राजनीति

शिंदे गुट को कोर्ट से राहत, अयोग्यता नोटिस का जबाब देने के लिए मिले 14 दिन, खेमें ने बताई बॉम्बे कोर्ट में अर्जी ना करने की वजह

Jyoti Singh

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में इन दिनों सियासी संकट गहराता ही जा रहा है। हाल ही में महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार के अस्तित्व को खतरे में डालने वाले शिंदे खेमे को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है।

शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्यता नोटिस का जवाब देने के लिए 14 दिन का वक्त दिया है। इसके साथ ही सभी पक्षों को 5 दिन के अंदर कोर्ट को जवाब देना होगा। कोर्ट 11 जुलाई को इस मामले पर फिर से सुनवाई करेगी।

शिंदे ने अयोग्य नोटिस के खिलाफ दायर की थी याचिका

विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल ने शिवसेना के बागी मंत्री एकनाथ शिंदे ने और 15 अन्य बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता नोटिस जारी किया था, जिसमे उनसे 27 जून की शाम तक जवाब मांगा गया था।

इस नोटिस के खिलाफ एकनाथ शिंदे ने कोर्ट में अपील दायर की जिस पर सोमवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे बी पारदीवाला की अवकाश पीठ ने सुनवाई की और अयोग्यता नोटिस का जवाब देने के लिए 16 असंतुष्ट विधायकों को डिप्टी स्पीकर द्वारा दिए गए समय को 12 जुलाई तक बढ़ा दिया।

11 जुलाई कोर्ट फिर से करेगी सुनवाई

सोमवार को शिंदे गुट की दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम 11 जुलाई को फिर से मामले की सुनवाई करेंगे। इस बीच अंतरिम उपाय के तौर पर डिप्टी स्पीकर ने याचिकाकर्ताओं या अन्य समन के लिए आज शाम 5.30 बजे तक का समय दिया। विधायकों को अपना लिखित अनुरोध प्रस्तुत करने के लिए, 12 जुलाई को शाम 5.30 बजे तक बढ़ा दिया गया है।

इससे पहले, देश की शीर्ष अदालत ने अयोग्यता नोटिस को चुनौती देने वाली एकनाथ शिंदे और 15 अन्य असंतुष्ट विधायकों की याचिकाओं पर महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर, शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु और विधायक दल के नेता अनिल चौधरी और केंद्र सहित कई को नोटिस जारी किया था।

शिंदे गुट ने बताई बॉम्बे हाईकोर्ट में नहीं जाने की वजह
याचिकाओं की सुनवाई के दौरान, अदालत ने शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले दल से जब पूछा गया कि उन्होंने अपने मामले को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया? इस सवाल पर शिंदे गुट ने जवाब दिया कि उनका जीवन खतरे में है और मुंबई में अपने मामले का बचाव करने के लिए माहौल उनके अनुकूल नहीं है। हमें नोटिस का जवाब देने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। वहां हमारी संपत्तियों को जलाया जा रहा है। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से बागी विधायकों या उनके समर्थकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है।

जानें क्या है शिवसेना का विवाद

बता दें कि शिंदे और शिवसेना के विधायकों का एक बड़ा हिस्सा 22 जून से असम की राजधानी गुवाहाटी के एक होटल में डेरा डाले हुए है। शिंदे के नेतृत्व वाला विद्रोही समूह की मांग है कि शिवसेना को महा विकास अघाड़ी गठबंधन (MVA) से हटना चाहिए, लेकिन शिवसेना सुप्रीमो और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने उनकी इस बात को मानने से इनकार कर दिया।

MVA में कांग्रेस और राकांपा भी शामिल हैं। विधायकों के बागी होने के बाद शिवसेना ने अपने असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी।

इस कार्रवाई के दौरान महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय ने शनिवार को 16 बागी विधायकों को 'समन' जारी कर 27 जून की शाम तक लिखित जवाब मांगा था, जिसमें इन बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी।

हालांकि, शिंदे गुट, जो शिवसेना के दो-तिहाई से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा करता है, ने तर्क दिया है कि उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती, क्योंकि पार्टी के अधिकांश विधायक उसके साथ हैं और वह असली शिवसेना है।

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