आजम खान यानि सपा का वो नेता जिसने कई चुनावों में सपा को अपने दम पर जीत दिलाई है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से सपा और आजम खान के रिश्ते ठीक नजर नहीं आ रहे हैं। आजम हाल ही में 27 महीने की जेल काटकर बाहर आए हैं।
लेकिन इन 27 महीनों में सपा प्रमुख अखिलेश यादव महज एक बार मिलने गए, इन महीनों में अखिलेश ने आजम पर लगे केसों पर कोई टिप्पणी तक नहीं की। वहीं सवा दो साल बाद जेल से बाहर आए आजम ने अखिलेश और मुलायम को लेकर कोई टिप्पणी तो अब तक नहीं की है।
लेकिन कहीं न कहीं अंदर ही अंदर ये दर्द तो होगा ही कि जब सपा के साथ की उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत थी तब वो मिला नहीं। शायद इसी का नतीजा है कि आजम और उनके समर्थक विधायक सपा की बैठक में नहीं पहुंचे।
सपा और आजम के रिश्तों में दरार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आजम और उनके समर्थक विधायक अखिलेश यादव की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक में नही पहुंचे।
सपा की इस बैठक से सिर्फ आजम खान ही नहीं बल्कि उनके बेटे अब्दुल्ला, विधायक नसीर अहमद खान और शहजील इस्लाम जैसे विधायकों ने भी किनारा कर लिया।
इस दौरान आजम रामपुर में रहे और अपने करीबियों और उनके परिजनों से मिलने का सिलसिला जारी रखा। आजम रामपुर जेल में बंद गुड्डू मसूद से मिले, वहीं विधायक शरजील इस्लाम के साथ भी बैठक की। जेल से निकलने के बाद से ही आजम ने मुस्लिम राजनीति की ओर कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है।
आजम ने सपा को कई बार अपनी साख और राजनीतिक रसूख से चुनाव जितवाए हैं। लेकिन उनकी अब ये साख कम होती नजर आ रही है। ये बात आजम भी अच्छे से जानते हैं शायद इसीलिए आजम ने मुस्लिम राजनीति का ताना बाना बुनना शुरू कर दिया है।
दरअसल सूबे में फिर से एक बार नब्बे के दशक की राजनीति जैसा माहौल बन रहा है। उस समय बाबरी मस्जिद का मुद्दा गर्माया हुआ था तो इस समय काशी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरी की श्री कृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह मस्जिद का मुद्दा गर्माया हुआ है।
इसी को लेकर तमाम मुस्लिम संगठनों ने अपनी बैठके करना शुरू कर दिया है। वहीं अखिलेश समेत तमाम तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों ने इन मुद्दों को लेकर चुप्पी साध रखी है। इसी बीच आजम भी मुस्लिम सियासत को हथियार बना अपनी सियासी हैसियत को दोबारा से मजबूत करना चाहते हैं।
इसीलिए उनके जेल से छूटने के बाद से ही उनकी मुस्लिम संगठनों को साथ बैठकों का दौर जारी है।
वहीं जब आजम से अखिलेश से नाराजगी को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा
“नाराजगी के लिए आधार भी होना चाहिए लेकिन मैं खुद निराधार हूं तो वो आधार कहां से आएगा, मैं अभी नाराज होने की हैसियत में नहीं हूं”सपा नेता, आजम खान
वहीं जब अखिलेश के उनसे मुलाकात करने पर नहीं आने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा
“मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा, जो आए उनका बहुत शुक्रिया, जो नहीं आए उनकों कोई काम रहा होगा। उनको भी शुक्रिया”सपा नेता, आजम खान
भले आजम खान ने साफ तौर पर अखिलेश से नाराजगी नही जताई है लेकिन उनका इस तरह बैठक में शामिल न होना उनके और अखिलेश के रिश्तों के बीच दरार को बखूबी बयां कर रहा है।
बता दें कि शुरूआत से ही आजम की राजनीति मुस्लिम वोटों के इर्द – गिर्द घूमती रही है। मुरादाबाद दंगो से लेकर अयोध्या कांड लेकर उनके आक्रामक तेवरों ने प्रदेश भर के मुस्लिम वोटों पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी। इसीलिए वो मुलायम की आंख का तारा बने हुए थे।
लेकिन पिछले कुछ दिनों में उनकी पकड़ कमजोर हुई है जेल से बाहर आने के बाद से ही आजम अपनी सियासी पकड़ और हैसियत दोनों को ही मजबूत करने की कवायद में जुटे हुए हैं।