुई कि पीयूष जैन का संबंध सपा से है. यूपी चुनाव की लड़ाई भी बंगाल की तरह परसेप्शन सेट करने की है. ऐसे में सपा या फिर किसी दूसरी विपक्षी पार्टी को बीजेपी की तरह ही मुकाबला करना होगा और अपने चुनावी नेरेटिव को सेट करना होगा. नहीं तो ऐसे ही बीजेपी के सियासी चक्रव्यूह में विपक्ष घिरता अपने सैनिकों को खात रहेगा.

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