राजनीति

National Herald corruption case: ED दफ्तर तक राहुल गांधी मार्च करते हुए पहुंचे, BJP ने बताया-जश्न-ए-भ्रष्टाचार, जानिए क्या है ये मामला

कांग्रेस मुख्यालय में बैठके के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के CM भूपेश बघेल सहित पार्टी के सांसद और अन्य नेताओं के साथ राहुल गांधी मार्च करते हुए ED ऑफिस के लिए रवाना हुए। वहीं सोनिया-राहुल गांधी को नोटिस देने के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ता देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रही है।

ChandraVeer Singh
नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) फिर से राजनीतिक हंगामे की वजह बनता नजर आ रह है। सोमवार को राहुल गांधी (Rahul gandhi) पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय(ED) के ऑफिस में पेश हुए हैं। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप बताया जा रहा है। इधर राहुल की पेशी के पहले प्रियंका गांधी वाड्रा भाई राहुल से मिलने उनके घर पहुंचीं थीं
कांग्रेस मुख्यालय में बैठके के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के CM भूपेश बघेल सहित पार्टी के सांसद और अन्य नेताओं के साथ राहुल गांधी मार्च करते हुए ED ऑफिस के लिए रवाना हुए। वहीं सोनिया-राहुल गांधी को नोटिस देने के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ता देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रही है। बता दें ये मामला सुब्रमण्यम स्वामी कोर्ट तक लेकर गए हैं। इस मामले को लेकर भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा है कि यह 5 हजार करोड़ का घोटाला है। उम्मीद है कि राहुल गांधी कोर्ट में अपना जुर्म कबूल करेंगे। भाजपा ने राहुल गांधी के ईडी दफ्तर तक मार्च को जश्न-ए-भ्रष्टाचार बताया है।

कांग्रेस मुख्यालय के आसपास धारा 144 लागू

कांग्रेस नेताओं के मार्च से पहले दिल्ली पुलिस ने सोमवार को अकबर रोड स्थित पार्टी मुख्यालय के आसपास के इलाके में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी।
नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) फिर से राजनीतिक हंगामे की वजह बनता नजर आ रह है।
इससे पहले लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक(Congress whip in Lok Sabha) मनिकम टैगोर ने ट्वीट कर कहा, "हम अपने नेता राहुल गांधी के साथ मार्च करने की योजना बना रहे हैं। "हम जानते हैं कि दिल्ली पुलिस पूरी ताकत से हमें अपने पार्टी कार्यालय में नहीं जाने देगी, वे हमें अन्याय के खिलाफ मार्च करने की अनुमति नहीं देंगे, आइए शाह और उनकी गैंग को दिखाएं कि हम गांधी अनुयायी हैं, हम इसे शांतिपूर्ण तरीके से करेंगे।
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा- हमनें गांधीवादी और शांतिपूर्ण तरीके से एक मार्च निकालने की कोशिश की थी लेकिन दिल्ली में अनुमति नहीं मिली। मुझे लगता है कि ये लोग जिस तरह एजेंसी का मिसयूज कर रहे हैं वो जगजाहिर है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी और तमाम नेताओं पर 7-8 साल से बंद केस डाले गए। कहीं ना कहीं राजनीतिक विरोधियों पर दबाव बनाने की राजनीति चल रही है। देश में इतने जरूरी मुद्दे हैं लेकिन अलग विचारधारा के लोगों को दबाने का काम हो रहा है। कांग्रेस के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है।
सोनिया-राहुल गांधी को नोटिस देने के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ता देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रही है।
दिग्विजय सिंह ने कहा-जब-जब भाजपा और मोदी डरते हैं, वे पुलिस को आगे करते हैं। आगे हम जनता की लड़ाई लड़ेंगे। ये केस है ही नहीं... कोई FIR है क्या? यह केस तो मोदी सरकार ने 2014 में शुरू किया और उन्हीं की सरकार ने बिना कोई प्रमाण मिले केस को समाप्त कर दिया।
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा-वो कितना भी बदला लेना चाहे लेकिन वो सच की आवाज को नहीं दबा पाएंगे... राहुल गांधी के नेतृत्व में ये सत्य का संग्राम निरंतर चलेगा। अंग्रेज की सल्तनत भी हमें नहीं दबा पाई तो ये सरकार क्या दबा पाएगी?
कांग्रेस नेताओं का आरोप भाजपा की विपक्ष को डराने की मंशा
जब ईडी ने सोनिया-राहुल गांधी को नोटिस भेजा था, तब कांग्रेस नेताओं ने एक प्रेस कान्फ्रेंस की थी। अभिषेक मनु सिंघवी, रणदीप सुरजेवाला और उदित राज ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वो ED का इस्तेमाल विपक्ष को डराने के लिए कर रही है।
सोनिया-राहुल गांधी को नोटिस देने के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ता देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रही है।
पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार तानाशाही पर उतर आई है। अभिषेक मनु संघवी ने का कहना था कि महंगाई और बेरोजगारी से आम जनता का ध्यान भटकाने के मकसद से ऐसा किया जा रहा है।
उदित राज ने कहा था कि कांग्रेस इसका डटकर विरोध करेगी। इन नेताओं के बयान का जवाब देते हुए भाजपा ने कहा था कि ईडी एक संवैधानिक संस्था है। वो अपने हिसाब से काम करती है। जब किसी आम आदमी को नोटिस दिया जाता है, तो कांग्रेस को ईडी बुरी नहीं लगती, लेकिन उनके नेताओं को नोटिस मिलते ही संविधान खतरे में दिखाई देने लगता है।
क्या है नेशनल हैराल्ड का ये पूरा मामला?
दरअसल 1938 में पंडित जवाहर लाल नेहरू की अगुआई में सैकड़ों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने मिलकर एक कंपनी बनाई असोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL)। इसका उद्देश्य क्रांतिकारी अखबार शुरू करना और उस के तहत आजादी की लड़ाई को तेज करना था।

आजादी के बाद तीनों अखबार कांग्रेस के मुखपत्र बन गए

कंपनी पर किसी एक व्यक्ति का कंट्रोल नहीं था। कंपनी ने नेशनल हेरल्ड नाम से अंग्रेजी, कौमी आवाज नाम से उर्दू और नवजीवन नाम से हिंदी में अखबार निकालना शुरू किया। AJL में नेहरू के अलावा 5 और दूसरे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी शेयर होल्डर थे। आजादी के बाद ये तीनों अखबार कांग्रेस के मुखपत्र के तौर पर सामने आए। AJL के पास दिल्ली, मुंबई, पंचकुला, लखनऊ और पटना में प्राइम लोकेशन पर प्रॉपर्टी थी।
2008 में AJL ने नेशनल हेरल्ड का प्रकाशन बंद हो गया क्योंकि उसकी माली हालत ठीक नहीं थी। उस पर कांग्रेस पार्टी का 90 करोड़ रुपये का कर्ज था। 2010 के दौरान भी AJL के एक हजार 57 शेयर होल्डर थे। 2010 में यंग इंडियन लिमिटेड नाम की एक कंपनी ने AJL को खरीद लिया।

जिस कंपनी यंग इंडियन लिमिटेड ने AJL को खरीदा था वो म​हज तीन महीने पहले ही बनी थी

गौर करने की बात ये है कि ये कंपनी सिर्फ 3 महीने पहले ही 5 लाख रुपये की पूंजी से बनी थी और इसका स्वामित्व गांधी परिवार के पास था। सोनिया गांधी, उनके दोनों बच्चों राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के नाम यंग इंडियन लिमिटेड के मेजॉरिटी शेयर हैं। इस तरह स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की बनाई एक कंपनी और उसकी संपत्तियों पर एक परिवार का कब्जा बताया जा रहा है। इसी पर सवाल उठ रहे हैं।

ऐसे हुआ पूरे मामले का खुलासा

यंग इंडिया लिमिटेड ने असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड के 99 प्रतिशत शेयर का अधिग्रहण कर लिया। मामला तब खुला जब AJL के कई शेयरहोल्डरों ने सौदे पर ये कहकर सवाल उठाया कि उन्हें इसकी कोई जानकारी ही नहीं दी गई और न ही उनकी सहमति ली गई जबकि शेयरहोल्डर के नाते ये उनका हक था।
इन शेयरहोल्डरों में पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण और इलाहाबाद व मद्रास हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस मार्केंडेय काट्जू भी शामिल थे। इन लोगों के पिता AJL में शेयर होल्डर थे इस रिश्ते से उनके निधन के बाद शेयरों पर उनका स्वामित्व था।
दरअसल, सौदे से पहले ही 2010 में तमाम शेयरहोल्डरों के शेयरों को AJL के नाम स्थानांतरित कर दिया गया, वो भी संबंधित शेयर होल्डरों को बिना कोई नोटिस या जानकारी दिए हुए।

2012 में BJP नेता सुब्रमण्यन स्वामी इस मामले को कोर्ट में ले गए

2012-13 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी पूरे मामले को लेकर अदालत में चले गए। दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में उन्होंने आरोप लगाया कि यंग इंडिया लिमिटेड द्वारा AJL का टेकओवर गैरकानूनी तौर पर हुआ है। ये धोखाधड़ी और ब्रीच ऑफ ट्रस्ट (विश्वासभंजन) का मामला है। उन्होंने आरोप लगाया कि YIL ने सिर्फ 50 लाख रुपये देकर AJL के 90 करोड़ रुपये के कर्ज की वसूली का अधिकार हासिल कर लिया और 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा की सपत्तियों का मालिकाना हक हासिल कर लिया।

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