भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की डिजिटल करेंसी (CBDC) या डिजिटल रुपया रिटेल यूज (Digital Rupee For Retail) के लिए गुरुवार से शुरू हो गया। यानी इसके जरिए आम लोग अब रोजमर्रा की खरीदारी भी कर सकते हैं। हालांकि, अभी पायलट प्रोजेक्ट के रूप में देश के चार चुनिंदा लोकेशंस पर ही शुरू किया गया है।
आरबीआई ने मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में खुदरा डिजिटल रुपये की पहली खेप लॉन्च की है। इस पायलट प्रोजेक्ट में सरकारी और निजी क्षेत्र के चार बैंक एसबीआई, आईसीआईसीआई, यस बैंक व आईडीएफसी फर्स्ट को शामिल किया गया है। इसके डिस्ट्रीब्यूशन और इस्तेमाल की पूरी प्रक्रिया की टेस्टिंग की जाएगी। जिसके बाद इसे अन्य शहरों के लिए जारी किया जाएगा।
बड़ी बात यह है कि वॉलेट का इस्तेमाल कर QR कोड के जरिए दाल, चावल, आटा समेत सभी तरह के राशन के लिए दुकानदार को पेमेंट किया जा सकता है।
मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर के बाद अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला समेत अन्य बड़े शहरों को इस सेवा से कवर किया करेगा।
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) ब्लॉकचेन जैसी तकनीक पर (Blockchain Technology) पर आधारित करेंसी होगी। जहां होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल जहां वित्तीय संस्थाएं (जैसे बैंक) करती हैं, वहीं रिटेल करेंसी का उपयोग आम आदमी कर सकेगा। भारतीय करेंसी का डिजिटल स्वरूप E-Rupee को फिलहाल चार बैंकों के माध्यम से वितरित किया जाएगा। यह करेंसी इन बैंकों की ओर से उपलब्ध एप्स में सुरक्षित होगा। यूजर्स बैंकों की ओर से उपलब्ध एप्स, मोबाइल फोन और डिवाइस में स्टोर्ड डिजिटल वॉलेट के माध्यम से ई-रुपये के साथ लेनदेन कर सकेंगे। इसे आसानी से मोबाइल फोन से से एक दूसरे को भेजा जा सकेगा और और हर तरह के सामान खरीदे जा सकेंगे। इस डिजिटल रुपये को पूरी तरह से भारतीय रिजर्व बैंक की रेग्युलेट करेगा।
डिजिटल वॉलेट से लेनदेन: डिजिटल रुपये को मोबाइल फोन और दूसरे उपकरणों में रखा जा सकेगा। इसे बैंकों के जरिये वितरित किया जाएगा। उपयोगकर्ता पायलट परीक्षण में शामिल होने वाले बैंकों की ओर से मिलने वाले डिजिटल वॉलेट के जरिये ई-रूपी में लेनदेन कर सकेंगे।
क्यूआर कोड से भुगतान: आरबीआई ने कहा, ई-रूपी के जरिये व्यक्ति से व्यक्ति (पी2पी) और व्यक्ति से मर्चेंट (पी2एम) दोनों के रूप में लेनदेन कर सकेंगे। मर्चेंट यानी व्यापारियों के यहां लगे क्यूआर कोड के माध्यम से भुगतान किया जा सकेगा।
नहीं मिलेगा कोई ब्याज: नकदी की तरह ही धारक को डिजिटल मुद्रा पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा। इसे बैंकों के पास जमा के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
बैंकों को पैसा हस्तांतरित करने में आसानी, मुद्रा छापने का खर्च घटेगा, अवैध मुद्रा की रोकथाम, आसान टैक्स वसूली, काले धन व मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगेगी। ई-रूपी भरोसा, सुरक्षा, अंतिम समाधान जैसी खूबियों से लैस है। ई-रूपी उसी मूल्य पर जारी होगा, जिस पर वर्तमान में करेंसी नोट और सिक्के जारी होते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, रिटेल के लिए पायलट लॉन्च के पहले दिन चारों शहरों में बैंकों की ओर से करीब 1.71 करोड़ रुपये के Digital Rupee की मांग की गई थी। इस मांग के मुताबिक, रिजर्व बैंक की ओर से इसे जारी किया गया था। होलसेल पायलट लॉन्च के दौरान भी इसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी। लेकिन लोगों के जेहन में इस ई-रुपया को लेकर कई तरह के सवाल अभी भी हैं, जिनका उत्तर हम आसान शब्दों में दे रहे हैं।
डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मददगार।
लोगों को जेब में कैश लेकर की जरूरत नहीं रहेगी।
मोबाइल वॉलेट की तरह ही इससे पेमेंट करने की सुविधा होगी।
डिजिटल रुपया को बैंक मनी और कैश में आसानी से कन्वर्ट कर सकेंगे।
विदेशों में पैसे भेजने की लागत में कमी आएगी।
ई-रुपया बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी काम करेगा।
ई-रूपी की वैल्यू भी मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी।
एफिशियंसीः यह कम खर्चीली है। ट्रांजैक्शन भी तेजी से हो सकते हैं। इसके मुकाबले करेंसी नोट्स का प्रिटिंग खर्च, लेन-देन की लागत भी अधिक है।
फाइनेंशियल इनक्लूजनः डिजिटल करेंसी के लिए किसी व्यक्ति को बैंक खाते की जरूरत नहीं है। यह ऑफलाइन भी हो सकता है।
भ्रष्टाचार पर रोकः डिजिटल करेंसी पर सरकार की नजर रहेगी। डिजिटल रुपये की ट्रैकिंग हो सकेगी, जो कैश के साथ संभव नहीं है।
मॉनेटरी पॉलिसीः रिजर्व बैंक के हाथ में होगा कि डिजिटल रुपया कितना और कब जारी करना है। मार्केट में रुपये की अधिकता या कमी को मैनेज किया जा सकेगा।