स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट, रक्षा, हॉस्पिटैलिटी और एमएसएमई सेक्टर समेत अन्य क्षेत्रों के लिए कोरोना के दौर में बड़ी घोषणाएं और राहत पैकेज का एलान किया जा सकता है।
देश की आमजनता से जुड़ा आम बजट आगामी 1 फरवरी 2022 को संसद में प्रस्तुत होगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस साल अपना चौथा बजट देश के समक्ष रखने वाली हैं। वहीं ये मोदी गर्वनमेंट का सरकार का 10वां बजट होगा। बीते वित्त वर्ष में बजट में टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया था। ऐसे में इस बार उम्मीद है कि सरकार कोई बड़ी घोषणा कर सकती है। इसके अलावा, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट, रक्षा, हॉस्पिटैलिटी और एमएसएमई सेक्टर समेत अन्य क्षेत्रों के लिए कोरोना के दौर में बड़ी घोषणाएं और राहत पैकेज का एलान किया जा सकता है। यहां हम बजट 2022 से जुड़ी उन 22 उम्मीदों के बारे में बता रहे हैं जिसकी आम जनता को उम्मीद है।
1-वर्क फ्रॉम होम अलाउंस टैक्स में मिले छूट
कोरोना के चलते ज्यादातर इलाकों के सैलरी पर्संस वर्क फ्रॉम होम पर हैं। ऐसे में बिजली, इंटरनेट चार्ज, किराया, फर्नीचर आदि पर उनका खर्च बढ़ गया है। इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया ने वर्क प्रोम होम के तहत घर से काम करने वालों को अतिरिक्त टैक्स छूट देने का भी सुझाव दिया है। ताकि मंदी के दौर में वेतनभोगियों को कुछ हद तक राहत मिल सके।
2- स्टैंडर्ड कटौती की सीमा में वृद्धि
बजट 2022 से खासकर वेतनभोगियों को इस बार बड़ी उम्मीदें हैं। दरअसल उनके लिए फिलहाल धारा 16 के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन का अमाउंट 50,000 रुपये तय किया हुआ है। लंबे समय से इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने की मांग की जा रही थी। वेतनभोगी लोगों को इसके बढ़ने की उम्मीद है। इसे बढ़ाने से वेतनभोगी लोगों को टैक्स से सीधा फायदा होगा।
3- इश्योरेंस में जीएसटी से राहत मिल सकती है
इस बार आम बजट में केंद्र सरकार का जोर देश के इन्कम टैक्स पेयर्स पर रहने की बात कही जा रही है। वजह ये कि बीते कई बजटों में टैक्स पेयर्स के लिए कोई नई घोषणा नहीं की गई है। इस बजट में टैक्सपेयर्स के इंश्योरेंस/मेडिक्लेम प्रीमियम पर जीएसटी घटाने की भी उम्मीद है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सरकार इस मांग को 2022 के बजट में शामिल कर सकती है। इकॉनॉमिक एक्सपर्ट की मानें तो उम्मीद की जा सकती है कि सरकार बीमा प्रीमियम पर लगाए जा रहे 18 प्रतिशत जीएसटी को कम करेगी। इससे कवर की कुल लागत सस्ती बनी रहने में मदद मिलेगी।
जानकारों के अनुसार पॉलिसी प्रीमियम पर 5 प्रतिशत जीएसटी अधिक लोगों को बीमा योजनाओं को चुनने के लिए रुझान बढ़ा सकता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो सरकार को डिजिटल हेल्थकेयर को बेहतर बनाने की जरूरत है। एक सटीक विकल्प यह हो सकता है कि प्रीमियम पर 5 प्रतिशत जीएसटी बनाकर स्वास्थ्य बीमा को यूजेबल बनाने पर सरकार की ओर से ध्यान केंद्रित हो।
4- जीवन बीमा को आयकर अधिनियम की धारा 80C से बाहर किया जा सकता है
कोरोनाकाल में पिछले दो साल में स्वास्थ्य क्षेत्र पर काफी ध्यान दिया गया है। बजट 2022 से, यह उम्मीद की जा रही है कि जीवन बीमा को आयकर अधिनियम की धारा 80C से बाहर किया जाए है। वहीं बीमा क्षेत्र के लिए एक सीमा भी बढ़ाई जा सकती है। जीवन बीमा और मेडिक्लेम बीमा दोनों को नई श्रेणी में जोड़ा जा सकता है या 80सी की सीमा को बढ़ाया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो बड़े तबके के करदाताओं को लाभ मिल सकता है।
5- हैल्थ एंड फिटनेस सेक्टर को भी राहत की उम्मीद
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non‑bank financial institution) और ऑनलाइन लोन देने वाली कंपनियों को इस साल के बजट में कर से राहत मिलने की उम्मीद है। बजट एक्सपर्टस के अनुसार हॉलसेलर क्षेत्र में काम करने वाली एनबीएफसी के लिए कम कॉस्टिंग वाली फंडिंग के साथ-साथ जीएसटी और टीडीएस पर राहत को बजट में पेश किया जाना चाहिए। बीते दो साल पर गौर करें तो फिनटेक सेक्टर 2021 के लिए अहम रहा है। जिसमें इस सेक्टर रिकॉर्ड लेवल पर इन्वेस्टमेंट हुआ है। वहीं फिनटेक और एनबीएफसी क्षेत्र ने रूरल मार्केट में भी अच्छी जगह बनाई है।
विशेषज्ञों के अनुसार बजट 2022 में इससे जुड़ी पॉलिसीज को अपनाने और प्रतिबंधों में रियायत देकर फिनटेक इंडस्ट्रीज में इजाफे और सक्सेस को प्रोमोट किया जाना चाहिए।
क्योंकि एक मजबूत डेटा सिक्योरिटी सिस्टम के बिना एक बेहतर डिजिटल फ्रेमवर्क पूरा नहीं हो पाएगा। इस केंद्रीय बजट में इस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।
6- रियल एस्टेट क्षेत्र में जान फूंकने की कोशिश
विशेषज्ञों की मानें तो लोगों ने कोविड के बाद के दौर में घर खरीदने के जरूरत को महसूस किया है। ऐसे में इस साल का केंद्रीय बजट टैक्स और वेवर में कुछ प्रमुख छूट, रॉ मैटेरियल पर जीएसटी में कटौती की पेशकश कर रीयल एस्टेट क्षेत्र में सहायक भूमिका निभा सकता है। यह क्षेत्र देश की जीडीपी में सबसे बड़ा योगदान है तो इस क्षेत्र को मजबूत करने से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिल सकता है। जिससे पूरी तरह से अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव आएगा। जबकि सरकार ने स्टैंप ड्यूटी में कटौती, सबसे कम होम लोन दरों जैसे कुछ लाभ देकर इसका सपोर्ट किया है। ऐसे में माना जा रहौ कि रीयल एस्टेट क्षेत्र को सपोर्ट लाभकारी हो सकता है।
7- स्टार्टअप को राहत देने से ईज ऑफ डुइंग बिजनेस को मिल सकता है बढ़ावा
जानकारों की मानें तो अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान थोड़ी बहुत ग्रोथ दिखी है। वहीं देश फिर से विकास की राह पर अग्रसर है। अगर सरकार रिफॉर्म बनाए रखती है तो इससे 2022 में भी रिकवरी तेज होगी और इकोनॉमी बूस्टर का टेम्पो कंटीन्यू रह सकता है। स्टार्टअप गतिविधियों और सरकार के राहत पैकेज से भारत में ईज ऑफ डुइंग बिजनेस को बढ़ावा मिल सकता है। डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने, कर स्ट्रक्चर को सरल बनाने और लैंड-लेबर लॉ में सुधार से ईज ऑफ डुइंग बिजनेस को ग्रोथ मिल सकती है। ऐसे में सरकार इन उम्मीदों को कायम रखने के लिए बड़ी घोषणा कर सकती है।
8- इन्सेंटिव पैकेज की उम्मीद बरकरार
बता दें कि पिछले फाइनेंशियल ईयर में सेंट्रल गवर्नमेंट ने कोरोना वायरस महामारी से निम्मन स्तर पर आई इकॉनोमी को फिर से रफ्तार देने के लिए कई इन्सेंटिव पैकेजों का ऐलान किया था। इस बार भी देश की अर्थव्यस्था पर कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन वैरिएंट का साया मंडरा रहा है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस बार भी कई बड़े इन्सेटिव्स पैकेजों का ऐलान वित्त मंत्री की ओर से किया जा सकता है।
9- आटोमोबाइल सेक्टर का योगदान जीडीपी में 7.5 प्रतिशत, इसे भी राहत की उम्मीद
उम्मीद है कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्रीज के रूल्स का डिजिटाइजेशन जारी रहेगा। वहीं सरकार ईवी मांग को बढ़ावा देने के लिए शुरुआती स्ट्रक्चर में निवेश करेगी। बता दें कि घरेलू आटोमोबाइल सेक्टर पिछले दो दशकों के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। देश के कुल जीडीपी में आटोमोबाइल सेक्टर का योगदान 7.5 प्रतिशत है, जबकि यह प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर 10 लाख लोगों को रोजगार देता है। इस क्षेत्र को नए निवेश के लिए तैयार करने के लिए भी प्रोत्साहन चाहिए। खास तौर पर आटोमोबाइल सेक्टर में एक समान टैक्स लगाने की व्यवस्था भी लागू करने की मांग हो रही है। ऑटोमोबाइल सेक्टर ईवीएस के पक्ष में है। सोसायटी ऑफ ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स के अनुसार पिछले 2 दशकों में ऑटोमोबाइल क्षेत्र में जबरदस्त डवलमेंट और चैंजेस आए हैं। कोविड के बाद तो सोशल डिस्टेसिंग के कारण ऑटोमोबाइल खरीद और बिक्री तेजी से ऑनलाइन की ओर बढ़ रही है।
10- कोरोना मरीजों व उनके परिजनों को मिल सकती है राहत
आम लोग 2022 के बजट को उम्मीदों से देख रहे हैं, वजह ये कि कोरोना महामारी के दौरान केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, कंपनियों, दोस्तों और समाजसेवियों से कई कोरोना मरीजों और उनके परिवारों को आर्थिक मदद मिली, लेकिन कई लोगों को यह पूरी जंग खुद ही लड़नी पड़ी। कोरोना महामारी के कारण कई लोगों की नौकरी चली गई और कई लोगों का इनकम सॉर्स बंद हो गया। इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ऐसे लोगों को कोरोना के इलाज पर होने वाले खर्च पर कटौती का लाभ देने के लिए कुछ नई घोषणा कर सकती है।
11- पब्लिक प्रोविडेंट फंड लिमिट 3 लाख तक बढ़ने की उम्मीद
चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के संगठन आईसीएआई ने भी वित्त मंत्री को अपना सुझाव दिया है। इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (ICAI) ने वित्त मंत्री को पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) में निवेश की अधिकतम सीमा मौजूदा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने का सुझाव दिया है। आईसीएआई के अनुसार पीपीएफ में निवेश की सीमा बढ़ाने से जीडीपी में घरेलू बचत की हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
12- किफायती घर खरीदारों के लिए 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त ब्याज छूट एक साल के लिए और बढ़ सकती है।
सूत्रों का कहना है कि बजट 2022 में अफोर्डेबल हाउसिंग के तहत पहली बार घर खरीदने वालों के लिए सरकार 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त ब्याज छूट को एक साल के लिए बढ़ा सकती है। बता दें, धारा 80EEA के तहत 45 लाख रुपये तक के घर पर 1.5 लाख रुपये के होम लोन पर चुकाए गए ब्याज पर अतिरिक्त छूट मिलती है।
13- आयकर की धारा 80डी के तहत सीनियर सिटिजन के साथ सभी उम्र के लोगों को मिल सकता है 50 हजार रु. कटौती का लाभ
आपको बता दें कि आयकर की धारा 80डी के तहत वरिष्ठ नागरिकों को रुपये तक की 50 हजार रुपये तक की कटौती का लाभ दिया जाता है। हालांकि, उन्हें यह लाभ तभी मिलता है, जब वे किसी स्वास्थ्य बीमा के तहत कवर नहीं होते हैं। इस बजट में विशेषज्ञों का अनुमान है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने बजट भाषण के दौरान धारा 80डी के तहत सभी उम्र के लोगों को कटौती का लाभ देने पर विचार कर सकती हैं।
14- MSME सेक्टर की बड़ी मांग, जीएसटी की दरें कम हो
कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित यदि कोई सेक्टर प्रभावित हुआ है तो वो है एमएसएमई। ऐसे में इस सेक्टर के लोगों की मांग है कि जीएसटी की दरों को खासकर इस सेक्टर के लिए उपयुक्त बनाया जाए और टैक्स की दरें कम की जाएं। एमएसएमई सेक्टर से जुड़े जानकारों के अनुसार पिछले एक साल में, भारत सरकार ने अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए कई पहल की हैं। एमएसएमई आत्मनिर्भर भारत की नींव हैं तो वहीं ये इंडियन इकॉनोमी का हार्ट हैं। विशेषज्ञों के अनुसार एमएसएमई को पर्याप्त वित्तीय सहायता मिले तो इस क्षेत्र को कई अन्य संभावनाएं मिलेंगी। सरकार डोमेस्टिक मैन्यूफेचरर्स को बूस्ट करने के लिए सुधारों को लागू कर सकती है।
पिछले दो वर्षों में MSME सेक्टर को प्रॉडक्शन में गिरावट, नौकरियों का नुकसान, रैवेन्यू में कटौती जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है। ऐसे में एमएसएमई की सबसे बड़ी मांग है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों पर एक बार फिर विचार किया जाए।
15- जूलरी इंडस्ट्रीज की मांग- 3 स्लैब दर 10% / 15% / 20% से अधिक न रखी जाए
जूलरी विशेषज्ञों का सुझाव है कि क्रेडिट कार्ड पर कोई बैंक शुल्क न लगाया जाए। बिक्री कर की तरह जीएसटी 1% होना चाहिए और सोने और चांदी के आयात पर सीमा शुल्क 4% होना चाहिए। इससे इस क्षेत्र को बड़ी राहत मिलेगी। बता दें कि आम बजट 2022 से देश के करदाताओं सहित सभी को काफी उम्मीदें हैं। जूलरी फील्ड ने मांग रखी है कि आयकर की 3 स्लैब दर 10% / 15% / 20% से अधिक न रखी जाए। सोने, चांदी, हीरे की बिक्री पर लाभ पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 20% से घटाकर 10% और शॉर्ट टर्म 30% से घटाकर 20% सरकार को करना चाहिए।
FMCG ने वित्त मंत्री को भेजे सुझाव
FMCG क्षेत्र को आस है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के हाथ में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोगों के हाथों में उनके हक का पैसा पहुंचाना जारी रखें। इस क्षेत्र की ओर से विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा करने के बाद वित्त मंत्रालय को अपने सुझाव भेजे गए हैं। क्षेत्र को उम्मीद है कि वित्त मंत्री इस ओर खास कुछ करेंगी।
17- कोरोना ने एविएशन इंडस्ट्री को भी नुकसान पहुंचाया
विशेषज्ञों के अनुसार विमानन उद्योग टैक्स डिडक्शन और कम से कम 2 साल के लिए न्यूनतम वैकल्पिक कर के निलंबन की उम्मीद कर रहा है। वजह ये कि महामारी से प्रभावित एयरलाइंस न्यूनतम वैकल्पिक कर को भी निलंबित कराने की मांग कर रही है। कोरोना महामारी ने विमानन क्षेत्र को भी भारी नुकसान पहुंचाया है।
18- आम बजट में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद और बिक्री को टैक्स के दायरे में लाने पर विचार कर सकती है सरकार
विशेषज्ञों की माने तो सरकार इस बजट में एक निश्चित सीमा से ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी की सेल और परचेजिंग पर टीडीएस/टीसीएस लगाने पर विचार कर सकती है। जानकारों के अनुसार ऐसे लेनदेन को स्पेशल डील के दायरे में लाया जाना चाहिए। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार आगामी आम बजट में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद और बिक्री को टैक्स के दायरे में लाने पर विचार कर सकती है।
19- शेयर बाजार सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स कम या समाप्त होने की उम्मीद
स्टॉक मार्केट दो बार धराशायी हुआ है। ऐसे में इस सेक्टर को भी बजट से काफी उम्मीदें हैं। ये सेक्टर सिक्योरिटी डील इनकम में कमी की मांग कर रहा है। शेयर बाजार के जानकारों का मानना है कि वित्त मंत्री को सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) को खत्म या कम करना चाहिए।
20- वेल्थ टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स को फिर से लागू करने की मांग
जानकारों के अनुसार स्वास्थ्य और समग्र कल्याण स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के महत्वपूर्ण घटक हैं, इसलिए बजट को स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए, इस प्रकार भारत के ग्रामीण हिस्सों में तेजी से निदान केंद्रों तक पहुंच को सक्षम करना चाहिए। कोरोना महामारी के इस दौर में मेडिसिन इंडस्ट्रीज को बजट में स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र के लिए कुल फंड अलॉटमेंट में बढ़ोतरी की उम्मीद है। वहीं स्वास्थ्य सेवा से जुड़े एक्सपर्ट् के अनुसार कारोबार को आसान बनाने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने की भी मांग की गई है। इस बार विशेषज्ञ COVID-19 में बढ़ती असमानता को दूर करने के लिए वेल्थ टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स को फिर से लागू करने की उम्मीद कर रहे हैं। बजट 2022 से स्वास्थ्य क्षेत्र को काफी उम्मीदें हैं।
कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित हॉस्पटेलिटी सेक्टर की मांग
21- आतिथ्य क्षेत्र की आशा हॉस्पिटैलिटी सेक्टर कोरोना से ज्यादा प्रभावित सेक्टरों में से एक है। इस सेक्टर को महामारी के असर का सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, वहीं हॉस्पिटेलिटी सेक्टर की ओर से रेस्तरां व्यवसाय को एक और लॉकडाउन से बचाने के लिए एक बेहतर सिस्टम तैयार करने की मांग की जा रही है।
22-किसानों के लिए बड़े ऐलान हो सकते हैं
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत देश के किसानों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को बढ़ाया जा सकता है। इस योजना के तहत किसानों को सालाना 6000 रुपये की राशि दी जाती है। वहीं, 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए जाने वाले बजट में इस राशि को बढ़ाने की घोषणा की जा सकती है। पीएम किसान योजना की राशि को बढ़ाकर 8 हजार रुपये किया जा सकता है।