विनायक दामोदर सावरकर (वीर सावरकर) एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी हैं जिनके नाम पर आज़ाद भारत में सबसे ज्यादा राजनीति होती है। कथित माफीनामे को आधार बना कर विरोध जताया जाता है, विशेषकर कांग्रेस द्वारा। इसमें राहुल गांधी समेत कुछ अन्य कांग्रेसी लीडर यदा कदा वीर सावरकर पर टिप्पणी कर राजनीति करते रहते हैं।
हाल ही में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान महाराष्ट्र में राहुल गांधी ने एक बार फिर वीर सावरकर को अंग्रेजों का मददगार बताकर उन पर टिप्पणी कर डाली जिस पर राजनीति गर्मा गई। वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने तो इसे लेकर राहुल गांधी के खिलाफ पुलिस में FIR तक करा दी है।
सावरकर पर आज के नेताओं के तो विचार और बयान तो आते रहते हैं, लेकिन वीर सावरकर के बारे में शहीद ए आज़म भगत सिंह और राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी के विचार क्या थे, यह हम आपको यहां विस्तार से बताते हैं।
आजादी के नायक सरदार भगत सिंह असेंबली धमाके के बाद 2 साल तक जेल में रहे थे जिसमें उन्होंने देश विदेश के कई स्वतंत्रता सेनानियों की लिखित पुस्तकें पढ़ी थी और इन पुस्तकों के जो अंश उन्हें अच्छे लगते थे उन्हें सरदार भगत सिंह अपनी डायरी और कागज़ नोट्स में लिखते थे। भगत सिंह ने जेल में जो डायरी लिखी थी उसमें ज्यादातर विदेशी लेखकों की किताबों के अंश ही लिखे थे और सिर्फ 7 भारतीय लेखक ऐसे थे जिनकी किताबों के अंश को भगत सिंह ने अपनी डायरी में लिखा था। वीर सावरकर एकमात्र ऐसे थे जिनकी किताब "हिंदूपदपादशाही" को पढ़ कर उसके कुल 6 अंश सरदार भगत सिंह ने अपनी डायरी और नोट्स में लिखे थे।
इतिहासकारों के मुताबिक सरदार भगत सिंह वीर सावरकर की राष्ट्रभक्ति और स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका से किस कदर प्रभावित थे इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरदार भगत सिंह ने वीर सावरकर द्वारा 1857 के स्वतंत्रता संग्राम पर लिखी गयी किताब ‘1857- इंडिपेंडेंस समर ‘ का अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित करवाया था और इसे अन्य क्रांतिकारियों को बांटा भी था।
भगत सिंह के सावरकर के प्रति क्या विचार थे इसका एक उदाहरण कलकत्ता से प्रकाशित होने वाली मतवाला मैग्ज़ीन में लिखे उनके लेख में मिलता है। जहां 15 नवंबर और 22 नवंबर 1924 को प्रकाशित अंक में सरदार भगत सिंह लिखते हैं कि "विश्वप्रेमी वह वीर है जिसे भीषण विप्लववादी, कट्टर अराजकतावादी कहने में हम लोग तनिक भी लज्जा नहीं समझते – वहीं वीर सावरकर। विश्वप्रेम की तरंग में आकर घास पर चलते-चलते रुक जाते कि कोमल घास पैरों तले मसली जाएगी।" यह लेख सरदार भगत सिंह ने बलवंत सिंह के छद्म नाम (Pen Name) से लिखा गया था।
सावरकर की देशभक्ति पर आज कांग्रेस के नेता राहुल गांधी सवाल उठा रहे हैं लेकिन उनकी दादी इंदिरा गांधी ने आज से 42 साल पहले 20 मई 1980 को सावरकर को "देश का महान सपूत" कहा था। स्वतंत्रवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के सचिव पंडित बखले को लिखे अपने पत्र में इंदिरा गांधी ने कहा था ब्रिटिश सरकार की "साहसी अवज्ञा" करने वाले वीर सावरकर का भारत के स्वतंत्रता संग्राम में विशेष स्थान है।
वीर सावरकर को अंग्रेजों का सर्वेंट बताने वाले राहुल गांधी के बयान के बाद महाराष्ट्र के डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस ने दो चिटि्ठयां सोशल मीडिया पर पोस्ट की हैं। दावा है कि ये चिटि्ठयां महात्मा गांधी ने अंग्रेज अफसरों लॉर्ड चेम्सफोर्ड और ड्यूक ऑफ कनॉट को भेजी थीं। इनमें से एक की आखिरी लाइन में लिखा है- योर एक्सिलेंस ओबीडिएंट सर्वेंट एमके गांधी। दूसरी चिट्ठी के आखिरी में लिखा है- योर रॉयल हाइनेस फेथफुल सर्वेंट एमके गांधी।
फडणवीस ने अपनी पोस्ट में राहुल के लिए लिखा- आपने मुझे एक पत्र की अंतिम पंक्तियां पढ़ने को कहा था। चलो, अब कुछ दस्तावेज आज मैं आपको पढ़ने देता हूं। हम सब के आदरणीय महात्मा गांधी जी का यह पत्र आपने पढ़ा? क्या वैसी ही अंतिम पंक्तियां इसमें मौजूद हैं, जो आप मुझे पढ़वाना चाहते थे?